हम भी हैं आदमी, तुम भी हो आदमी
सोचता हूं मगर... है चीज़ क्या आदमी
बन में हैवां जो हैवां को खाए तो क्या
आदमी को यहां खा रहा आदमी
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
12 comments:
waah...bahut khoob
वाह खत्री जी! सही है सिर्फ आदमी ही आदमी को खा रहा है।
उठ जाए तो देव से भी ऊँचा
गिर जाए तो पशु से भी बदतर
तो उठना छोड़ कर निरंतर
क्यों गिरा जा रहा है आदमी?
बिलकुल सही कहा है शुभकामनायें
बहुत सही !!
मानव और मानवता के बारे में जो आपने सही परिभाषा दी है, कबीले तारीफ है।
बहुत बढ़िया |
बहुत बढ़िया |
यही है आदमी
"सोचता हूं मगर... है चीज़ क्या आदमी"
खोज जारी है!!!किन्तु इस रहस्य का उद्घाटित हो पाना शायद संभव नहीं जान पडता...
बहुत खूब ……आदमी हीं तो आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है ।
सह कह रहे हैं अलबेला भाई...सुना है सलाद के साथ खा रहा है...टेस्ट बढाने के लिये...
satya vachan albela jee
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