hasyakavi albela khatri performing on amar jawaan in surat
कर लो माथे पर तिलक इस माटी का, बहुत गरिमावान है ये इण्डिया - हास्य कवि अलबेला खत्री
हो गए कुछ लेट हम इज़हार में........
हुस्न के तेवर नुकीले हो गए
इश्क़ के सब जोड़ ढीले हो गए
हो गए कुछ लेट हम इज़हार में
और उनके हाथ पीले हो गए
Labels: मुक्तक the albeli poem
एक-एक कवि है कबीर मेरे देश में...........
गंगा जैसी पावन है
आत्मा तो सूरज सा
रौशन हर एक का शरीर मेरे देश में
माटी भी है चन्दन-अबीर मेरे देश में
किन्तु अनमोल है ज़मीर मेरे देश में
एक-एक कवि है कबीर मेरे देश में
Labels: छन्द घनाक्षरी कवित्त
नेह करता हूँ तुम्हें पर देह का याचक नहीं हूँ ........
कोई कथा वाचक नहीं हूँ
नेह करता हूँ तुम्हें
पर देह का याचक नहीं हूँ
मैं तुम्हारी धमनियों में प्रीत भरना चाहता हूँ
छन्द भरना चाहता हूँ ..गीत भरना चाहता हूँ
चाहता हूँ
मैं तुम्हारी राह के कंटक उठालूं
हर ख़ुशी दे दूँ तुम्हें
और ख़ुद पे सब संकट उठालूं
प्यार से
मनुहार से
शृंगार से
संसार भर दूँ
गीत की
नवगीत की
संगीत की
रसधार भर दूँ
यों तो अपना मिलना जुलना
दुनिया भर को
चुभ रहा है
पर हमारे वास्ते तो
सुखद है और
शुभ रहा है
आओ हम वादा करें
यह दीप जलता ही रहेगा
हो कोई मौसम मगर
यह फूल खिलता ही रहेगा ..................
Labels: हिन्दी कविता hindi poem
वो झाँसी वाली रानी थी , ये झाँसे वाली रानी है ......
महारानी लक्ष्मी बाई
अगर
झाँसी वाली रानी के रूप में
सुप्रसिद्ध हैं तो
कु. ब. मायावती
को
क्या कहेंगे ?
सोचो...........
सोचो........
जाने दो , मैं ही बताता हूँ...........
झाँसे वाली रानी..................हा हा हा हा
Labels: सामयिक टिपण्णी
कन्या कविता और कंडोम ........किस्सा ये कैसा है ?
मुंबई
21 सितम्बर 2009
शाम 7 बजे के आस पास
प्रभा देवी में मेरे गाने की डबिंग पूरी हो चुकी थी और अब वरली सी फेस
जाना था कविता प्रस्तुति के लिए... समय कम था और पहुँचने की जल्दी थी
लेकिन कोई टैक्सी वाला खाली नहीं मिल रहा था ........सो मैं एक लाल डब्बा
बस में बैठ गया ...क्षमा करें बैठ नहीं गया, बस.......चढ़ गया........और खड़े
खड़े यात्रा का मज़ा लेने लगा........
मेरे ठीक आगे लगभग 18 वर्ष की एक खूबसूरत कन्या खड़ी थी जिसके सुन्दर
सान्निध्य में यात्रा थोड़ी हसीं हो गई थी क्योंकि वो मुझे पहचान गई थी.....और
अच्छी अच्छी बातें कर रही थीं......उसने बताया कि उसने कई साल पहले मुझे
फलां कालेज में सुना था और तभी से वह कवितायें लिखने को प्रेरित हो गई
थी .....करीब 100 कवितायें लिख चुकी है तथा मंच पर आना चाहती है.......
मैंने उसे अपना कार्ड दे दिया और एक तारीख भी लिखवादी अगले महीने की
जिसमे वो मुंबई में ही काव्य प्रस्तुति कर सकती है..........
बस में भीड़ बहुत थी और मैं पूरा प्रयास कर रहा था कि हम दोनों में फ़ासला
बना रहे लेकिन इसके बावजूद वह थोड़ी बिन्दास थी और हर 3-4 सेकेण्ड बाद
मुझसे टकरा ही जाती थी, न सिर्फ़ टकरा जाती थी बल्कि लिपट सी जाती थी....
कंडक्टर आया और मैं टिकट लेने लगा तो उसने ज़िद्दपूर्वक मुझे रोक दिया
और स्वयं लेने लगी.........लेकिन जैसे ही उसने पर्स खोला , पीछे से भीड़ का
ज़ोरदार दबाव बढ़ा और मेरे साथ साथ वह भी लड़ खड़ा गई , स्वयं तो सम्हल
गई लेकिन उसका पर्स नीचे गिर गया और सारा सामान बिखर गया ।
सामान में कुछ रूपये थे, दो मोबाइल थे , सौन्दर्य सामग्री थी और कंडोम के
2 पैकेट थे...........
कंडोम देख कर अन्य यात्री हँस पड़े ....मैं भौचक्का रह गया ...लेकिन उस कन्या
के चेहरे पर कोई भाव नहीं था........उसने चुप चाप सारा सामान उठाया और
पर्स में भर लिया ......भीड़ में से किसी फिकरा कसा - छोकरी चालु है रे.........
तभी एक स्टाप आया और बस रुकी । वह उतर गई........मुझे नहीं उतरना था
लेकिन जाने क्यों मैं भी उतर गया.........और उसके साथ साथ चलने लगा........
मेरा मन प्रोग्राम से उचाट हो गया था इसलिए मैंने आयोजकों को फोन कर
दिया कि एक घंटा देरी से आऊंगा........क्योंकि मैं अब उस लड़की के बारे में
पूर्ण जानकारी के लिए उत्सुक हो गया था.........
"कुछ पियोगी ?" मैंने पूछा तो उसने कहा - हाँ ! बियर ..........
तृप्ति परमिट रूम पास ही था । मैंने व्हिस्की मंगाई लेकिन पी नहीं, क्योंकि
नवरात्रि चल रहे हैं........उसने दो बियर मारी........और इस बीच हुई वार्ता में
मैंने जाना कि वह छात्रा एक कॉल गर्ल बन चुकी है क्योंकि घर में कमाने वाला
कोई नहीं है .......उस पर पढ़ाई का खर्चा भी भारी है .....दोनों मोबाइल कस्टमर्स
के दिए हुए थे.........वह एक बार का तीन हज़ार रुपया और एक रात का दस हज़ार
रुपया लेती है.....उसे कोई शर्म नहीं है इस काम से क्योंकि उसने अपनी इच्छा से
नहीं बल्कि हालत से मजबूर.........हो कर ये रास्ता चुना है..........
मैंने उसे कहा - अगर मैं तुम्हें अपनी कुछ कवितायें दे दूँ.......प्रोग्राम भी दिलवा दूँ....
अच्छा पैसा भी दिलवा दूँ........तो क्या ये रास्ता छोड़ देगी ? उसने मना कर दिया ...
बोली - " नहीं....अब नहीं छोड़ सकती...क्योंकि अब तो मुझे भी मज़ा आता है......
और मैं एन्जॉय करने लगी हूँ............"
मैंने बिल चुकाया, उससे हाथ मिलाया और टैक्सी पकड़ कर रवाना हो गया
प्रोग्राम के लिए ...लेकिन रास्ते भर उसी के बारे में सोचता रहा.........
क्या शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि उसके लिए शरीर बेचना पड़ जाए ?
मेरा मन वितृष्णा से भर गया...........
Labels: एक तमाशा मेरे आगे
प्यारे दोस्तों ! ये पोस्ट कुछ कहना चाहती है आपसे....... मिलाना चाहती है एक सुहृदय भारतीय नारी से......
Dr. Sudha Om Dhingra has left a new comment on your post "हँसी के हसीन रंग ...हास्य कवि अलबेला खत्री के स...":
अलबेला जी,
बहुत -बहुत बधाई.
सफलता आप के कदम चूमें..
_____
यह टिप्पणी अभी-अभी मुझे मिली है........
लेकिन इसका इन्तेज़ार मुझे बरसों से था...........ऐसा लगता है
प्यारे साथियो !
आज मेरे लिए एक विशेष अवसर है उल्लास और हर्ष का.........
क्योंकि मुझे उस महिला ने बधाई सन्देश भेजा है
जिसका मैंने बहुत मन दुखाया है........
बहुत तकलीफ दी है किसी ज़माने में............
ये वो महिला है मित्रो !
जिसने मेरी भलाई के लिए ,
मेरे उत्थान के लिए
अनेक कठिनाइयों से लोहा लिया और
बहुत सा आर्थिक और मानसिक संत्रास झेला.........
लेकिन
दस साल पहले की वो सब बातें भुला कर
यदि मेरी सुधा दीदी आज भी मेरे लिए
मंगलकामना करती हैं तो मेरी आँखों में श्रद्धा
और आदर के सागर उमड़ आए हैं..........
ऐसी महान नारी
जो न मेरी सगी है, न सम्बन्धी है.......
बस अपने देश और देश वासियों से प्यार करती है
इस कारण मेरी तमाम गलतियां उन्होंने क्षमा करके
अपने विराट ह्रदय और बड़प्पन का परिचय दिया है.........
मित्रो !
सच कहता हूँ ....... इस महिला के पाँव धो कर भी पी लूँ
तो मुझे चरणामृत से भी अधिक पवित्र लगेगा...........
अधिक तो क्या कहूँ ...नत मस्तक हूँ.......और रहूँगा..........
दीदी,
आप जैसी भारतीय नारी पर मैं सदैव गर्व करता रहूँगा
और मेरा वचन है
आपको दिया हर वादा मैं अपना धर्म समझ कर निभाउंगा........
आपका कृतज्ञ
_-अलबेला खत्री
Labels: अपनी बात