घृणित कहो
बर्बर कहो
जघन्य कहो
शर्मनाक कहो
अमानुषी कहो
घिनौना कहो
बहुत से शब्द हैं, कुछ भी कहो
लेकिन बलात्कार को पाशविक मत कहो
मुझे दु:ख होता है
बड़ा दु:ख होता है
मैं पशु नहीं
लेकिन पशुओं को जानता हूँ
वे ऐसा नहीं करते
कभी नहीं करते ........................
उन्होंने सीखा ही नहीं ऐसा करना
ये महारत तो केवल मानव ही करता है
और कर सकता है
क्योंकि
अभी केवल मानव ही इतना सभ्य
और विकसित हुआ है
इसलिए
देखो ओ दीवानों तुम ये काम न करो
पशुओं का नाम बदनाम न करो
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
बिल्कुल सही बात!
मैं मनुष्यता को सुरत्व की जननी भी कह सकता हूँ!
किन्तु मनुष्य को पशु कहना भी कभी नहीं सह सकता हूँ।
मैथिलीशरण गुप्त
मान गए उस्ताद ! क्या बेवाकी से इतना मारक व्यंग्य किया है..... जहाँपनाह तुस्सी ग्रेट हो !! सच में जो मनुष्य एक नारी के शील, मर्यादा और भावनाओं का क़द्र ना जाने वो तो पशु से भी गिरा है !!!! बहुत बढियां !!!!!!!
Are wah albela ji...mast likha ha..zabardast...
aji me toh kehti hu PETA walo ko dikha dijiye...khush hoke aapko apna BRAND AMBASSADOR bna lenge ji...badiya...
बेबाकी से अपनी बात कहना कोई आपसे सीखे ...
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