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Albela Khatri

पैदा तो कर दिये मज़े मज़े में लेकिन पाल नहीं पा रहा हूँ, इसलिए तुम्हें मार रहा हूँ मेरे बच्चों ! मुझे माफ़ कर देना




लायी हयात आये, क़ज़ा ले चली चले


अपनी ख़ुशी आये, अपनी ख़ुशी चले


-हाली





आज का दिन बहुत भारी है मुझ पर


जिन बच्चों को बड़े शौक से मज़े मज़े ले ले कर पैदा किया था,

आज उन्हीं का गला घोंटने को मजबूर हो गया हूँक्योंकि अब

फ़ुरसत नहीं है इतनी कि इन्हें पाल सकूँ, सम्हाल सकूँ..........


वैसे भी सन्तान ढंग की हो तो एक ही काफी हैइसलिए एक ढंग

की औलाद रख कर बाकी सभी की गर्दन आज मैं उड़ा दूंगा क्योंकि

इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है मेरे पास..........


यकायक काम बढ़ने से अब समय बहुत कम मिलता है ऊपर से

www.albelakhatri.com को भी बहुत समय देना पड़ता है

इसलिए ................


आज से अपने सर्वाधिक प्रिय, मुख्य और बड़े बेटे

http://albelakhari.blogspot.com/ पर ही ज़्यादा ध्यान दूंगा

अन्य सभी को जिन कारणों से पैदा किया गया था वे उसमे चूँकि

पूर्णतः सफल नहीं रहे और समय भी पूरा खा रहे हैं इसलिए मैं

अपने ही हाथों इन सभी का टेंटुआ दबा रहा हूँ :


http://hindihasyakavisammelan.blogspot.com/

http://albela-khatri.blogspot.com/

http://hindikavisammelan.blogspot.com/

http://albelakhatris.blogspot.com/

http://laughterkephatke.blogspot.com/

http://khatrialbela.blogspot.com/

http://albelakhatrisurat.blogspot.com/

http://kavialbelakhatri.blogspot.com/

http://poetalbelakhatri.blogspot.com/

http://albelakhatrikavi.blogspot.com/


ये सब अलग-अलग इसलिए पैदा किये गये थे ताकि मेरे मुख्य

ब्लॉग पर केवल मेरे सामयिक आलेख रहें और बाकी सब पर

महापुरूषों की सूक्तियां, बड़े कवि शायरों की रचनाएं, हास्य,

वीडियो और आध्यात्म चर्चा वगैरह रहे, लेकिन जब मैंने पाया

कि इस बाज़ार में ज़्यादातर ग्राहक मूंगफली खाने वाले ही हैं

बादाम के शौकीन बहुत ही कम लोग हैं और जो हैं वो ख़ुद अपनी

दुकानें लगाए बैठे हैं तो मैंने निर्णय लिया कि आज से एक ही

जगह सब सामान उपलब्ध करा देंगे जिसे जो पसन्द हो, चुनले

और काम में ले ले.........


लिहाज़ा आज से एक ही पर पूरा ध्यान दिया जाएगाबाकी

सबको अन्तिम दर्शन के लिए रखा गया है जिन्हें करना हो,

शौक से कर लें


शोक संतप्त :


-अलबेला खत्री

www.albelakhatri.com






4 comments:

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" January 24, 2010 at 1:47 PM  

अरे ऎसा मत कीजिए। माना कि निजी व्यवस्तताओं के चलते इतने चिट्ठों को सुचारू रूप से चला पाना एक दुरूह कार्य है...लेकिन आप क्यों बालहत्या का पाप अपने सिर लेते हैं...ये भी पडे रहेंगें किसी कोने में...बस कभी कभार एक आध पोस्ट चेप दिया करें!

दीपक 'मशाल' January 24, 2010 at 2:03 PM  

Khed hai..

Unknown January 24, 2010 at 4:02 PM  

अलबेला जी हम तो इतना ही कहेन्गे
नानी ने खसम किया बुरी बात है
पर
करके छोड दिया तो ये बहुत ही बुरी बात है

लोगो के टेस्ट को दोष मत दीजिये.

राजीव तनेजा January 26, 2010 at 9:50 AM  

किसी अपने को ही धवस्त करना दुखद होता है...शायद मुझे भी ऐसा ही ना करना पड़ जाए...

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