एक तो मैं पहले ही अपनी मूर्खताओं से परेशान हूँ
ऊपर से भइया अनिल पुसदकर जी सता रहे हैं ..पता नहीं क्या क्या
पूछ रहे हैं और क्या क्या बता रहे हैं ।
कल मुझे एक टिप्पणी में कहा- अलबेला प्यार करो !
अब ये नहीं बताया कि किससे करो ! क्योंकि गुड्डू की माँ तो गई है मुंबई....
एक पुरानी सहेली है वो गई है नागपुर, एक नई सहेली है जो जच्चा बच्चा
वार्ड की शोभा बढ़ा रही है और एक नवीनतम सहेली है जो अंकल अंकल
कह कर मूड ख़राब करती रहती है....... अब कोई मेरे जैसा भला आदमी प्यार
करने जाए तो कहाँ जाए ? आपने तो कह दिया कि प्यार कर .... ये नहीं सोचा
कि भाई बन्दा किस हालत में है, कैसा है, प्यार करने की हालत में है कि नहीं....
फ़िर भी मैंने अनिल जी की बात का मान रखने का प्रयास किया और पड़ौस
वाली भाभीजी से कहा कि भाभी घर में आज प्यार ख़त्म हो गया , थोड़ा दे दो..
दो दिन बाद लौटा दूँगा । ऐसा मैंने इसलिए कहा कि वो भी अक्सर हमारे यहाँ
आ कर कहती हैं कि आज शक्कर ख़त्म हो गई दे दो........ आज अचार नहीं है
आप दे दो...कभी कभी तो महंगे भाव की केसर भी ले जाती है खीर में डालने के
लिए.......... तो मैंने भी कह दिया कि भाभी प्यार दे दो...
उन्होंने दे भी दिया और इतनी ज़ोर से दे दिया कि पूरा गाल लालो लाल हो गया
गाल लाल हो गया इसकी परवाह नहीं क्योंकि हम जैसे महान प्यार कर्ताओं के
लिए ये कोई नई बात नहीं है । चिन्ता तो इस बात की है कि कल जब गुड्डू
की माँ आयेगी और मेरे थोबड़े पर अति आधुनिक तकनीक से अंकित प्यार
देखेगी तो पूछेगी ज़रूर कि ये माल कहाँ से आया ? अब अगर मैंने पड़ौस वाली
भाभी का नाम बता दिया और वो उधार चुकाने उनके यहाँ चली गई तो क्या
होगा ? अजी आप तो वहाँ रायपुर में छत्तीस गढ़ की जय बोलते रहेंगे और
मेरा यहाँ छत्तीस का आंकड़ा फिट हो जाएगा ......आये बड़े .."प्यार करो"
आज तो और भी हद कर दी । बहुत गर्म हो रहे हैं ,फोकट ही नाराज़ हो रहे
हैं । अपनी पोस्ट में पूछ रहे हैं कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की समाधि
क्यों नहीं बनाई गई ? कहने को वे बहुत बड़े पत्रकार हैं लेकिन उन्हें इतना
भी नहीं पता कि समाधियाँ सिर्फ़ मरे हुए लोगों की बनती हैं या बनाई
जाती हैं । जीते जी भला समाधि बनती है ?
वो रेड्डी साहेब आल रेड्डी मर चुके हैं इसलिए उनकी समाधि बन रही
होगी...........जबकि सरदार पटेल अभी मरे कहाँ हैं ? वे तो ज़िन्दा हैं ।
हर भारतीय के मन में ज़िन्दा हैं , भारती के स्वाभिमान में ज़िन्दा हैं,
स्वतन्त्रता के लिए किए गए लाखों लोगों के बलिदान में ज़िन्दा हैं, मेरे
और आपके द्वारा गाये जाने वाले राष्ट्रीयता के गौरव गान में ज़िन्दा हैं ..
जनता में ज़िन्दा हैं .............जनता की आन में ज़िन्दा हैं ..भाई साहेब ,
सरदार वल्लभ भाई पटेल पूरे हिन्दुस्तान में ज़िन्दा हैं............
बात ग़लत हो तो, चाहे आज दो पैग ज़्यादा लगा लेना लेकिन अगर
ठीक कहा हो,तो फ़िर टिप्पणी भी देना और मेरे कटोरे में एक चटका
पसन्द वाला भी डाल देना ताकि शाम तक ये भर जाए और बन्दे की
TRP सुधर जाए...हा हा हा हा हा हा
अरे कोई बचाओ भाई अनिल पुसदकर जी से...............
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
14 comments:
प्यार माँगने गये थे आप और प्यार मिला भी आपको। फिर अब शिकवा काहे कर रहे हैं? :-)
सरदार वल्लभ भाई पटेल को नमन!
ab maine hi kaha tha pyar karo isliye mujhe bhi aap se pyar hi karana padega,supreme court wala nahi,original.isliye aapse ladai nahi karake pyar hi karna pad raha hai.raha sawal SARDAR PATEL ki samadhi ka to ye baat sahi hai ki we amar hai aur amar logo ki samadhi banane ki zarurat nahi hai.unki samadhai har sachche hindustaani ke dil me hai aur unhe naqli shraddhanjali ki zarurat bhi nahi hai.aapase sahamat hun,yanha hindi me likhane ki suwidha nahi hai isliye english me comment kar raha hun so please maaf kar dena
प्यार चाहते हो तो प्यार बाँटते चलो --
हम तो आपकी और अनिल जी की बातों पर ही विचार कर रहे हैं धन्यवाद्
पढोस वाली भाभी जी कि जज्बे को सलाम !
अनिल भाई की बातों में न आना भाई...जरा संभल कर..हा हा!!
सही कहा!! सरदार पटेल जिन्दा हैं हर भारतीय के दिल में.
आज के जमाने में पडोसी धर्म भला कौन निभाता है ? ये जानते बूझते भी चल दिए....वैसे आपकी हिम्मत की दाद देनी होगी :)
हम तो भइया आपकी कायलियत के कायल हो गये।
पूसदकर जी अपने ही प्यार के वार से घायल हो गये।
आपका और अनिल जी का प्यार देखकर हमें भी बचपन में हुआ प्यार याद आ रहा है...
bahut khub....padh kar bhaut hasi aayi.....
प्यार तो सभी को बाटना चाहिए पर सिर्फ निशुल्क ....(उधार देने से लौटने का चक्कर रहता है) वैसे भी हमारे देश में एक-तरफा प्यार की परंपरा भी तो मिलती है...देखिये हम पकिस्तान से लेकर चीन तक एक तरफा प्यार ही तो बाँट रहे हैं....
सरदार पटेल का स्मारक न बनना क्षोभनीय है...
भाईसाहब गुड्डू की मम्मी यानि हमारी आदर्णीया भाभीजी कब आ रही हैं ।? तब तक तो आप...।
VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH
VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH VAH
Sorry, ALBELA JI
ISKE alawa koii shabd mere pass na bacha hai.
सही कहा आपने...सरदार पटेल जी मर हैँ...और ऐसे लोगों को आवाम के दिल में बसे रहने के लिए समाधियों की आवश्यकता नहीं होती
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