तीनों आपस में जुड़े हुए हैं
रामदेव बाबा इण्डिया टी वी से जुड़े हैं, इण्डिया टी वी राखी सावंत का
प्रमोशन सेन्टर है और रजत शर्मा तो हैं ही साक्षात् इण्डिया टी वी । इस
प्रकार तीनों आपस में गुत्थमगुत्था की भान्ति जुड़े हुए हैं । और तीनों
लगातार इस चैनल पर दिखते रहते हैं ।
तीनों अति महत्वाकांक्षी है
महत्वाकांक्षा के घोड़े इन तीनों के ही सर पर इतने ज़्यादा सवार हैं कि
सब कुछ प्राप्त कर लेने के बावजूद इनको तृप्ति नहीं हुई । विस्तार में
जाने कि ज़रूरत नहीं , सब जानते हैं ।
तीनों देह उघाड़ने में रुचिवान हैं
तीनों ही महानुभाव बड़े पहुंचे हुए देह उघाडू हैं ,वस्त्रों को ये सबसे
बड़ी बाधा मानते हैं अभिव्यक्ति में.......इसीलिए रामदेव और राखी
कम से कम वस्त्र धारणा करते हैं जबकि रजत शर्मा ख़ुद तो पूरे कपड़े
पहनते हैं लेकिन लोगों के उतारने में तत्पर रहते हैं । कभी पुलिस की
वर्दी तो कभी नेताओं की धोती खोलते ही दिखते हैं ये ब्रेकिंग न्यूज़ में ।
तीनों पराई खीर में चम्मच चलाते रहते हैं
तीनों सुर्खियों में बने रहना जानते हैं
तीनों आत्ममुग्ध हैं
तीनों ने खूब माल कमा लिया है
तीनों कहते कुछ और करते कुछ हैं
तीनों अपने करियर के चरमोत्कर्ष पर हैं
तीनों HOT हैं और तीनों ITOM हैं
रामदेव बाबा आइटम योगी हैं, राखी सावंत आइटम गर्ल है और
रजत शर्मा आइटम पत्रकार हैं । तीनों ज़बरदस्त HOT भी हैं ।
आज बाज़ार में इनका नाम बिकता है ।
तीनों ने जनता की कमज़ोरी भांप ली है
तीनों ने अपने हुनर से जनता की नस पकड़ ली है और उसकी
कमज़ोरी को भांप लिया है । रामदेव ने देख लिया कि जनता
डाक्टरों से परेशान हो चुकी हैं और किसी भारतीय पुरातन विधि
से उपचार की सुविधा चाहती है और हर आदमी स्वस्थ्य चाहता है
तथा स्वास्थ्य के लिए कुछ भी कर सकता है । राखी समझ गई कि
जनता केवल मज़े लेना चाहती है और गर्म देह से अपनी आँखें सेंकना
चाहती है जबकि रजत शर्मा को ये इल्म हो गया कि टी वी के दर्शक
सनसनी चाहते हैं । इसलिए पूरा चैनल ही उन्होंने सनसनीखेज़ बना
दिया है जिसकी हर न्यूज़ ब्रेकिंग न्यूज़ होती है ।
तीनों तमाशेबाज़ हैं और तीनों लोकप्रिय हैं
तीनों दुनिया भर में लोकप्रिय हैं और लोकप्रिय इसलिए हैं क्योंकि
तीनों को तमाशा करके लोगों को चकाचौंध करना आता है । रामदेव
पेट हिला हिला कर जनता को बावला बना देते हैं तो राखी पेट के नीचे
वाले वर्जित क्षेत्र को हिला हिला कर "देखता है तू क्या ?" की तर्ज़ पर
पूरे दर्शकों को हिला डालती है । ऊपर के भाग की तो बात ही क्या
करनी, वो तो आम रास्ता है । कोई भी अपनी साइकल खड़ी करके
एक नम्बर कर सकता है । और जनाब रजतजी ! इनके पास जब
कोई न्यूज़ नहीं होती तो ये प्रलय, नरक का द्वार, स्वर्ग की सीढ़ी,
इन्द्र का आसन और पता नहीं क्या क्या दिखा कर लोगों को बांधे
रखते हैं . मतलब किसी भी बात को ये अपने करामाती दिमाग से
ऐसा बना डालते हैं कि दर्शक देखे ही देखे.........
तीनों का फोकटी रोज़गार : बिन पूँजी व्यापार
तीनों का ही कामकाज ऐसा है जिसमे लागत मूल्य एक पैसा भी नहीं ।
शुद्ध फोकटिया रोज़गार है । न तो पेट हिलाने और अनुलोम विलोम
करने में कोई खर्च आता है , न ही देह प्रदर्शन के लिए कोई फैक्ट्री
खोलनी पड़ती है और न ही जनता से उल्टे सीधे सवाल पूछने के लिए
कोई खाद खरीदनी पड़ती है । ये कहावत शायद इन्हीं के लिए बनी है
--हींग लगे न फिटकरी और रंग आवे चोखा.............हा हा हा
अब इस सब में जो मूल तत्त्व है बात का वो ये है कि तीनों के पास ही
अपना कुछ नहीं है । जो कुछ है वह आदिकाल से है, पारम्परिक है और
नि:शुल्क तो है ही..........और जो काम ये कर रहे हैं वो औरों ने भी
किया है और कर रहे हैं , इनसे भी अच्छा कर रहे हैं लेकिन प्रसिद्धि
इन्हें प्राप्त हुई। या यूँ कहलें कि प्रसिद्धि इन्होंने लपक ली ।
उदाहरण के लिए योग, प्राणायाम कोई रामदेव ने ईज़ाद नहीं किए हैं । ये
तो आदिकाल से विद्यमान है और तभी से कोई न कोई ऋषि या तपस्वी
लोग हमें सिखाते हुए यहाँ तक ले कर आए हैं । मेरे शहर श्रीगंगानगर
में मैंने 35 साल पहले दिव्य योग मन्दिर देखा था जहाँ लोग योग करने
जाते थे । ऋषि दयानंद से लेकर स्वामी श्रद्धानंद तक कितने ही लोगों ने
इस मशाल को रौशन बनाए रखा। लेकिन उनके पास न तो आस्था
चैनल था न ही इण्डिया टीवी इसलिए उनसे ज़्यादा रामदेव ख्यातनाम
हो गए क्योंकि इन्होंने इसे व्यावसायिक रूप दे दिया।
इसी प्रकार नाच गाना कोई राखी ने आरम्भ नहीं किया । ये तो चलता ही
आ रहा है लेकिन तब वस्त्र केवल बिस्तर पर उतारे जाते थे कोई तीसरा
देखता नहीं था इसलिए उस ज़माने की नर्तकियां इतनी HOT आइटम
नहीं बनी। यही हाल पत्रकारिता का है । पीत पत्रकारिता पहले भी होती
थी। लेकिन एक शहर का चर्चा दूजे शहर में नहीं पहुँचता था । आज
चूँकि 24 घंटे के चैनल हैं और दिखाने के लिए 24 मिनट का भी माल
नहीं है .इसलिए कभी you tube से तो कभी लोगों के भेजे हुए वीडियो
दिखा कर विज्ञापन बटोर रहे हैं और रोकड़ा पा रहे हैं ।
दुर्भाग्य देखिये ........आज कथाकार से ज़्यादा मान और सम्मान कथा
वाचक पा रहा है ।
अब दिमाग गर्म होने लगा है । अब विषय दुःख देने लगा है । इससे पहले
कि मेरी भाषा असंयमित हो, मैं इस आलेख को एक बार समाप्त करता हूँ
और इन तीनों किरदारों को प्रणाम करता हूँ कि प्रियजनों ! आप बहुत
महान हैं, हमही -\*^/,।@ हैं जो आप जैसे बन नहीं पाये।
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
2 comments:
खत्री जी मानना पड़ेगा आपको! क्या खूब लिखा है आपने तीनों के बारे में ! एकदम ज़ोरदार और धमाकेदार !
He bhagwan kash ye ramdev baba padh le to baba ko sab samajh aa jave, lekin nahiin, kyonki kunwe men girne ke bad bhii pahle nahane kii adat hai.
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