सम्मान ?
"सम्मन" के युग में सम्मान ? वो भी लेखकों को ? कौन बेवकूफ़ दे
रहा है भाई ? ज़रा उसका लिंक तो दो...और हाँ ! ये लिंक ठीक से
टाइप तो हो गया न ? नहीं तो फिर नया लफड़ा शुरू हो जाएगा ।
हाँ, तो मैं कह रहा था कि सम्मान ...वो भी लेखकों को ? क्यों भाई !
क्या तीर मार रहे हैं ये, जो इन्हें सम्मान दिया जाये ?
जब बचपन में ही पिताजी ने कह दिया था कि पढोगे, लिखोगे तो
बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होवोगे खराब, तो पढ़े लिखे तो
आलरेडी नवाब हैं, भला नवाबों को सम्मान का शौक़ ही कहाँ ?
नवाबी के तो शौक कुछ अलग होते हैं जिन्हें सार्वजनिक तौर पर
फ़रमाया नहीं जा सकता । इसलिए सम्मान तो उनका करो जो
खेल कूद कर ख़राब हुए हैं । कित्ती बड़ी कुर्बानी की है उन्होंने ?
खेल खेल कर बेचारों ने गोड्डे घिसा लिए हैं तब कहीं जा कर एक
ओवर में 6 छक्के लगे , मज़ाक थोड़े है खेलना...
सम्मान करना है तो पोलिटिकल लोगों का करो ताकि उनके साथ
फोटो वोटो खिंचा कर मोहल्ले में रौब बनाया जा सके...किसी वार्ड
मैम्बर का, एम एल ए का, मन्त्री का करो तो समझ में आता है ।
या किसी सेठिये का करो,
जो कल को चन्दा-वन्दा दे सके राम लीला के लिए....साहित्यकार
इस लायक कब हुए कि उन्हें सम्मान दिया जाये,,,, कमाल की
बेहूदगी मची है । अटल बिहारी वाजपेयी को ही देख लो, जब तक
प्रधान मन्त्री थे, बहुत बड़े कवि थे, सभी बड़े गायक उनकी
कविताओं को गाने के लिए मरे जा रहे थे, जगजीत सिंह,
लता बाई, कुमार शानू, शाहरुख़ खान ..पता नहीं कौन कौन 51
कविताओं के मुरीद हो गये थे, लेकिन जब से वे भूतपूर्व हुए हैं,
लोग अभूतपूर्व तरीके से भाग गये हैं । आकाशवाणी वाले भी
नहीं बुला रहे हैं काव्य-पाठ के लिए................
फिर भी अगर ब्लोगर को सम्मान देने का फितूर दिमाग में आया
है तो उन गैंग लीडरों का करो...जो अपनी लप्पुझुउन्नी बातों वाली
पोस्ट पर भी अपने पट्ठों को फोन कर- करके भारी मात्रा में
टिप्पणियां बटोर लेते हैं, उन मुफलिस और सर्वहारा टाइप के
लोगों को क्यों सर चढ़ा रहे हो जिनकी बढ़िया से बढ़िया रचना भी
पाठक को तरस रही होती है, टिप्पणी तो गई भाड़ में.............
अवधिया जी ! आपके शीर्षक से मुझे मेरे खेत के उस अडुए की याद
आगई जो साला न ख़ुद खाता है न ही दूसरों को खाने देता है । बस
रात- दिन खड़ा रहता है खेत में....हा हा हा हा ..
ये हा हा हा हा मैं नहीं कर रहा, गब्बर को देख कर हिजड़ों की फौज
कर रही है ..मैंने तो केवल उनकी पैरोडी की है...पैरोडीकार हूँ न
इसलिए...हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
10 comments:
अलबेला जी...जैसे कमान से निकला हुआ तीर...ज़ुबान से निकली हुई बात कभी वापिस नहीं हो सकती...ठीक वैसे ही...जो हो गया ..उसे यकीनन भुलाया नहीं जा सकता लेकिन ज़िंदगी इसी का नाम है...मिट्टी डालिए ऐसी बातों पर जो मन को उद्वेलित करती हैं और आगे बढ़ते रहिये निरंतर
पता नहीं क्यों, गीता याद आ रही
बी एस पाबला
क्या व्यर्थ की बातों में उलझे हैं आप .. आपके ब्लॉग पर लाग हंसने को आते हैं .. दुखी होने को नहीं !!
अलबेला जी, कोई किसी की बात से प्रभावित होता है तभी टिप्पणी करता है और जितना अधिक प्रभावित होता है उतनी ही बड़ी टिप्पणी करता है। मेरे लिये तो खुशी की बात है कि मेरे पोस्ट ने आपको प्रभावित किया।
मेरे पोस्ट पर आपकी टिप्पणी और इस पोस्ट के लिये आपको धन्यवाद!
albela ji , blogjagat kareeb kareeb waisa hi hai , jaisa samaja hai aur phir samaj me jo kaha nahi jaata , uski bhadaas yahan log nikaal dete hai .. sab kuch bhool jaayiye aur hame haasayiye .. hum to aapki kala ke deewane hai ji ..hansaana kitna bada kaam hai ..
ये दुनिया तुझे हरकदम पे दम देगी !
इंत्कामन "हनी" हंसले |
दुनिया तो तुझको गम पे गम देगी||
सही कहा, गहरा व्यंग्य है।
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सुरक्षा के नाम पर इज्जत को तार-तार...
बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है ?
क्या खत्री साहब, फालतू बातो में वक्त जाया कर रहे हो, रात गई बात गई !
एक शेर से आपका मनोरंजन करता हूँ अर्ज किया है ;
इतने दिनों से जलाने भी नहीं आया ,
जलती हुई आग को बुझाने भी नहीं आया
कहता था साथ जीयेंगे, साथ मरेंगे ,
अब रूठ गई हूँ तो
उल्लू का पट्ठा मनाने भी नहीं आया !
बीती ताहि बिसार दे ओर आगे की सुधि ले......
hanste rahiye .........hansate rahiye.
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