हाकिम को घूस दे के
अपना बना लो, यही
काम करवाने का है ढंग मेरे देश में
बेचती गरीबी अंग-अंग मेरे देश में
बन्दगी के दायरे हैं तंग मेरे देश में
लाखों मिल जाएंगे भुजंग मेरे देश में
Labels: छन्द घनाक्षरी कवित्त
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7 comments:
अलबेला भाई , अत्यंत कठिन कठिन शब्दों को लेकर अत्यंत सरल कविता लिखना अत्यंत कठिन काम है ..और यह आपने कर दिखाया . सारे क्षेत्र सम्प्रदाय से परे मेरी बधाई - शरद कोकास
बहुत सुंदर ढंग से आप ने देश के हालाल बतलाये अपनी इस कविता मै धन्यवाद
सच्चाई को आपने बड़े ही सुंदर रूप से शब्दों में पिरोया है! शानदार रचना!
क्या बात है. बेहतरीन!!
बहुत बढिया .. क्या बात कही है !!
सत्य वचन |शानदार रचना!
कम शब्दों कटु सच्चाई का वर्णन पसन्द आया ...बधाई
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