[Albelakhatri.com] New comment on लौ जी भाग गया काशिफ़ आरिफ़ ! सभी शान्ति प्रिय....
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| show details Nov 22 (2 days ago) |
काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif has left a new comment on your post "लौ जी भाग गया काशिफ़ आरिफ़ ! सभी शान्ति प्रिय...":
क्या बात है अलबेला जी....सारा देशभक्ति का नाटक सिर्फ़ टिप्पणियां पाने के लिये था क्या.....24 घन्टे गुज़रते ही सारा नशा, सारा सुरुर उतर गया....
अरे अपने ऊपर इतना भी भरोसा नही था की खुलकर चैलेन्ज भी कर देते....इतना डर लग रहा था क्या???
मेरा यु.पी.एस. खराब था उन दिनों इसीलिये मेरा लेख भी देर से प्रकाशित हुआ....लेकिन अगर आपको अपने ऊपर इतना यकीन था तो एक बार ई-मेल कर देते अल्लाह का करम है ई-मेल तो रोज़ चेक करते है...घर पर ना सही तो कैफ़े में जाकर लेकिन देखते ज़रुर है.....मेरा ई-मेल एड्रेस तो मेरे हर ब्लाग पर मौजुद है.....कुछ नही तो एक टिप्पणी ही कर देते....
Posted by काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif to Albelakhatri.com at November 22, 2009 7:19 PM
क्या बात है अलबेला जी....सारा देशभक्ति का नाटक सिर्फ़ टिप्पणियां पाने के लिये था क्या.....24 घन्टे गुज़रते ही सारा नशा, सारा सुरुर उतर गया....
अरे अपने ऊपर इतना भी भरोसा नही था की खुलकर चैलेन्ज भी कर देते....इतना डर लग रहा था क्या???
मेरा यु.पी.एस. खराब था उन दिनों इसीलिये मेरा लेख भी देर से प्रकाशित हुआ....लेकिन अगर आपको अपने ऊपर इतना यकीन था तो एक बार ई-मेल कर देते अल्लाह का करम है ई-मेल तो रोज़ चेक करते है...घर पर ना सही तो कैफ़े में जाकर लेकिन देखते ज़रुर है.....मेरा ई-मेल एड्रेस तो मेरे हर ब्लाग पर मौजुद है.....कुछ नही तो एक टिप्पणी ही कर देते....
Posted by काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif to Albelakhatri.com at November 22, 2009 7:19 PM
[Albelakhatri.com] New comment on बहुत देर कर दी काशिफ़ आरिफ़ ! धनुष तो कब का ट....
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| show details 8:51 AM (6 hours ago) |
काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif has left a new comment on your post "बहुत देर कर दी काशिफ़ आरिफ़ ! धनुष तो कब का ट...":
अब ये बात फ़ोकट की हो गयी...इससे पहले तो बडा गरज रहे थे.....जब दो पोस्टों पर अच्छी तरह शाबाशी मिल रही थी तब तो ये बात फ़ोकट की नही थी.....
क्या बात है "गन्दगी फ़ैलाने वाले पर पत्त्थर नही मारना क्या"???
अरे फ़िर गन्दगी तो फ़ैलती रहेगी...
आपके उन दो लेखों से द्वेष नही फ़ैला????? अब द्वेष याद आ रहा है????
चलिये कोई बात नही आपने एक लेख लिखकर चैलेन्ज दिया वो भी सिर्फ़ 24 घन्टे के लिये....
एक चैलेन्ज मैं आपको देता हूं कि जब आप रोज़ी-रोटी कमा चुकने और दिन में पांच पोस्ट डालने के बाद अगर आपके पास वक्त बचे तो मुझसे उस चैलेन्ज पर जब चाहे आप बात कर सकते है....
और हां आपने 24 घन्टे का वक्त दिया था......मैं आपको 24 दिन का वक्त देता हूं....वैसे मैं इस चैलेन्ज की कापी आपको ई-मेल भी कर सकता हूं...आपने अपने घर में बैठकर चैलेन्ज दिया था...मैं आपको आपके घर में आकर दे रहा हूं....
Posted by काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif to Albelakhatri.com at November 22, 2009 11:03 PM
अब ये बात फ़ोकट की हो गयी...इससे पहले तो बडा गरज रहे थे.....जब दो पोस्टों पर अच्छी तरह शाबाशी मिल रही थी तब तो ये बात फ़ोकट की नही थी.....
क्या बात है "गन्दगी फ़ैलाने वाले पर पत्त्थर नही मारना क्या"???
अरे फ़िर गन्दगी तो फ़ैलती रहेगी...
आपके उन दो लेखों से द्वेष नही फ़ैला????? अब द्वेष याद आ रहा है????
चलिये कोई बात नही आपने एक लेख लिखकर चैलेन्ज दिया वो भी सिर्फ़ 24 घन्टे के लिये....
एक चैलेन्ज मैं आपको देता हूं कि जब आप रोज़ी-रोटी कमा चुकने और दिन में पांच पोस्ट डालने के बाद अगर आपके पास वक्त बचे तो मुझसे उस चैलेन्ज पर जब चाहे आप बात कर सकते है....
और हां आपने 24 घन्टे का वक्त दिया था......मैं आपको 24 दिन का वक्त देता हूं....वैसे मैं इस चैलेन्ज की कापी आपको ई-मेल भी कर सकता हूं...आपने अपने घर में बैठकर चैलेन्ज दिया था...मैं आपको आपके घर में आकर दे रहा हूं....
Posted by काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif to Albelakhatri.com at November 22, 2009 11:03 PM
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| show details 8:52 AM (6 hours ago) |
काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif has left a new comment on your post "बहुत देर कर दी काशिफ़ आरिफ़ ! धनुष तो कब का ट...":
तो अलबेला जी अगर आपको 24 दिन का वक्त कम लग रहा हो तो एक रास्ता और है मेरे पास.....बगैर कोई समय सीमा का......... आप जब सारे कामों से मुक्त हो जाये और आपके पास सारे सवालों के जवाब हो जिनसे लगता है की आप मुझे सन्तुष्ट कर सकें तो तब जवाब दे दीजियेगा.....
लेकिन बराय महरबानी इस बार जवाब को मुझ तक ज़रुर पहुचां देना...अपने घर पर बैठकर जवाब मत देना....
इन दो आप्शन में से आप जो चाहे चुन लें......
Posted by काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif to Albelakhatri.com at November 23, 2009 9:25 AM
नाक कट चुकी है ,
नकटे सिद्ध हो चुके हैं
पर अभी भी
दिल भरा नहीं है
शायद मज़ा आने लगा है बार-बार नाक कटवाने में.......
क्योंकि कुछ लोगों को
नाक कटने के बाद साँस खुल कर आने लगता है
लेकिन मैं साफ़-साफ़ कह देना चाहता हूँ मियां काशिफ़ आरिफ़ !
फ़िलवक्त एक तो मैं शूटिंग की तैयारी कर रहा हूँ.........
दूसरा घर में भांजे की शादी में 'भात-भरण' को भी जाना है
तीसरा तुम कोई शकीला बानो भोपाली नहीं हो जिससे बहस करके
आनन्द आए......इसलिए बराय मेहरबानी अब मेरे ब्लॉग पर फ़ालतू
किस्म की टिप्पणियां और मेल भेजना बन्द करो........ये मेरा आपको
आखरी सुझाव और विनम्र निवेदन है । क्योंकि जिन किताबों को
पढ़ कर आप अपने आप को पंडित समझ रहे हैं ऐसी कई किताबें मैं
रोज़ घोल कर पी जाता हूँ और डकार भी तब लेता हूँ जब उनमे कोई
नई बात मिलती है......वरना तो ....समझ गए न ?
बन्द करो ये ड्रामा !
कित्ती बार कहा आपसे कि आपकी गाड़ी छूट चुकी है, अब आपकी
किसी भी मेल का या टिप्पणी का कोई जवाब नहीं दिया जाएगा
क्योंकि न काश ! के लिए, न if के लिए,अलबेला खत्री का दरवाज़ा
अब नहीं खुलेगा काशिफ़ के लिए.....
प्लीज़ बार बार कुण्डी खड़काना छोड़ दो..............काम करने दो......
विनीत,
-अलबेला खत्री
7 comments:
अलबेला जी, वाकई आपको फुरसत नहीं वरना हरबार की तरह वह कमेंट भी साथ्ा में देते, मुझे तो आप पर विश्वास है लोग-बाग कहेंगे अपने आप ही पोस्ट बनाये जा रहे हैं,खेर अब भाई काशिफ समझ लेंगे गया वक्त कब हाथ आता है,
आपसे सदैव प्रेरणा का अभिलाषी
जो चटका न. 3 के साथ हाजिर हुआ
कैरानवी
Page Rank-3 Blogger
aapki baat aur aapke sujhaav ka sammaan karte hue maine apni post edit kardee hai - ab sab dikhaai dega.......
chunki aj dhyaan blog par nahin, any baaton par kendrit hai isliye ye chhoot gaya tha..lekin aapne yad dilaaya ..shukriya !
yahi albeli aapki baten hi to hen jinki wajah se ham aapke dar par bethe rehte hen...itni izzat to mene Nida Fazli ji ko bhi nahin de Saka, unhone 10 saal pehle mujhse email ka istemal janna chaha tha tab se dua salam he..
तर्क के आगे कुतर्क की एक न चली!
ये पढ लो सब समझ आ जायेगा...........दम है तो जवाब देना......
http://hamarahindustaan.blogspot.com/2009/11/36.html
अबे खत्री डर क्यों रहा है,जवाब तो दे,अब क्यों औरतो की तरह बहाने बना रहा है,जब चॅलेंज किया था तो अब सामना करो,ये 'देशप्रेम' का नाटक छोड़ कर बेटा अपनी रोज़ी रोटी पर ध्यान दो,
''ज़रा सा लहजे को तब्दील करके देखा था,
पता चला ये दुनिया डर भी सकती है''
lagta hain tum sathiya gaye ho itni sadi huee soch chhih badboo aati hai
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