थपेड़े
बहुत झेले उसने वक्त के
दाग़
बहुत से देखे उसने रक्त के
जम्हूरियत को
तिल तिल जलते देखा उसने
सियासत को
बहुत नीचे फिसलते देखा उसने
देखा,
मगर देख कर चुप रहा नहीं
शिखंडियों की तरह सब सहा नहीं
वो अड़ गया
वो भिड गया
वो अड़ा रहा
सबको ख़बर देने के लिए
वो भिड़ा रहा
सबकी ख़बर लेने के लिए
साँस टूट गई, मगर वो नहीं टूटा
मरते दम तक कलम नहीं छूटा
वो दीवाना क्रिकेट का
कल की हार का सदमा झेल नहीं पाया
खेला तो बहुत करीने से
पर वह शतकीय पारी खेल नहीं पाया
मन मेरा आज बहुत उदास है
भीतर तक दर्द का एहसास है
हादिसा कुछ ऐसा गुज़र गया है आज
मानो मेरा कुछ हिस्सा मर गया है आज
मैं उस नरपुंगव प्रभाष जोशी का वन्दन करता हूँ
तन से और मन से विनम्र अभिनन्दन करता हूँ
ज़िन्दाबाद, प्रभाष जोशी ज़िन्दाबाद !
धन्यवाद है ब्लोगवाणी को धन्यवाद !!
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
-
शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
जी आपने अच्छे से अपना दर्द बयान किया है
सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से जोशी जी को शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !
विनम्र श्रद्धांजली ... ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति बक्शे
प्रभाष जी को शत शत नमन और श्रधांजलि !!!
Post a Comment