बुरा-भला कह रहे शमा को कुछ पागल परवाने लोग
बन्द किवाड़ों को कर बैठे, घर घुस कर मर्दाने लोग
पानी बिकने लगा यहाँ पर,कसर हवा की बाकी है
भटक-भटक कर ढूंढ रहे हैं गेहूं के दो दाने लोग
और पिलाओ दूध साँप को , डसने पर क्यों रोते हो?
कहना माना नहीं हमारा , देते हैं यों ताने लोग
कैसा है ये चलन वक़्त का ,समझ नहीं कुछ आता है
अन्धों में राजा बन बैठे, आज यहाँ कुछ काने लोग
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
14 comments:
सत्य वचन :)
पानी बिकने लगा यहाँ पर, कसर हवा की बाकी है
वाह खत्री जी, बिल्कुल सही कहा!
मात्र 30-35 साल पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि भारत जैसे देश में, जहाँ पानी पिलाने को पुण्य का कार्य समझा जाता था, पानी बिकने लगेगा। आपका अनुमान सही है कि कुछ दिनों में हवा भी बिकने लगेगा।
बहुत अच्छे बात तो सच है।
अन्धो में राजा बन बैठे, आज यहाँ कुछ काने लोग !
क्या बात कही !
वाह वाह क्या बात है सर जी , मजा आगया पढ़ कर ।
बहुत ही सुन्दर रचना........
सच मे यहाँ पानी बिकने लगे वहाँ और किस का राज कहा जा सकता है निस्संदेह अन्धों मे काने राजे का अच्छी रचना है आभार्
"पानी बिकने लगा यहाँ पर,कसर हवा की बाकी है
भटक-भटक कर ढूंढ रहे हैं गेहूं के दो दाने लोग"
"कैसा है ये चलन वक़्त का ,समझ नहीं कुछ आता है
अन्धों में राजा बन बैठे, आज यहाँ कुछ काने लोग"
सत्य वचन, सत्य वचन !!
वाह खत्री जी, बिल्कुल सही कहा!!
क्या बात है? वाह!
दीपक भारतदीप
बहुत ही सत्य बहुत ही कटु।
कैसा है ये चलन वक़्त का ,समझ नहीं कुछ आता है
अन्धों में राजा बन बैठे, आज यहाँ कुछ काने लोग ||
लाजवाब्!! बिल्कुल सही बात कही है!!
मज़ा आ गया कविता पढकर,वाह!बहुत अल्बेलाजी।
देखो देने कैसे लगते,आज यहाँ हैं सयाने लोग।
सुना है कि अगला विश्वयुद्ध भी पानी को लेकर ही होने वाला है...
सच्चाई से परिपूर्ण सुन्दर रचना
सही, सीधी और सच्ची बात!!
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