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Albela Khatri

बहुत जल्दी मुझे भी इसलिए गुस्सा नहीं आता




मुहब्बत में मेरी पत्नी ग़ज़ल का शे' लगती है


खफ़ा हो जाये तो बारूद का इक ढेर लगती है


बहुत जल्दी मुझे भी इसलिए गुस्सा नहीं आता


बड़ा बरतन गरम होने में थोड़ी देर लगती है



-खामखाह हैदराबादी



5 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' January 1, 2010 at 1:19 PM  

नव वर्ष की मंगल कामनाएँ!

IMAGE PHOTOGRAPHY January 1, 2010 at 1:20 PM  

पत्नी बारुद के ढेर मे ही आग लगाती है ।
नववर्ष मंगलमय हो।

शबनम खान January 1, 2010 at 2:19 PM  

kya baat ha albela ji...apni dharmpatni ji ko zaroor padwayiyega....vaise vo khush hi hongi...is bahane apne unko yaad to kia....

Udan Tashtari January 1, 2010 at 8:21 PM  

आप एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

सादर

समीर लाल

राजीव तनेजा January 2, 2010 at 8:40 AM  

बहुत बढिया

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