( सूरत में घटी एक शर्मनाक घटना पर )
पत्तियाँ
गुलाब
की
कुछ
यूँ
झर
रही
हैं
मानो
कमसिन
किशोरियां
अपनी
लाज
बचाने
के
लिए
आत्मघात
कर
रही
हैं
-अलबेला खत्री
यह रचना लेखक द्वारा अपनी माँ-बहन
को पढ़ा दी गयी है ।
उन्हें कोई आपत्ति नहीं है ।
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
2 comments:
मार्मिक...
आपकी साईट पर जा के खुद को वोटिंग के लिए रजिस्टर तो कर दिया था लेकिन अभी तक कनफर्मेशन का मेल नहीं आया है :-(
बढ़िया प्रतीक लेकर परिवेश का चित्रण किया है।
बधाई!
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