हिन्दू लोग कबीर जी का दोहा कहते हैं :
"जाको राखे साइयां, मार सके न कोय
बाल न बांको कर सके जो जग बैरी होय "
और मुस्लिम भाई मानते हैं
"फ़ानूस बन कर जिसकी हिफ़ाज़त हवा करे
वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे ख़ुदा करे"
मैं समझता था कि मैं इन का मतलब यानी भावार्थ जानता हूँ लेकिन मैं भ्रम
में था । इसका अस्ल मतलब तो मैंने आज जाना है, जाना भी है और माना
भी है कि हाँ ! "वो शमा क्या बुझे रौशन जिसे ख़ुदा करे"
वो शमा तब तक जलती रही, जब तक कि सारा पेट्रोल ख़त्म नहीं हो गया ।
बहुत कोशिश की सरकार ने, फौज ने, अग्नि विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों
ने । न आसाराम बापू की तान्त्रिक विद्या काम आई न, न घुंघराले बालों
वाले सत्य साईं बाबा ही कुछ कर सके और तो और वो "तेज़ तारे" वाली
तेज़ तर्रार नयनाकर्षक बाई भी बता नहीं पाई कि कौन से कुत्ते को
अदरक का अचार खिलाने या रेगिस्तान के किस ठूंठ में भेड़ के दूध से
स्वस्तिक बना कर लाल कपड़े की चिन्दी किस को दान करने से
आग बुझेगी... पूरा देश पाँच दिन परेशान रहा कि "ये आग कब बुझेगी"
जैसे अनेक मित्र पूछ रहे हैं कि मेरे ब्लॉग से " छाती से छाती मिली"
वाली पहेली कब हटेगी या एक नारी ब्लोगर लगातार चिटठा चर्चा वालों
से पूछ रही है कि उनकी टिप्पणियाँ कब हटेगी या जैसे मैं दो दिन तक
चिल्लाता रहा कि कविता वाच्न्क्वी वाली (पोस्ट में) ललनाओं की छाती
कब दिखनी बन्द होगी..इत्यादि इत्यादि ...........
शमा बुझती भी कैसे ?
ख़ुदा ने जो रौशन किया था । अरे भाई देवताओं और देवियों के जागने
की दिवाली है ...मज़ाक समझा है क्या ? नकली घी और नकली तेल के
दीये जलाना हमारी मजबूरी हो सकती है , देवताओं की नहीं ........उन्होंने
तो एक ही दीया जला कर इतना धुआं कर दिया जितना हम करोड़ों के
पटाखे फोड़ के भी नहीं कर पाये।
वाह रे देवताओं ! धन्य हो ! शास्त्रों में सही लिखा है कि देवता लोग मनुष्य
योनि में आने के लिए तरसते हैं । क्योंकि जो मज़ा इसमें है वह उसमे कहाँ ?
काश ! हम लोगों ने नकली तेल के बजाय असली तेल के दीये जलाए होते
अर्थात वैमनस्य, बैर, झूठ, कपट, चोरी और व्यभिचार तथा शोषण को
जला दिया होता तो.... आज जयपुर के सीतापुर में इतना बड़ा दिवाला न
मना होता ।
अभी भी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है, बहुत कुछ शेष है और जो शेष है वो
ही विशेष है .........हम सुधर जाएँ तो अच्छा है वरना अल्लाह मालिक !
- क्षमायाचना सहित अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
16 comments:
अच्छा व्यगं है ।
bahut sundar tarike se aapne aainaa dikhayaa hai !!!
आपकी जागरूकता को सलाम!
बहुत गूढ़ बात कह जाते हो मित्रवर!
hmm....
बातें निराली हैं भय्या आपकी....
लाजवाब। बेहतरीन रचना.....
गुरूजी से छात्र का सवाल - कृपया सन्दर्भ सहित व्याख्या करें ।
शरद जी सही कि तलाश में गलत जगह पहुँच गए हैं
ये तो कबीर दास भी कह गए हैं कि इस सफ़ेद से दुनियादारी चल रही है पर आप ज्यादा गंभीर हो गए हैं. अलबेला जी ने तो सिर्फ उपरी और साफ़ बात ही की है.
वाह क्या बात है, लेकिन एक बात समझ नही आई छाती से छाती वाली??
वाह खत्री जी वाह क्या बात है! इस लाजवाब और उम्दा रचना और शेर के लिए बधाई! ये शेर तो मेरा मनपसंद है-
फानूस बनकर जिसकी हिफाज़त हवा करे
वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे खुदा करे !
कुछ समझ में नहीं आया मान्यवर !
http://www.esriindia.com/~/media/esri-india/files/pdfs/events/uc2011/papers/DM_UCP0014.pdf
Yellow k allawa aur colour ni mila dirty fellow
Brilliant words of wisdom
बजठ ठःफंठं
ठिठुरते ल षद।दब
दठध न
नबधसध
धठृडडृडडैझैझैडृबृसठध ध
धफधहडधृ
ऋषि
ऋठृहफृहृ
बहुत ही सुंदर बातें हैं ❤
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