Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

अशोक चक्रधर, अलबेला खत्री और सटासट रेज़र..........



पता नहीं क्यों आज अशोक चक्रधर की याद बहुत रही है वैसे

याद इसलिए भी रही है कि तीन महीने पहले अहमदाबाद के

मेरे मित्र राजकुमार भक्कड़ ने मुझे दो दर्जन रेज़र दिये थे, वे

आज ख़त्म होने को आये हैं



आप सोचेंगे कि रेज़र के ख़त्म होने से अशोक चक्रधर की याद

का क्या लिंक है ?


लिंक है भाई, बहुत गहरा लिंक है क्योंकि हम दोनों का रिश्ता

रेज़र का ही रिश्ता है दरअसल अशोक और मैं अब तक कुल 6

बार मिले हैं और हर बार अशोक चक्रधर ने मुझसे एक ही चीज़

मांगी है - प्लास्टिक वाला सटासट रेज़र !


कल्याण में, मुम्बई में, खंडवा में, सतना में, हैदराबाद में या

लखनऊ में, जहाँ भी हमारी मुलाक़ात हुई, उन्होंने सदा एक ही

बात कही- " भाई अलबेला ! आपके पास कोई एक्स्ट्रा रेज़र हो,

तो दो ना .....मैं आज लाना भूल गया " मैं हर बार उन्हें अपना

नया रेज़र देकर ख़ुद पुराने से शेव बनाता रहा हूँ


इस बार कहीं मिल गये तो रेज़र बाद में दूंगा, पहले पिछले रेज़रों

के पैसे मांगूंगा... हा हा हा हा


8 comments:

राजीव तनेजा January 5, 2010 at 1:58 AM  

हा...हा..हा...

बढिया संस्मर्ण

Udan Tashtari January 5, 2010 at 6:16 AM  

हा हा!! ऐसे ही स्मरण यादगार कहलाते हैं.


’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

अविनाश वाचस्पति January 5, 2010 at 6:35 AM  

लेकिन आपने राज खोल दिया है
अपनी कलम से बोल दिया है
अगली बार मिलेंगे तो
हम जितनी बार मिले हैं
उनका हिसाब देना होगा
हमारे खाते में भी
नये रेजर जमा कराने होंगे
बनाने न कोई बहाने होंगे

Kusum Thakur January 5, 2010 at 8:21 AM  

हा ..हा ..हा ..आभार !!

विवेक रस्तोगी January 5, 2010 at 7:20 PM  

चलो ये तो पता चल गया कि आपके पास एक रेजर एक्स्ट्रा रहता है :)

Unknown January 7, 2010 at 11:32 PM  

ek hee aadmee 2 razor kyu rakhgaa hai
daadhee hee to banaanee hai naa

अविनाश वाचस्पति January 7, 2010 at 11:53 PM  

@ हरि शर्मा

मूंछों के लिए अलग
और दाढ़ी के लिए अलग
अब से रखेंगे
मित्रों के लिए अलग
अलग में ही तो है लग
कैसे बच पायेंगे।

Unknown January 8, 2010 at 12:02 AM  

दो क्या तीन भी रखने पड़ते हैं कई बार तो..........
लगातार प्रोग्राम होते हैं तो पिटारे में सब टिंड फोड़ी भरपूर रखने पड़ते हैं

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive