मडगांव में NIO अर्थात समुद्र विज्ञान संस्थान की गाड़ी आ गई थी लेने
के लिए। तब सुबह के सात बजे थे । मैंने कार में बैठते ही कहा, " भाई
सारे काम बाद में ....पहले चाय पी जायेगी ।" तो कार चालक ने फरमाया-
क्या साहेब ! गोवा में भी चाय पियोगे ? अरे इधर चाय नहीं, दारू पीने का....
कुल मिला कर परिणाम ये निकला कि दौना पॉला पहुँचते- पहुँचते तीन
बार कार रोकी चाय के लिए, जैसे ही हम होटल में पहुँचते... होटल वाला
बड़े सम्मान पूर्वक हमें बैठाता और menu card थमाता, लेकिन जैसे ही
हम चाय मांगते वह हमें ऐसे देखता जैसे किसी जेबकतरे या उठाईगीरे
को देख रहा हो........." चाय पीना है तो रुकना पडेंगा......." दो टूक जवाब
देकर वह अपने काम में लग जाता......ऐसे निर्लज्जतापूर्ण व्यवहार में
चाय हमने भी नहीं पीनी थी इसलिए हम आगे बढ़ जाते ..करते करते
हम अपने मकाम दौना पॉला रेस्ट हाउस पहुँच गए लेकिन रस्ते में
चाय नहीं मिली, सोचा रेस्ट हाउस में तो अपना राज रहेगा ..जितनी बार
बोलेंगे उतनी बार चाय आएगी, लेकिन ठेंगा ! वहाँ भी चाय का वान्दा ही
रहा क्योंकि वो चाय पसन्द ही नहीं आती थी ........खैर गोली मारो चाय को
क्योंकि इससे मैं ही नहीं गोस्वामी तुलसी दास भी परेशान थे........तभी तो
उन्होंने लिखा कि......
चाहे बरसे नोट ही,
चाहे डॉलर आय
तुलसी वहाँ न जाइए
जहाँ फुल कप मिले न चाय
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
9 comments:
क्या बात है। वाह!!!कवि तुलसीदास के शिष्य। भई वाह!!!
अलबेला जी आप का धन्यवाद, बता दिया, जनाब हम तो दिन मै एक दो कप असली भारतीय ओर देसी चाय जरुर पीते है, दारू छुटे भी नही...
अगली बार अपना चुल्हा साथ ले कर चले, मजाक नही कर रहा, हम भी गेस का छोटा सा चुलहा हमेशा यहां साथ रखते है सिर्फ़ चाय बनाने के लिये.
धन्यवाद
वाह 'अलबेला' जी आपकी संगत ने तो हमें भी कविता लिखना सिखा दियाः
फेनी व्हिस्की वाइना, गोवा की है जान।
खबरदार जो चाय कहा, रे मूरख इन्सान॥
अल्बेला जी, साथ में अपने लिए एक खानसामा लेकर जाना चाहिए था न। जो कि थोडी थोडी देर बाद आपके लिए चाय बनाता रहता।
लेकिन आप इस सारी कवायद में कहीं हमारे काजू लाना तो नहीं भूल गये:)
अबकी बार जाओ तो चाय का थरमस भर कर साथ ले जाना न भूलें !
अपन तो भाई चाय पीते है, सो अब गोवा जाना कैंसल !!
मै दोनों नहीं पीता। हाँ कॉफी पीता हूँ। मेरा क्या होगा?
1989 में जब मैँ गोवा गया था...तो मेरे साथ भी बुरा हाल हुआ था...मैँ ठहरा शाकाहारी और वहाँ...
अगली बार जाने से पहले चाय के इन्तजाम साथ ले कर जाइएगा||
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