आत्म-स्वरूप में लीन चित्त
बाह्य विषयों की
चिन्ता नहीं करता
जैसे कि दूध में से निकला घी
फिर दुग्ध भाव को प्राप्त नहीं होता
- शंकराचार्य
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
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