छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में दो कलमकार रहते हैं । एक शायर
है और दूसरा कवि । दोनों कहने को आपस में दोस्त हैं लेकिन, सच
पूछो तो नस नस में दुश्मनी भरी है इसलिए दोनों इक - दूजे को नीचा
दिखाने की कोशिश करते रहते हैं । उनका एक मज़ेदार किस्सा---
शायर बोला -
कपास को जब काता तो बन गया वो सूत
कवि की माँ भूतनी और बाप इसका भूत
कवि को बड़ा बुरा लगा, उसने विरोध किया तो शायर बोला - मैंने
तुम्हें थोड़े न गाली दी है । मैंने तो शायरी लिखी है । कवि पंचायत
में गया शिकायत ले कर तो पंचों ने भी यही कहा कि शायर साहेब
ने कविराज को माँ-बाप की गाली नहीं दी है बल्कि शायरी लिखी है
जिसका सुबूत है सूत से भूत की तुक का मिलना।
कवि बेचारा मन मसोस कर रह गया । लेकिन अगले दिन जैसे ही
शायर नज़र आया, कवि ने कहा-
रुई की बनाई पुरनी, पुरनी से काता सूत
शायर की माँ चुड़ैल.....
अबके शायर भड़क गया तो कवि बोला - मैंने तुम्हें गाली नहीं दी
है । मैंने तो कविता लिखी है । शायर भी अपनी शिकायत लेकर
पंचायत में गया तो पंचों ने कहा कि शायर ठीक कहता है । कवि
ने जान बूझ कर शायर को माँ की गाली दी है । कवि बोला - गाली
कहाँ ? ये तो कविता है । पंच बोले- कविता है तो तुक क्यों नहीं
मिल रही ? तो कवि बोला तुक तो मिली है लेकिन तुमने पूरी
कविता सुनी नहीं । पंच बोले- ठीक है पूरी सुनाओ ! अगर तुक नहीं
मिली, तो सज़ा मिलेगी......
कवि बोला- पूरी कविता इस प्रकार है :
रुई की बनाई पुरनी, पुरनी से काता सूत
शायर की माँ चुड़ैल और पंचों का बाप भूत .....हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
हा-हा-हा-हा-हा, इसे कहते है कवि के दिमाग की खुरापात :)
ha..ha.. panchon ki watt lagaa di!!!
अरे! सारे पंचों का एक ही बाप था?
वो भुत जरुर सरपंच था (पंचों का बाप)
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