वक़्ते-सहर जो देखा तो गुलाब सी लगी
और शब को वो विलायती शराब सी लगी
घूंघट में जब लजाई, मॉहताब सी लगी
चिलमन जो हटाई तो आफ़ताब सी लगी
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
क्या खूब कही है अपने.....
वाह जी वाह
वक़्ते-सहर जो देखा तो गुलाब सी लगी
और शब को वो विलायती शराब सी लगी
घूंघट में जब लजाई, मॉहताब सी लगी
चिलमन जो हटाई तो आफ़ताब सी लगी
कुछ और दिन तो रोक लो अपने को अल्बेला।
फ़िर ख़ुद ही बोल दोगे कि "तेज़ाब "सी लगी।
कैसी रही!!!!!
मज़ेदार लेखनी आपकी लगी।
बहुत खुब,,,,,,,,,,,,,,,,
बहुत बढ़िया, भाई जी !
बहुत बढ़िया, भाई जी !
बहुत बढ़िया, भाई जी !
तमारा मुक्तक सरस छे मजा आवी गया
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