आजकल हर तरफ़ 377 के हटने
या यूँ समझो,
समलैंगिंग लोगों के ही चर्चे छाए हुए हैं ।
ऐसे में कई सादा लोग भी
लोगों के तानों के कारण
शर्मिन्दगी का शिकार हो रहे हैं ।
एक सादा व्यक्ति
दर्ज़ी के पास गया पतलून सिलाने
तो नाप लेने के बाद
टेलर मास्टर ने पूछा - क्यों भइया !
ज़िप एक तरफ़ लगाऊं
या दोनों तरफ़ ?
________हा हा हा हा हा हा आहा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
14 comments:
चलने के अंदाज़ से पता नहीं चला
हा हा हा हा
धन्य हो महाराज आपकी ली्ला अपरम्पार है-सुबह से ही पंच-पंच दिये जा रहे हो-अति आनंद उर समात-जय हो
hahahahaahhahahahaha
बहुत धारदार है।
करारा व्यंग्य कसा है।
जिन्दाबाद!!
हा हा हा , व्यस्तता के कारण आपसे लाभान्वित ना हो सका,अब में देवबंद वालों की घुच्ची गीली करके आगया, बस अब तो आप की रचनाओ से प्रेरणा प्राप्त करनी है,
चटका न. 3 मार चुका धन्यवाद की आवश्यकता नहीं
धन्यवाद प्यारे भाई !
आवश्यकता हो न हो, एक फ़र्ज़ तो है ही ...........
कैसा रहा आपका सम्मेलन ?
अच्छा ही रहा होगा.....ऐसा विश्वास है मेरा ....
__बधाई !
ह्म्म्म्म्म्म..... बढ़िया !
अब टेलरों के मेनू में एक चीज की और बढोतरी हो गई वहीँ पैसे वसूलने का एक और उपाय !!!
अलबेला जी बार बार गीला करने वालों के लिये दर्जी रिमोर्ट वाली जिप भी लगा सकते हैं क्या?
सम्मान के लिये धन्यवाद, अच्छा रहा वह सम्मेलन वेसे वह आज है, नाकाम में तो अधिकतर रहता ही नहीं, अपने को करना क्या होता है, इधर उधर देखो और करदो गीली, राज की बात हैं क्या बताउं बस इशारों में कहूं तो दो उर्दू के बडे अखबारों में आज अपना गुनगाण हो रहा है, जबकि होना चाहिये था उनका (जमियत देवबंद सम्मेलन) जिन्होंने शायद करोड खर्च कर दिये होंगे,वहां सच में आपकी बडी याद आती थी जो कार्यवाही मैं कर रहा था उसके लिये आपका दिया शब्द सर्वोत्तम था 'घुच्ची गीली करना'
लेकिन अलबेजा जी में घुच्ची गीली ना करूं तो क्या करूं ब्लागवाणी नाम का डंडा सबके पास है, वह अपने पास नहीं, जब डंडा नहीं तो गुल्ली उडाने का खेल कैसे दिखाउं, पता नहीं मैं नालायक हूं या मुझे इसलिये डंडा नहीं दिया जा रहा कि इधर नालायक हैं,
बहुत तीखा वार!!
आपके दुसरे ब्लॉग पर कवाली सुनी NDTV वाली पर कमेन्ट बॉक्स नहीं खुल रहा था | बहुत शानदार कवाली थी मजा आ ही गया नेता को सांप दसे या सांप को नेता दसे मरना सांप को ही है.. बहुत ही उम्दा थी और आपका फिर पार्टियों का नाम गलियों की तरह बताना सचमुच बहुत अच्छा लगा!!!
अब इन्हें पेंट की नहीं स्कर्ट की जरूरत है.....!!!!
हा..हा..हे..हे..हो..हो..
हा हा हा हा हा।
सटीक व्यंग्य
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