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Albela Khatri

वतन के कर्णधारों को ज़रा ईमान दे दो माँ !

हे वीणापाणि, वाणी को सुरों का ज्ञान दे दो माँ !


कलम में बल,हृदय निर्मल,सहज सम्मान दे दो माँ !


दया का दान दे दो माँ ...यही वरदान दे दो माँ !


वतन के कर्णधारों को ज़रा ईमान दे दो माँ !




ज़रा ईमान दे दो माँ .....वतन खुशहाल हो जाए


समृद्धि की बहे धारा व मालामाल हो जाए


नई पीढ़ी के पीले चेहरे फिर से लाल हो जाए


ये भारतवर्ष जग में फिर बेमिसाल हो जाए

10 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" September 4, 2009 at 6:57 PM  

वतन के कर्णधारों को ज़रा ईमान दे दो माँ !

Bahut badhiyaa !

संगीता पुरी September 4, 2009 at 7:43 PM  

सुंदर प्रार्थना है !!

राजीव तनेजा September 4, 2009 at 8:31 PM  

प्रार्थना में बड़ा बल होता है...इसलिए उम्मीद पे दुनिया को काय्म रखिए

Mithilesh dubey September 4, 2009 at 9:16 PM  

सुन्दर रचना व उतना ही सुन्दर प्रार्थना........

Chandan Kumar Jha September 4, 2009 at 9:49 PM  

वर दे वीणावादिनी वर दे.........बहुत सुन्दर.

ताऊ रामपुरिया September 4, 2009 at 10:23 PM  

अति सुंदर.

रामराम.

शिवम् मिश्रा September 4, 2009 at 10:29 PM  

बहुत सुंदर भावः, बड़े भाई |

शिवम् मिश्रा September 4, 2009 at 10:39 PM  

बहुत सुंदर भावः, बड़े भाई |

शरद कोकास September 4, 2009 at 11:38 PM  

हे सरस्वती पुत्र मेरे धर्मभाई ,अपने लिये मांगा तो ठीक देश के इन कर्णधारों के लिये मांग कर क्या करोगे ..ये तो भीख देने लायक भी नहीं हैं .. -शरद कोकास

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' September 5, 2009 at 7:20 AM  

"वतन के कर्णधारों को ज़रा ईमान दे दो माँ !"

ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं...
सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....

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