एक संकट में पड़ गया हूँ भाई लोगो !
सुबह से ही परेशान हूँ और बहुत परेशान हूँ ।
मेरी मदद कीजिये न प्लीज़........
24 घंटे चपर-चपर चर्चा करन्तु एक महिला अर्थात गुड्डू की माँ ने
जैसे ही बिल्डिंग वालों को बताया कि कल 'ये' गोवा जा रहे हैं, मेरी मुसीबत
शुरू हो गई । कुल मिला कर अब तक 72 अडौसी-पडौसी मिलने आ चुके हैं
जिन्हें गोवा के काजू मंगाने हैं और छिलके वाले मंगाने हैं । मज़े की बात ये
हैं कि 2 किलो से कम किसी को नहीं चाहिए..........
इस हिसाब से कमसे कम 144 किलो काजू तो सिर्फ़ पडौसियों को सप्लाई
करने हैं । ख़ुद को चाहिए तो अलग से ..........
वैसे तो मैं इन सबको टरका देता.... ये कह कर कि मैं गोवा से सीधा सूरत
नहीं आऊंगा ...कई और जगह जा कर आऊंगा इसलिए नहीं ला सकता
लेकिन वो क्या हैं कि मंगाने वाली भाभियाँ और कन्याएं इतनी सुन्दर
हैं तथा इतनी प्यारी हैं कि मैं उनकी बात टाल नहीं सकता,,,,,,
अब मैं करूँ तो क्या करूँ ?
आर्डर सभी ने दिया हैं ..पैसा किसी ने नहीं दिया हैं ..जैसे काजू का बाग
मेरे पिताजी ने उगा रखा हैं..........और मैं कवि नहीं कुली हूँ जो इतना
भार लाद कर उनके लिए काजू लेकर आऊं ..........
सोचता हूँ काजू का व्यापर ही कर लूँ............जब इतनी खपत हैं, तो
धन्धा करने में क्या बुराई हैं.........
कुछ समझ नहीं आ रहा हैं और एक घंटे बाद प्रस्थान भी करना हैं ,
मेरी मदद कीजिये न प्लीज़............
कोई रास्ता सुझाइए न प्लीज़...........
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
18 comments:
आप मेरे लिए तो बिना छिलके वाले डेढ़ किलो काजू ही ले आइयेगा। वैसे बतला दूं कि मैं सुंदर नहीं हूं पर आप कहेंगे तो रामलीला वालों से उधार लेकर सीता जी का मुखौटा धारण कर लूंगा।
अब आप यह नहीं कह सकेंगे कि सबने छिलके वाले काजू ही मंगवाए हैं या दो किलो से कम नहीं मंगवाए हैं।
तो फिर आप गोवा जा रहे हैं या ........
फरीदाबाद में शनिवार 12 सितम्बर 2009 को प्रात: साढ़े दस बजे से आयोजित होने वाले साहित्य शिल्पी के वार्षिकोत्सव और नुक्कड़ के ब्लॉगर्स स्नेह महासम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं।
ब्लॉगर्स स्नेह महासम्मेलन में आयेंगे तो जरूर बच जायेंगे ..... बस कुछ कवितायें सुनानी होंगी जिनके लिए कुछ मिलेगा भी नहीं। परन्तु 144 किलो काजू खरीदने से जो पैसे बचेंगे .........
क्या ख्याल है जनाब का ..
काजू तो यार...मुझे भी बहुत पसन्द हैँ लेकिन आपके मोहल्ले की सुकोमल कन्याओं के होते हुए अपना नम्बर आएगा?...ऐसा नामुमकिन ही लगता है...
आपकी यात्रा मँगलमय हो
खत्री जी इसका उपाय यहाँ है टका वाळी रौ ई खुणखुणियौ बाजसी | ज्ञान दर्पण
दद्दा, दिल मत तोड़ना किसी का , काजू तो ले ही आना !!
मेरे विचार से इस स्थिति में काजू का व्यापार करना ही सबसे अच्छा रहेगा !!
व्यापार करते ही घाटा होगा, सुंदरता को देखकर कब तक बिन पैसे के देंगे। अब तो आप फंस चुके ये बात ब्लॉग पर डालकर। अब तो ब्लॉग वाले हम दोस्त भी आपसे काजू मंगवाएंगे और पार्सल का खर्चा भी आपको ही देना होगा। मेरे लिए भी दो किलो।
अब जा ही रहे हैं तो सौ- पचास ग्राम हमारे लिए भी लेते आईयेगा.....:)
do kilo hamare liye bhi le aayega
ab total kitne ho gaye hai ;-)
-Sheena
गुरूजी दो किलो मेरे लिए भी ले आना !!
Thoda mere liye bhi!
अरे भैया, कह देना पेमेन्ट कर दिया है और शिपमेंट कर के आ रहे हैं:)
बहुत ही मुश्किल समस्या है…………………:)
kya mera number aayega ?
ज्यादा काजू मत खाना।
शुगर होने का डर है।
बधाई!
सब की उम्र बताओ, हम बाप बेटा सब के लिये काजू ले आयेगे, आप की जान भी बचेगी, अजी छिलके वाला, बिना छिलके के, नमक वाला, मिठ्ठा जेसा पसंद होगा हाजिर होगा :)
हर खास ओ आम
और ब्लॉगर को
सूचित किया जाता है कि
अलबेला खत्री जी काजुओं के साथ
या काजू अलबेला जी के साथ
गोवा छोड़ चुके हैं और
किसी भी क्षण
सूरत पहुंचने वाले हैं
जो काजूओं की और अलबेला जी की
सूरत का दीदार करना चाहेंगे
वहां हाजिर हो जाएं
जो वहां पहुंच जायेंगे
उनको तो 100 प्रतिशत काजू मिल जाएंगे
बाकियों को कूरियर से या ऑनलाईन
उनके खातों में सीधे जितने बचेंगे
औसत निकाल कर भिजवाये जायेंगे
ब्लॉगर स्नेह महासम्मेलन का
असीम स्नेह यहीं नजर आएगा
महासम्मेलन के भागीदारों को
अलबेला खत्री जी खुद उनके
ब्लॉग ब्लॉग पर जाकर
काजू रूपी टिप्पणियां बटवायेंगे।
जल्दी ही वे और उनकी टिप्पणियां
आपको नजर आएंगी।
मेरी मानिये सबको जैसे भी करके टाल दीजिये कैसे बोझ उठाएंगे १४४ किलो का | हाँ मेरे लिए दो किलो छिलके वाले कांजू जरुर ले आइयेगा |
गोआ वापसी के बाद की काजू कथा वाली पोस्ट की प्रतिक्षा रहेगी
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