अपनी अनोखी भाषा, गहन विद्वता और मुखर पत्रकारिता के बल से
न केवल राजनीति बल्कि साहित्य, संस्कृति और खेल जगत में भी
धूम मचा देने वाले लेखनी के धनी और वाक कला के प्रखर श्लाका पुरूष
प्रभाष जोशी का निधन ऐसे कठिन समय में हुआ है जब उनकी
सर्वाधिक आवश्यकता थी ।
उनके देहान्त से उस शम्मे-उम्मीद की लौ मद्धम हो गई है जिसकी
रौशनी में देश की पतनोन्मुखी पत्रकारिता को सही दिशा देकर दशा
सुधारने की आस बँधी हुई थी।
यों तो दादा प्रभाषजी से अनेक बार मिलना हुआ । अनेक बार उन्हें
सुनने और सुनाने का अवसर मिलता रहा लेकिन उनके साथ यात्रा
करने का सौभाग्य सिर्फ़ एक बार मिला जो कि सदैव सदैव के लिए मेरे
हृदय पटल पर अंकित है ।
मैं बुलन्द शहर में लाफ़्टर शो करके दिल्ली से कोटा आ रहा था और
प्रभाष जी मुंबई आ रहे थे।
अगस्त क्रान्ति एक्सप्रेस के रवाना होने के 10 मिनट पहले ही प्रभाषजी
दायें हाथ में सामान और बाएँ हाथ में पानी की बोतल लिए अपनी बोगी
के पास पहुँच चुके थे । व्यक्तित्व इतना सादा कि किसी का ध्यान ही नहीं
गया उनकी तरफ़ लेकिन मैंने उन्हें देखते ही मौका लपक लिया।
चूँकि मेरी बोगी अलग थी और उन्हें आराम भी करना था सो उनकी
निजता में ज़्यादा दखल देना मुझे भाया नहीं, परन्तु दिल्ली से मथुरा
तक जो उनके साथ वार्तालाप हुआ उसने मुझे भीतर तक ऊर्जा से भर
दिया । पहली बार मुझे ऐसा लगा कि बेटा अलबेला ! आज आया है
ऊंट पहाड़ के नीचे..............
उस महान आत्मा को मेरी सादर श्रद्धांजली व उनकी सदगति के लिए
प्रभु से विनम्र प्रार्थनायें ।
मनहरजी की दो पंक्तियाँ याद आती हैं ............
समय नदी की धार कि जिसमे
सब बह जाया करते हैं
पर होते हैं कुछ लोग , जो
इतिहास बनाया करते हैं
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
3 comments:
प्रभाष जी को विनम्र श्रधांजली
yahi jiwan hai albela ji..aana aur jaana aur kuch mahan logo dwara itihaas banana...badhiya sansmaran
प्रभाष जी विचारों के रूप में सदा साथ रहेंगे। विनम्र श्रद्धांजलि।
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