Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

"जाको राखे साइयां" और "फ़ानूस बन कर" का मतलब अब समझ आया मूर्ख हास्य कवि अलबेला खत्री को

हिन्दू लोग कबीर जी का दोहा कहते हैं :


"
जाको राखे साइयां, मार सके कोय

बाल बांको कर सके जो जग बैरी होय "


और मुस्लिम भाई मानते हैं


"
फ़ानूस बन कर जिसकी हिफ़ाज़त हवा करे

वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे ख़ुदा करे"


मैं समझता था कि मैं इन का मतलब यानी भावार्थ जानता हूँ लेकिन मैं भ्रम

में था इसका अस्ल मतलब तो मैंने आज जाना है, जाना भी है और माना

भी है कि हाँ ! "वो शमा क्या बुझे रौशन जिसे ख़ुदा करे"


वो शमा तब तक जलती रही, जब तक कि सारा पेट्रोल ख़त्म नहीं हो गया

बहुत कोशिश की सरकार ने, फौज ने, अग्नि विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों

ने आसाराम बापू की तान्त्रिक विद्या काम आई , घुंघराले बालों

वाले
सत्य साईं बाबा ही कुछ कर सके और तो और वो "तेज़ तारे" वाली

तेज़ तर्रार नयनाकर्षक बाई भी बता नहीं पाई कि कौन से कुत्ते को

अदरक का अचार खिलाने या रेगिस्तान के किस ठूंठ में भेड़ के दूध से

स्वस्तिक बना कर लाल कपड़े की चिन्दी किस को दान करने से

आग बुझेगी... पूरा देश पाँच दिन परेशान रहा कि "ये आग कब बुझेगी"

जैसे अनेक मित्र पूछ रहे हैं कि मेरे ब्लॉग से " छाती से छाती मिली"

वाली पहेली कब हटेगी या एक नारी ब्लोगर लगातार चिटठा चर्चा वालों

से पूछ रही है कि उनकी टिप्पणियाँ कब हटेगी या जैसे मैं दो दिन तक

चिल्लाता रहा कि कविता वाच्न्क्वी वाली (पोस्ट में) ललनाओं की छाती

कब दिखनी बन्द होगी..इत्यादि इत्यादि ...........


शमा बुझती भी कैसे ?

ख़ुदा ने जो रौशन किया थाअरे भाई देवताओं और देवियों के जागने

की दिवाली है ...मज़ाक समझा है क्या ? नकली घी और नकली तेल के

दीये जलाना हमारी मजबूरी हो सकती है , देवताओं की नहीं ........उन्होंने

तो एक ही दीया जला कर इतना धुआं कर दिया जितना हम करोड़ों के

पटाखे फोड़ के भी नहीं कर पाये


वाह रे देवताओं ! धन्य हो ! शास्त्रों में सही लिखा है कि देवता लोग मनुष्य

योनि में आने के लिए तरसते हैंक्योंकि जो मज़ा इसमें है वह उसमे कहाँ ?



काश ! हम लोगों ने नकली तेल के बजाय असली तेल के दीये जलाए होते

अर्थात वैमनस्य, बैर, झूठ, कपट, चोरी और व्यभिचार तथा शोषण को

जला दिया होता तो.... आज जयपुर के सीतापुर में इतना बड़ा दिवाला

मना होता


अभी भी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है, बहुत कुछ शेष है और जो शेष है वो

ही विशेष है .........हम सुधर जाएँ तो अच्छा है वरना अल्लाह मालिक !


- क्षमायाचना सहित अलबेला खत्री




16 comments:

Vinashaay sharma November 4, 2009 at 7:41 PM  

अच्छा व्यगं है ।

Murari Pareek November 4, 2009 at 7:48 PM  

bahut sundar tarike se aapne aainaa dikhayaa hai !!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' November 4, 2009 at 8:07 PM  

आपकी जागरूकता को सलाम!
बहुत गूढ़ बात कह जाते हो मित्रवर!

लोकेन्द्र विक्रम सिंह November 4, 2009 at 8:19 PM  

hmm....
बातें निराली हैं भय्या आपकी....

Mithilesh dubey November 4, 2009 at 8:29 PM  

लाजवाब। बेहतरीन रचना.....

शरद कोकास November 4, 2009 at 9:58 PM  

गुरूजी से छात्र का सवाल - कृपया सन्दर्भ सहित व्याख्या करें ।

के सी November 4, 2009 at 11:48 PM  

शरद जी सही कि तलाश में गलत जगह पहुँच गए हैं
ये तो कबीर दास भी कह गए हैं कि इस सफ़ेद से दुनियादारी चल रही है पर आप ज्यादा गंभीर हो गए हैं. अलबेला जी ने तो सिर्फ उपरी और साफ़ बात ही की है.

राज भाटिय़ा November 5, 2009 at 12:32 AM  

वाह क्या बात है, लेकिन एक बात समझ नही आई छाती से छाती वाली??

Urmi November 5, 2009 at 7:16 AM  

वाह खत्री जी वाह क्या बात है! इस लाजवाब और उम्दा रचना और शेर के लिए बधाई! ये शेर तो मेरा मनपसंद है-
फानूस बनकर जिसकी हिफाज़त हवा करे
वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे खुदा करे !

शिवम् मिश्रा November 5, 2009 at 12:52 PM  

कुछ समझ में नहीं आया मान्यवर !

Mahesh May 2, 2018 at 12:05 AM  

http://www.esriindia.com/~/media/esri-india/files/pdfs/events/uc2011/papers/DM_UCP0014.pdf

Unknown November 25, 2018 at 11:41 PM  

Yellow k allawa aur colour ni mila dirty fellow

bala March 6, 2021 at 1:28 PM  

Brilliant words of wisdom

Anonymous December 12, 2022 at 9:13 PM  

बजठ ठःफंठं

Anonymous December 12, 2022 at 9:13 PM  

ठिठुरते ल षद।दब
दठध न
नबधसध


धठृडडृडडैझैझैडृबृसठध ध
धफधहडधृ
ऋषि

ऋठृहफृहृ

Harsita February 14, 2023 at 7:36 AM  

बहुत ही सुंदर बातें हैं

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive