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Albela Khatri

ख़ुद अपने ही हाथों से न घर में आग लगाओ



फिर
गर्दन आए अपनी गैर मुल्क़ के हाथों में

हो जाये टुकड़े भारत के बातों ही बातों में


जुदा हुआ गर भाई - भाई खानदान फ़िर रहा कहाँ

जुदा हुए कश्मीर-असम तो हिन्दुस्तां फिर रहा कहाँ


मिल-जुल बीते सफ़र हमारा, ऐसी कोई राह बनाओ

हाथ से हाथ मिला के यारो वतन को चमन बनाओ


ख़ुद अपने ही हाथों से घर में आग लगाओ

'अलबेला' इस गुलशन में अब अमन के फूल खिलाओ


12 comments:

Unknown November 12, 2009 at 11:09 AM  

कविता के रूप में एक अति आवश्यक सन्देश!

शिवम् मिश्रा November 12, 2009 at 11:34 AM  

कोई समझे तब बात बने ना !
आज बहुत जरूरी सन्देश दिया है आपने |

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' November 12, 2009 at 11:40 AM  

एकता का सन्देश देती हुई कविता के लिए बधाई!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" November 12, 2009 at 11:42 AM  

कविता तो बहुत सुन्दर है मगर उलेमाओ और राज ठाकरे को सुनाएगा कौन ?

Murari Pareek November 12, 2009 at 11:59 AM  

kis kiss ko samjhayen sab pane apne dhol bajaa rahe hain !!! desh ki fikra chand logon ko hai !!!

निर्मला कपिला November 12, 2009 at 12:00 PM  

बहुत सुन्दर संदेश दिया है आपने बधाई

Urmi November 12, 2009 at 12:26 PM  

मिल-जुल बीते सफ़र हमारा, ऐसी कोई राह बनाओ
हाथ से हाथ मिला के यारो वतन को चमन बनाओ
ख़ुद अपने ही हाथों से न घर में आग लगाओ
'अलबेला' इस गुलशन में अब अमन के फूल खिलाओ !
ये पंक्तियाँ खासकर लाजवाब लगा ! हम सब को मिलजुलकर रहना चाहिए ! आपने बिल्कुल सही कहा है और बहुत ही सठिक संदेश दिया है! अत्यन्त सुंदर रचना!

MANOJ SHARMA November 12, 2009 at 3:51 PM  

जन्मदिन वाला ब्लॉग आज खामोश क्यों है?
आज मनोज शर्मा कार्टूनिस्ट का जन्मदिन है
उनका ब्लॉग cartoontimes.blogspot है
e mail ID man_oj4u@yahoo.com

राज भाटिय़ा November 12, 2009 at 10:09 PM  

आप ने अपनी कविता मै बहुत सुन्दर संदेश दिया... लेकिन इन गुंडो को समझ मै केसे आये...

प्रिया November 12, 2009 at 10:17 PM  

ab aisi kavitayin bhi man ko sukoon nahi deti....abhi to sirf ek madhukoda mila hai......wo to fas gaya ...shayad kisi mahamahim ko khush nahi kar paya.......It's time to take some action......Anyways aapki rachna sunder hai

SACCHAI November 12, 2009 at 11:21 PM  

" bahut dino baad desh bhakti se bharpur kavita padhne ko mili ...is shandar rachana ke liye aapko badhai ...sunder sandesh..."

---- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" November 13, 2009 at 11:57 AM  

गर लोगों की समझ में ये बात आ जाती तो शायद अब तक ये दुनिया स्वर्ग में तब्दील हो चुकी होती.....
सुन्दर संदेशपरक रचना!!

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