Mohammed Umar Kairanvi has left a new comment on your post "ग़लत गिरेबां पे हाथ डाल दिया मोहम्मद उमर कैरानव...":
आप दही नहीं कपास हो बता रहे हो, किसकी मजाल जो आपके गिरेहबां पर हाथ डाल दे, ठीक कहते हैं, हालांके दही हो के कपास दोंनों को धुनकर फनकार कुछ हासिल कर लेते हैं, मैं तो इतना जानता हूं हम जैसों के आप प्रेरक हो, ब्लागरों को कैसा रूलाया था आपने मुझे याद है, गौर करो तो मैंने धर्म पर सरसरी सी बातें लिखी हैं क्यूंकि मैं जानता हूं आप जवाब शायरी में दोगे, मैं घुच्ची में दूंगा तो नतीजा कुछ नहीं निकलेगा, आपसे धर्म बहस अगर कोई कर सकता है तो केवल शायर ही कर सकता है, जो कि पता नहीं क्या क्या बनने के बावजूद मैं ना बन सका, हां आपसे प्रेरणा ली जाती रहेगी,
आप सरदार पटेल और इंदिरा जी में मंच पर व्यस्त हैं तो
साइबर मौलाना 3 नवम्बर के देवबंद सम्मेलन में मंच के पीछे व्यस्त है
आज की कविता भी शानदार रही पर अफसोस चिटठा चर्चाओं में मामा चाचा भांजे की चर्चा में सम्म्लिलित नहीं की जायेगी, उनकी तरफ से भी मैं आपसे माफी चाहता हूं,
आपके साथ सदैव
मेरे प्रेरक भैया
Posted by Mohammed Umar Kairanvi to Albelakhatri.com at October 31, 2009 4:10 PM
आप दही नहीं कपास हो बता रहे हो, किसकी मजाल जो आपके गिरेहबां पर हाथ डाल दे, ठीक कहते हैं, हालांके दही हो के कपास दोंनों को धुनकर फनकार कुछ हासिल कर लेते हैं, मैं तो इतना जानता हूं हम जैसों के आप प्रेरक हो, ब्लागरों को कैसा रूलाया था आपने मुझे याद है, गौर करो तो मैंने धर्म पर सरसरी सी बातें लिखी हैं क्यूंकि मैं जानता हूं आप जवाब शायरी में दोगे, मैं घुच्ची में दूंगा तो नतीजा कुछ नहीं निकलेगा, आपसे धर्म बहस अगर कोई कर सकता है तो केवल शायर ही कर सकता है, जो कि पता नहीं क्या क्या बनने के बावजूद मैं ना बन सका, हां आपसे प्रेरणा ली जाती रहेगी,
आप सरदार पटेल और इंदिरा जी में मंच पर व्यस्त हैं तो
साइबर मौलाना 3 नवम्बर के देवबंद सम्मेलन में मंच के पीछे व्यस्त है
आज की कविता भी शानदार रही पर अफसोस चिटठा चर्चाओं में मामा चाचा भांजे की चर्चा में सम्म्लिलित नहीं की जायेगी, उनकी तरफ से भी मैं आपसे माफी चाहता हूं,
आपके साथ सदैव
मेरे प्रेरक भैया
Posted by Mohammed Umar Kairanvi to Albelakhatri.com at October 31, 2009 4:10 PM
आपकी टिप्पणी मिली और छाप भी रहा हूँ भाई मोहम्मद उमर कैरानवी !
जिससे ये ज़ाहिर होता है कि हमारी कोई पुश्तैनी लड़ाई नहीं है जिसे
मर्ज़ी न मर्ज़ी लड़ना ही पड़े,
कहना मत किसी से..अरे मेरे पास तो मोहब्बत करने के लिए फ़ुर्सत नहीं है..
तो बहस के लिए वक्त ही कहाँ ? और वो भी ऐसी टुच्ची बातों के लिए
कि धर्म क्या है...............किसका बड़ा है...और किसका छोटा है ?
जैसे लोग अपने अपने मोबाइल पर गर्व करते हैं कि
उनका सबसे छोटा है ..हा हा हा हा
धर्म का मतलब होता है धारण करना ............जिस चीज को,
जिस कार्य को अथवा जिस नीति को आप धार लेते हैं, उतार लेते हैं
अपने आत्मावकाश में वही आपका धर्म होता है । और सबसे बड़ी बात
ये है कि धर्म कोई किसी के कान में घोल कर नहीं डाल सकता, शरबत में
डाल कर नहीं पिला सकता जिसका जैसा प्रारब्ध अर्थात पूर्व जन्म का
संस्कार होता है, वह वैसा ही धर्मावलम्बी हो जाता है । हिरन्यकश्यप के
घर प्रहलाद जन्म ले लेता है और गांधारी जैसी सती की कोख से दुर्योधन
जैसा लम्पट पैदा हो जाता है।
आपने अपनी हार स्वीकार कर ली, अच्छा किया क्योंकि अभी तो मैंने
खाली माइक टेस्टिंग ही की थी काव्य पाठ तो आरम्भ ही नहीं किया ....
वरना आपको मुश्किल हो जाती ! वैसे मैं इस हार को हार नहीं,
आपकी जीत मानता हूँ
और आपको बधाई देता हूँ कि देर से सही, आप सही रास्ते पर तो आए..
किसी कवि ने (नाम अभी याद नहीं ) कहा है:
चांदनी की कहीं सरकार नहीं होती है
फूल के हाथ में तलवार नहीं होती है
जीत होती न कभी युद्ध के मैदानों में
और प्यार की हार कभी हार नहीं होती है
अब मस्त रहो........और अच्छा अच्छा लिखो...............
आप सबके साथ प्यार बांटोगे तो बदले में सबका प्यार ही पाओगे...
क्योंकि
प्यार इन्सान को इन्सान बना देता है
अच्छी योजना हो, तो निर्माण बना देता है
प्यार को प्यार करो, साधना साधो, पूजो
प्यार पत्थर को भी भगवान् बना देता है
आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं
-अलबेला खत्री
14 comments:
Bas Albela ji aise hi pyar ki baten karte rahenge to har taraf sukh, shanti ka samrajya sthapit hote der nahin lagegi...
bahut khoob
Jai Hind
क्या रखा है लड़ाइयों में.
जय हो,सदा विजय-इस विशाल नभ मे नव सुर्य का उदय हो।
जीयो और जीने दो,ना रहे भय किसी,का सभी जन अभय हो।
प्यार करो अलबेला भाई।
सही समझाया है आपने |
Good Lesson.
Sundar pathh padhaya ,aise hii sundar sundar pathh padhhate rahiye. I love this kind of pathh.
सही है..प्यार सर्वोत्तम!!
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो:)
जोत से जोत जलाते चलो...प्रेम की गंगा बहाते चलो...
अच्छी और सटीक पोस्ट!
बधाई!
sach baat hai .........kya rakha hai ladai mein.........?
bahut achchi lagi aapki yeh post......
आपने कितनी सही बात कहीं है, सभी को समझना चाहिये। किसी के धर्म पर कीचड़ उछालने से अपना धर्म महान न ही हो जाता है बल्कि ऐसा करने पर कोई न कोई तुम्हारे धर्म पर कीचड़ उछाल कर चला जाता है, तुमने सोचा था कि भगवान को गाली देने से अल्लाह खुश होगा किन्तु तुम्हारे इस कृत्य से अल्लाह भी गाली खा गये। ऐसा काम करो जिससे सब खुश हो, तब अल्लाह भी खुश होगा आम आवाम भी।
आपकी इस पोस्ट से बहुत कुछ सीखने को मिला, मैने पहले भी कहा है कि ऐसे कृत्य बंद होने चाहिये, अगर ऐसे कृत्य होते है तोन कभी पहल मेरी तरफ से हुई है न न ही भविष्य में कभी होगी। होगी।
वाह अलबेला जी क्या खूब हराया छोरे को, हर तरह से साबित कर चुके के अलबेले हैं, ऐसी जीत ऐसी हार ब्लागिंग ने कभी ना देखी, आपसे एक दो और प्रेरित हो गये तो......
धन्य हो प्रभु ।
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