लौ जी !
मुबारक हो ! !
आठ आने का मीठा हो जाए !!!
मुंबई भी बच गई और गुजरात भी बच गया ।
फ़यान यानी वो खतरनाक समुद्री तूफ़ान चुपचाप खिसक लिया ।
वो चुपचाप इसलिए खिसक लिया क्योंकि अपन ने तैयारी कर रखी
थी उससे निपटने की । वो ज़्यादा तीन- पाँच करता तो अपन अपनी
तैयारी के टोटकों से इतना तोड़ते उसको कि दोबारा आना तो दूर,
पैदा होना ही भूल जाता ।
भले ही 700-800 मछुआरे - अछुआरे उसके जबड़े में फंस गए हैं
लेकिन कोई ख़ास बात नहीं । इतने तो अपने यहाँ रोज़ सड़कछाप
हादसों में मर जाते हैं । वैसे भी मछुआरे रोज़ फांसते हैं, एक दिन
ख़ुद फंस गए तो कौनसी बड़ी बात है ? कहावत ही है- " कभी नाव
पानी में, कभी पानी नाव में"
कुल मिला के बच गई मुंबई और मुंबई में रहने वाले तारांकित लोगों
की सम्पत्ति । भले ही ये तैयारी कसाब एंड पार्टी के विनाश से नहीं
बचा पाई, बाढ़ के समय किसी काम नहीं आई और जयपुर के अग्नि-
काण्ड में भी नज़र नहीं आई । लेकिन इस बार कमाल की सफलता
पाई । किसी ने सच ही कहा है ," बारह घंटे में एक समय ऐसा आता
ही है जब बन्द घड़ी भी सही समय बताती है ।"
लेकिन बात का लुब्बो-लुआब ये है कि तैयारी रहनी चाहिए.....
"मनहर" जी की बताई हुई एक मज़ेदार बात इस सन्दर्भ में याद आ
गई । लाल किले के कवि सम्मेलन में एक बार गलती से किसी
हास्यकवि को बुला लिया गया । बुला तो लिया लेकिन हिदायत दे
दी कि जो सुनाओ वीररस में ही सुनाना ..हास्य में नहीं क्योंकि
वो कवि सम्मेलन होता ही वीररस का है । कवि बेचारा फंस गया
इन मछुआरों की तरह लेकिन आखिर उसकी बन्द घड़ी ने सही
टाइम बता ही दिया ।
उसने माइक पर आ कर केवल दो पंक्तियाँ सुनाई जो उस कवि
सम्मेलन की सर्वाधिक चर्चित पंक्तियाँ रहीं । वो बोला :
लड़ाई की हमेशा तैयारी रखो,
इससे लड़ाई पास नहीं आती
जैसे अपनी लुगाई पास हो तो
दूसरी लुगाई पास नहीं आती
___________हा हा हा हा ....आप भी तैयारी रखो भाई !
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
धन्य है प्रभु आप, वाह-वाह क्या सन्देश दिया मजाक मजाक में !, :)
लड़ाई की हमेशा तैयारी रखो,
इससे लड़ाई पास नहीं आती
जैसे अपनी लुगाई पास हो तो
दूसरी लुगाई पास नहीं आती...
वाह वाह क्या खूब कहा! मज़ेदार और शानदार संदेश दिया है आपने !
यदि दूसरे की लुगाई साथ हो और अपनी लुगाई पास आ जाये तो?
यावद् भयेत् भेतव्यं तावद् भयं अनागतम्।
आगतं तु भयं दृश्टवा प्रहर्तव्यं किम् शंकया।।
अपने तो लड़ाई के लिये हमेशा तैयार रहते हैं भाईजी और शायद इसलिये लड़ाई पास नही आती मगर अपने पास तो लुगाई नही तो फ़िर क्यों…………………………… हा हा हा हा हा समझ गये ना भाई जी।
आपकी दी हुयी राय पर अमल किया जायेगा !
धन्य हो!!
जैसे अपनी लुगाई पास हो तो
दूसरी लुगाई पास नहीं आती
धन्यवादआप ने काम की बात बता दी, आज ही टिकट ले कर आता हुं बीबी का:)
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