अदावत नहीं
आ
दावत की बात कर
अलगाव की नहीं
आ
लगाव की बात कर
नफ़रत नहीं
तू
उल्फ़त की बात कर
बात कर रूमानियत की
मैं सुनूंगा
बात कर इन्सानियत की
मैं सुनूंगा
मैं न सुन पाऊंगा तेरी साज़िशें
रंजिशें औ खूं आलूदा काविशें
किसने सिखलाया तुझे संहार कर !
कौन कहता है कि पैदा खार कर !
रे मनुज तू मनुज सा व्यवहार कर !
आ प्यार कर
आ प्यार कर
आ प्यार कर
मनुहार कर
मनुहार कर
मनुहार कर
सिंगार बन तू ख़ल्क का तो खालिकी मिल जायेगी
ख़ूब कर खिदमत मुसलसल मालिकी मिल जायेगी
पर अगर लड़ता रहेगा रातदिन
दोज़ख में सड़ता रहेगा रातदिन
किसलिए आतंक है और मौत का सामान है
आईना तो देख, तू इन्सान है ..... इन्सान है
कर उजाला ज़िन्दगी में
दूर सब अन्धार कर !
बात मेरी मानले तू
जीत बाज़ी,हार कर !
प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर !
प्यार में मनुहार कर ..रसधार कर ... उजियार कर !
- अलबेला खत्री
6 comments:
बहुत खूब, प्यार कर, प्यार कर
वाकई सबकुछ प्यार में ही तो रखा है पता नहीं ब्लागरस कब समझेंगे?
प्यार का पैगाम देती हुई बहुत सुन्दर रचना!
Albela ji apkii yeh post mere dil men kahin bahut gahre se baithe BHAV KII<> GAHARII ICHHA<>MERE RANGIIN SAPNON KII SASHAKT ABHIVYAKTI HAI><
DHANYA VAD
AAP KRIPA KARKE AISII HII POST BAR BAR LIKHAA KHAREN
AISII HII POST BAR BAR LIKHAA KHAREN
AISII HII POST BAR BAR LIKHAA KHAREN
SACH MEN BAHUT MAJA AYEGA
MERII VINATII SWEEKAR KAREN
Apka Shiv Ratan Gupta
09685885624
प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर !
प्यार में मनुहार कर ..रसधार कर ... उजियार कर !
सारी दुनिया में इससे बढ़िया सन्देश दूसरा नही हो सकता।
शुभकामनाएँ!
सीख देती शानदार रचना
प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर !
प्यार में मनुहार कर ..रसधार कर ... उजियार कर !
वाह्! अल्बेला जी....शायद कविता के माध्यम से प्रेम,सद्दभाव का इससे बेहतरीन कोई संदेश नहीं हो सकता.....
लाजवाब्!
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