मुज़्तरिब है दिल शब-ए-हिज्र बिताये न बने
हाल-ए-दिल अहले-जहां को सुनाये न बने
ख़त में उसने क्या लिखा होगा,लिफ़ाफ़ा कह रहा है
आज तो कासिद को भी मुंह दिखलाये न बने
आतिश-ए-दोज़ख़ से तो बच जायेंगे पर दोस्तो
आतिश-ए-दुनिया से ये दिल बचाये न बने
ख़त्म है जाम-ए-वफ़ा और मयकदे वीरान हैं
आज तो साक़ी से भी मय पिलाये न बने
क्या करूं तारीफ़ अब 'अलबेला' मैं उस बात की
बिन बनाये बन पड़ी, जो बात बनाये न बने
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
5 comments:
Aatish a dojakh se to bach jayenge a doston
Atish a Duniya se ye dil bachaye na bane.
Bahut Khoob aur such bhee.
Badhiya ban padi hai gazal
हम तो जाम को देखकर इधर आ गये साथ में साकी भी मिल गया, हालांकि जाम हम बहुत पहले छोड़ चुके हैं।
अलबेला जी, क्या जोरदार रचना है...."आतिश-ए-दोज़ख..." वाला शेर तो गज़ब ढा गया....साधू!!
आज बड़े गलिबाना हो रहे हो भाई जी ,क्या बात है ?
कुछ उर्दू शब्दों को समझना कठिन लगा...
वैसे आपकी रचना बढिया लगी
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