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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

आज तो साक़ी से भी मय पिलाये न बने.......

मुज़्तरिब है दिल शब-ए-हिज्र बिताये न बने

हाल-ए-दिल अहले-जहां को सुनाये न बने



ख़त में उसने क्या लिखा होगा,लिफ़ाफ़ा कह रहा है

आज तो कासिद को भी मुंह दिखलाये न बने



आतिश-ए-दोज़ख़ से तो बच जायेंगे पर दोस्तो

आतिश-ए-दुनिया से ये दिल बचाये न बने



ख़त्म है जाम-ए-वफ़ा और मयकदे वीरान हैं

आज तो साक़ी से भी मय पिलाये न बने



क्या करूं तारीफ़ अब 'अलबेला' मैं उस बात की

बिन बनाये बन पड़ी, जो बात बनाये न बने

5 comments:

Asha Joglekar September 9, 2009 at 3:32 AM  

Aatish a dojakh se to bach jayenge a doston
Atish a Duniya se ye dil bachaye na bane.
Bahut Khoob aur such bhee.
Badhiya ban padi hai gazal

विवेक रस्तोगी September 9, 2009 at 7:49 AM  

हम तो जाम को देखकर इधर आ गये साथ में साकी भी मिल गया, हालांकि जाम हम बहुत पहले छोड़ चुके हैं।

Sudhir (सुधीर) September 9, 2009 at 8:05 AM  

अलबेला जी, क्या जोरदार रचना है...."आतिश-ए-दोज़ख..." वाला शेर तो गज़ब ढा गया....साधू!!

शिवम् मिश्रा September 9, 2009 at 10:40 AM  

आज बड़े गलिबाना हो रहे हो भाई जी ,क्या बात है ?

राजीव तनेजा September 9, 2009 at 11:14 PM  

कुछ उर्दू शब्दों को समझना कठिन लगा...


वैसे आपकी रचना बढिया लगी

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