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Albela Khatri

राज ठाकरे के नाम - अलबेला खत्री का खुला पैगाम

प्रति,

श्रीमान राज भाऊ ठाकरे,

प्रमुख, महाराष्ट्र नव निर्माण सेना,

मुंबई



प्रसंग
: राष्ट्र भाषा हिन्दी का अपमान

सन्दर्भ
: 09 नवम्बर 2009 की शर्मनाक घटना _____________________________


बन्धुवर
राज भाऊ ठाकरे जी,

जय
महाराष्ट्र !


आशा
है आप सपरिवार सकुशल और सानन्द होंगे,

आगे
भी आपका मंगल हो ऐसी कामना परमपिता

परमात्मा
से करता हूँ


नहीं
नहीं,

मुझे
अबू आज़मी के लिए कुछ नहीं कहना है

अपने गाल पर पड़े चन्द थप्पड़ों का राजनैतिक लाभ

लेने के लिए जो मौका परस्त और बदतमीज़ आदमी

श्रद्धेय
बाला साहेब ठाकरे को बूढा कह कर उनका

निर्लज्जता पूर्वक उपहास कर सकता है, मैं उसे जानता

भी नहीं और जानना चाहता भी नहीं



मैं
तो आपको जानता हूँ


और
अपनी माँ अर्थात मातृभाषा - राष्ट्रभाषा हिन्दी को

जानता
हूँ और उसी सन्दर्भ में आपसे कुछ कहना चाहता

हूँ




राज भाऊ !

ये क्या हो गया आपको ?

क्या
वैर है आपको मेरी माँ से ?

क्यों
इसका अपमान किए जा रहे हो ?

जबकि
मेरी माँ आपकी भी मौसी लगती है

ये बात आप भलीभान्ति जानते हैं


और फ़िर आपका तो पूरा परिवार हिन्दी से जुडा रहा है


याद करो..........

याद
करो राज भाऊ !

मुंबई में जुहू स्थित होटल होली डे इन की वह रात जब

आपके चाचाश्री बाला साहेब ठाकरे के नाती का जन्म

दिवस
मनाया जा रहा थाबच्चे लोग नीचे एन्जॉय

कर
रहे थे और हम वयस्क लोग ऊपर जहाँ श्री बाला

साहेब
के अलावा उनके पुत्रश्री उद्धव जी ठाकरे, स्वयं

आप
, तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरजी जोशी, नारायण

राणे
, शिशिरजी शिंदे और चार हिन्दी के कवि मौजूद थे

जिन
में मैं और मेरे अलावा शैल चतुर्वेदी, आशकरण अटल

और
श्याम ज्वालामुखी शामिल थेउस रात छलकते

जामों
के साथ कितने ठहाके गूंजे थे उस महफ़िल में

जिसमे
स्वयं बाला साहेब ने हम सभी हिन्दी कवियों

की
मिमिक्री करके दिखाई थी और मुख्य मन्त्री को

यह
आदेश दिया था कि इन महारथियों के लिए कुछ

करो
! सारे हिन्दी कवियों के लिए एक ही जगह

आवासीय
कालोनी बना कर उन्हें सम्मानित करो...


आपने
भी इसमे प्रसन्नता ज़ाहिर की थी,,,,,,,,


याद
करो...

मुलुंड
के कालिदास सभागृह में हर साल होने वाले

मार्मिक
के वर्धापन दिवस समारोह को जिसमे हिन्दी

हास्य
प्रस्तुत करने के लिए हम अनेक बार पहुंचे हैं

बड़े
बड़े फ़िल्मी सितारों और राजनैतिक हस्तियों की

चकाचौंध
के बावजूद आपने वहाँ हमें धूम मचाते हुए

देखा
हैयानी मराठा होने के नाते और शिव सैनिक

होने
के नाते हिन्दी से आपको और आपके परिवार को

कोई आपत्ति नहींआपके स्वर्गवासी अग्रजश्री बिन्दु

ठाकरे
ने और अब श्रीमती स्मिता ठाकरे ने अनेक हिन्दी

फिल्मों
का निर्माण किया हैऔर तो और शिव सेना

द्वारा तो हिन्दी अख़बार भी प्रकाशित होता है

"
दोपहर का सामना" तो हम ये कैसे मान लें कि

आपका
वैर हिन्दी अथवा हिन्दी भाषी लोगों से है

क्योंकि
कितने ही हिन्दी भाषी लोग आपसे जुड़े हुए हैं

और
किसी को कोई शिकायत नहीं........आपसे



अबू
आज़मी की पिटाई करने वाले आपके खास साथी

और
अपने क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक शिशिरजी शिंदे

के
हिन्दी प्रेम को कौन नहीं जानता ? शैल चतुर्वेदी जब

तक
ज़िन्दा रहे, हर साल उनका जन्म दिन शिशिरजी के

घर ही मनाया जाता था...... कितने ही मौकों पर हिन्दी

के साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजन भी उन्होंने

कराये
हैं


तो मसला ...हिन्दी और मराठी का नहीं है

और
अगर है तो इससे ज़्यादा दुखदायी बात कोई हो नहीं

सकती
क्योंकि आप अगर मुंबई में हिन्दी भाषियों

को
प्रताड़ित करोगे,तो सोचो ! उन मराठियों का हाल

क्या होगा जो बिहार और उत्तर प्रदेश में रहते हैं

मानलो
यदि आवेश में बिहारियों ने तय कर लिया कि

अब
उनके बिहार और उत्तर प्रदेश में मराठियों को

सब्जीवाला
सब्ज़ी देगा, दूधवाला दूध देगा, अनाज

वाला
अनाज देगा और दवा वाला दवा देगा तो भारी

पड़
जाएगा आपको ! लेने के देने पड़ जायेंगे, कहीं मुंह

दिखाने
लायक भी रहोगे........



क्या
घटिया सा मुद्दा लाये हो सियासत चमकाने का ?

कोई
अच्छा सा सलाहकार रखो मेरे जैसा जो आपको

एक
से बढ़ कर एक idea दे ताकि आपका नाम भी

चमके
देश महाराष्ट्र का नाम भी ऊँचा हो


आप
एक देशभक्त नौजवान हैं

आपकी
देशभक्ति पर कोई सन्देह नहीं है मुझे लेकिन

आपकी
इस प्रकार की मारामारी वाली राजनीति कुछ

ज़्यादा चल पाएगी......ऐसा मुझे नहीं लगता

लिहाज़ा
अपना तरीका बदलो और भारत के लिए काम

करो
.....केवल महाराष्ट्र के लिए नहीं


आज
चीन हमें आँख दिखा रहा है, पाकिस्तान का कसाब

आपके
शहर में रक्तपात करके भी जीवित है, महानगर

में मिलावटी सामान बिक रहा है, अस्पताल कम पड़ रहे

हैं
, मुंबई में हरियाली ख़त्म होती जा रही है और घटिया

पानी
के कारण लोग गेस्ट्रो के शिकार हो रहे हैं पहले

उन्हें
बचा कर अपने भीतर के देशभक्त युवक को सिद्ध

करो
... फ़िर सारा देश तुम्हारा वैसा ही सम्मान करेगा

जैसा
आदरणीय श्री बाला साहेब का करता है.........


जय हिन्द - जय हिन्दी

जय
महाराष्ट्र

वंदे
मातरम्


विनीत
,

आपका
पुराना चाहक

-अलबेला खत्री

19 comments:

श्यामल सुमन November 10, 2009 at 8:16 PM  

अबू आजमी ने दिया मनसे को संदेश।
मन से हिन्दी प्रेम कर नहीं तो होगा क्लेश।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

मनोज कुमार November 10, 2009 at 8:43 PM  

आपने इस विषय पर सूक्ष्मता से चित्रण कर अपने पाठक को बहुमूल्य सूचना संसार दिया है। धन्यवाद।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' November 10, 2009 at 8:45 PM  

वाह खत्री जी!
बहुत बढ़िया लेख लिखा है आपने।
मैं भी आपके सुर में सुर निला देता हूँ-
"राज ठाकरे जी! दर्पँण को झुठलाने से-
चेहरा सुन्दर नही हो सकता है।"

Asha Joglekar November 10, 2009 at 9:45 PM  

हिंदी का राष्ट्रभाषा के रूप में स्थान अटल है पर विधान सभा में अबू आजमी ने सिर्फ इसलिये मराठी में शपथ नही ली क्यूं कि वह चाहते थे
कि पंगा हो वरना चालीस साल आदमी मुंबई में रहे वहां से चुन कर आये और प्रांतीय लोगों का मन रखने के लिये इतना भी न कर सके लानत है । याद करिये इंदिरा गांधी जी को जो जब जिस प्रदेश में जाती भाषा और भूषा दोनो को अपना कर लोगों का दिल जीततीं । राज ठाकरे और मनसे कार्यकर्ता अबू आजमी के झांसे में आगये । पर नुकसान किसका हुआ चार विधायक किसके निलंबित हुए ?

Mohammed Umar Kairanvi November 10, 2009 at 10:06 PM  

बहुत मजा आया, हक अदा कर दिया आपने, किया खूब कही, ऐसे बस आप ही कह सकते थे आपने ही कहा, सारे ब्लागिस्‍तान की तरफ से में आपका शुक्रगुज़ार हूं,
धन्‍यवाद

Anonymous November 10, 2009 at 10:18 PM  

ye baat samajh le har koi ki Zor -zabardasti se aap apni sanskriti kis par nahi thop sakte. Hitlar, Sikandar, Taimur, Nepoliun aur bhi tanashah dhool me mil gaye aur dusaron se jyada apni hi kaum ko badnaam aur barbad kar gaye. marathi log is baat ko jitni jaldi samjhenge utna achchha. Meethi bat aur madhur vyavhar se duniya jiti aur jhukai jati hai.

Anonymous November 10, 2009 at 10:38 PM  

बेहतरीन सामयिक उद्.गार

बी एस पाबला

राजीव तनेजा November 10, 2009 at 10:50 PM  

आपकी बात में दम है

वन्दना अवस्थी दुबे November 10, 2009 at 11:10 PM  

वाह बहुत अच्छे.......

राज भाटिय़ा November 11, 2009 at 12:16 AM  

अलबेला जी यहां किस किस को देगे संदेश.... यहां तो हर गली मे मिलेगे आप को हजारो राज ठाकरे

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" November 11, 2009 at 2:42 AM  

वाह अल्बेला जी, राज ठाकरे जैसे सतालोलुप इन्सान को बहुत अच्छे से आपने आईना दिखाने का प्रयास किया है......लेकिन इन चिकने घडों पर पानी ठहर पाएगा...ऎसी उम्मीद नहीं है ।

Udan Tashtari November 11, 2009 at 6:47 AM  

अच्छा लगा आपका पत्र पढ़ कर.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर November 11, 2009 at 8:11 AM  

"मनसे" ने कहा नहीं होगा हिंदी के प्रति कुछ भी "मन से"

Unknown November 11, 2009 at 9:25 AM  

ईश्वर राज ठाकरे को आपकी बात को समझने की बुद्धि प्रदान करे!

Sudhir (सुधीर) November 11, 2009 at 9:55 AM  

अलबेला जी बहुत सामायिक पत्र - सार्थक विषय - स्पष्ट चर्चा

Urmi November 11, 2009 at 10:50 AM  

आपने बहुत ही अच्छा और दमदार संदेश दिया है ! काश आपकी बात को राज ठाकरे समझ पाता!

Pramendra Pratap Singh November 11, 2009 at 12:17 PM  

आपने बिल्‍कुल सही बात समाने रखी है, आज उत्‍तर प्रदेश का हिन्‍दु बाला साहब और शिवसेना को उतना चाहता है जितने की महाराष्‍ट्र वाले, चाहते का कारण है उनका हिन्‍दुवादी होना और राष्‍ट्रवादी होना। किन्‍तु आज कष्‍ट का विषय है कि ये पार्टी आज राष्‍ट्रवादी न होकर महाराष्‍ट्रवादी हो गये है।


यदि आप अपनी चिट्ठी भेजियेगा तो साथ मे मेरी टिप्‍पणी भी संलग्‍न कर दीजियेगा, हम वह दिन देख रहे है कि जब महाराष्‍ट्र में भाजपा-शिवसेना की सरकार बने, यह चाहत अगर महाराष्‍ट्रवालो की होती तो कब की यह सरकार बन चुकी होती है, किन्‍तु यह चाहत अब देश के लोगो की यह मानकर काम किया जाये तो सब कुछ बदला जा सकता है।

वंदेमातरम्

दीपक 'मशाल' November 11, 2009 at 5:47 PM  

Dil Jeet liya aapne pahli baar Albela ji... main to sirf aapko ek hasya kavi samajhta tha, aap to jabardast emotional nikle...
Jai Hind...

शिवम् मिश्रा November 11, 2009 at 11:42 PM  

"ईश्वर राज ठाकरे को आपकी बात को समझने की बुद्धि प्रदान करे!"

और हम कह भी क्या सकते है ??

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