दार्शनिक होने का अर्थ
केवल सूक्ष्मविचारक होना नहीं है
या किसी
दर्शन - प्रणाली को चला देना नहीं है
बल्कि यह है कि
हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जाएँ कि
उसके इशारों पर चलते हुए
विश्वास,
सादगी,
स्वतन्त्रता और उदारता का
जीवन
व्यतीत करने लगें
- थोरो
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
सुन्दर विचार धन्यवाद्
बहुत ही सुन्दर विचार!
आज तो लोग दर्शन की बात ज्ञान सीखने सिखाने के लिये न करके महज नाम कमाने के लिये करते हैं।
थोरो नहीं
फिर तो रो
behtareen soch...lajawab
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