प्यारे देशवासियो !
आज मैं मज़ाकिया मूड में नहीं हूँ, गम्भीर हूँ और गम्भीर इसलिए
हूँ क्योंकि मज़ाक मज़ाक में बहुत नुक्सान हो चुका है देश का .......
अब सम्हलना है और सम्हालना है स्थिति को.......ताकि हम भी
बचें और ये समाज, ये देश भी बचे..........समय आ गया है कि अब
अन्य विषयों से ध्यान खींच कर, सारे अलगाव और मतभेद भुला
कर हमें एक जुट होना पड़ेगा तथा अपने स्तर पर पूरे पराक्रम के
साथ लड़ाई लड़नी पड़ेगी कुछ ऐसी बुराइयों से जो कि हमें और हमारे
देश को लगातार हज़ारों हाथों और लाखों दाँतों से खाये जा रही हैं ।
बड़ी बड़ी बातें बाद में करेंगे - पहले छोटी छोटी कर लें------------
आज देश को जितना खतरा RDX और आतंकवाद से है उससे भी
ज़्यादा मिलावटी दूध से है । नकली दूध और नकली दूध से बने
सामान खोया, पनीर, मक्खन, घी और च्हीज़ इत्यादि उत्पादनों
के माध्यम से हमारे घरों में रोग फैल रहे हैं । शरीर में जैसे जान
ही न रही, कोई उत्साह नहीं रहा और बच्चे - बच्चियों के नेत्रों और
दाँतों के साथ साथ हड्डियों में पसर कर विषैले तत्त्व हमारे
नौनिहाल को खोखला कर रहे हैं ।
हम मिलावट बन्द नहीं कर सकते, हम क्या हमारे फ़रिश्ते भी नहीं
कर सकते। क्योंकि चाहे कितनी भी पुलिसिया छापामारी हो,
स्वास्थ्य विभाग चाहे कितना भी नकली सामान बरामद करले ..
जब तक भ्रष्टाचारी सरकार और घूसखोर अधिकारी ज़िन्दा हैं
अपराधी पकड़े जाते रहेंगे और छूटते भी रहेंगे । कोई उनका बाल
भी बांका नहीं कर सकता ।
तो फिर रास्ता क्या है ?
रास्ता सिर्फ़ ये है कि हम मिलावट के कारणों को ही ख़त्म कर दें
ताकि किसी को मिलावट करने की ज़रूरत ही न पड़े...
मुझे भली भान्ति याद है मेरा बचपन........जब गर्मी के मौसम में
खोया, छैना और पनीर इत्यादि पर प्रतिबन्ध लग जाता था और
बाज़ार में हलवाई के पास बरफ़ी भी नारियल की मिलती थी
क्योंकि गर्मी के मौसम में दूध का उत्पादन कम होता था । तब
लग जाता था प्रतिबन्ध लेकिन आज ..यह जानते - बूझते भी कि
पशु लगातार मर रहे हैं - कभी बाढ़ में, कभी अकाल में, कभी
भूकम्प में तो कभी विभिन्न बीमारियों से लेकिन दूध की खपत
लगातार बढती जा रही है तब भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं
उठा पाई है ।
अब हमें करना सिर्फ़ इतना है कि न तो मिलावट करने वालों को
कोसना है न ही सरकार की शिकायत करनी है । केवल स्वयं को
मजबूत होना है और इन-इन चीज़ों का तुरन्त त्याग करना है :
# खोये से बनी मिठाइयाँ
# बंगाली मिठाइयाँ
# च्हीज़, पनीर और मक्खन और बाज़ारू घी किसी भी रूप में
# दूध + क्रीम से बने साबुन और सौन्दर्य प्रसाधन
# दूध + क्रीम से बने बिस्किट
# ऐसी सभी चोकलेट्स जिनमे दूध का उपयोग होता है
# दूध से बनी आइसक्रीम और कुल्फ़ियाँ
# इत्यादि
*** क्योंकि उपरोक्त वस्तुएं आमतौर पर नकली माल से बनी
होने के कारण न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए नुक्सानदेह है
बल्कि इन हालात में हमारे लिए जेब पर भी फ़ालतू का बोझ है
जिसे टाला जा सकता है ।
*** दूध खूब पीयो, लस्सी पीयो, छाछ पीयो, दही खाओ, घर का
मक्खन और घर का घी भी डट कर खाओ, कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा ।
लेकिन फ़ालतू खपत बन्द करनी पड़ेगी दूध की।
@@@ याद रहे, ज़रूरत की चीज़ें हम नहीं छोड़ सकते लेकिन
अगर फ़ालतू शौक तुरन्त ख़त्म नहीं किये तो हम ज़्यादा दिन
जी नहीं पायेंगे। क्योंकि सारा नकली माल उन्हीं में खपता है जो
नाम ऊपर गिनाये गये हैं ।
%%% जब ये खपत बन्द हो जायेगी तो असली दूध ही इतना
होगा देश में कि नकली बनाने और बेचने का काम स्वतः ख़त्म
हो जाएगा ।
नकली माल सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए चल रहा है क्योंकि असली
कम पड़ रहा है
आओ ! हम प्रयास करें, संकल्प लें कि ऐसी किसी भी चीज़ का
उपयोग नहीं करेंगे जो कि नकली दूध के निर्माण में सहयोग
देती हो ।
कर के देखें...............परिणाम बहुत उत्तम आएगा ।
विनीत
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
1 comments:
आपने बिल्कुल सही कहा..अगर माँग ही नहीं रहेगी तो मिलावटखोरों के हौंसले भी पस्त हो जाएँगे
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