मेरी भावना का लोकतन्त्र वह है
जिसमें छोटे से छोटे व्यक्ति की आवाज़ को भी
उतना ही महत्व मिले
जितना एक समूह की आवाज़ को
- महात्मा गांधी
हाय बापू !
पुण्यतिथि का वार्षिक यानी औपचारिक प्रणाम ।
समाचार ये है कि आपको कोई टेन्शन लेने की ज़रूरत नहीं है ।
आप वहां आराम से अपनी बकरी का दूध पीजिये और स्वर्ग का
मज़ा लीजिये, यहाँ सब ठीक चल रहा है । लोकतन्त्र बिलकुल
आपकी भावनाओं को समझ रहा है इसलिए मन्त्री लोगों के
छोटे से छोटे रिश्तेदार को भी उतना ही महत्व दिया जा रहा है
जितना कि बड़े बड़े जन समूह को दिया जाना चाहिए । ख़ासकर
10 जनपथ से तो अगर कोई कुत्ता भी आ जाये सूंघते हुए तो
अच्छे अच्छे अधिकारियों और कर्मचारियों की पतलूनें गीली हो
जाती हैं
बापू ,
अब हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच
ही नीच है इसलिए चिन्ता की कोई बात नहीं है । देश बहुत तरक्की
कर चुका है । आप ख़ुद ही सोचो जिस देश में 20 रूपये लीटर पानी
बिक रहा है, जिस देश के समृद्ध किसान सिर्फ़ इसलिए आत्महत्याएं
कर रहे हैं ताकि स्वर्ग में जा कर रम्भा का नृत्य देख सकें क्योंकि
मुम्बई में आजकल डान्स बार बन्द हैं और किसान व मज़दूर इतने
रईस हो गये हैं कि बिना अय्याशी किये रह ही नहीं सकते उस देश
की ख़ुशहाली के क्या कहने ।
ख़बरें अभी और भी हैं लेकिन मुझे शाम के लिए बाटली का इन्तज़ाम
करना है इसलिए नमस्कार आज तक - इन्तज़ार कीजिये अगली
बार तक. . .
जय हिन्द
www.albelakhatri.com
10 comments:
"आप टेन्शन मत लीजिये बापू ! हमारे यहाँ लोकतन्त्र में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच ही नीच है"
आपने सच में मेरे दिल की बात कह दी खत्री साहब वो भी खुले तौर पर निर्भीक होकर , आपका लाख-लाख शुक्रिया !
तुम्हारी निर्भीकता को सलाम भाई ! ठीक बात पहली ही लाइन में :-))!
"हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच
ही नीच है"
सही लिखा. महात्मा गाँधी को श्रद्धाँजली.
बात लोकतंत्र की की है तो क्या गाँधी लोकतांत्रिक थे?
“गांधी जी कहते हे राम!” (
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
albela ji , bahut hi jabardasht ... padhkar dil khush ho gaya .. badhai
कोई भी इसे अन्यथा ना ले। पर अलबेलाजी एक बात साफ करनी थी कि स्वर्ग में बकरी बापूजी के साथ गयी या................
संजय भाई से सहमत हूँ ।
सब नीच
ही नीच है
सही लिखा.
अब हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच
ही नीच है इसलिए चिन्ता की कोई बात नहीं है
-बहुत सही!!
बापू को नमन!
अलबेला जी,
दुःख की बात तो है कि आपके सभी कथनों से सहमत होना पड़ रहा...लोकतंत्र और गाँधी जी के साथ हम सभी के लिए इससे ज्यादा शर्मिंदगी की क्या बात हो सकती
Post a Comment