तिनका भी मिल जाए तो टकरायेंगे तूफ़ान से
है हमें उम्मीद नव पीढ़ी के हर नौजवान से
ज़ुल्म और दहशत वतन में कौन फ़िर करेगा
प्यार गर मिलता रहे इन्सान को इन्सान से
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
12 comments:
विडम्बना तो यही है खत्री जी कि इन्सान को इन्सान से प्यार ही तो नहीं मिलता।
चार पंक्तियों में बहुत सुन्दर सन्देश!!!
वाह.. क्या पंक्तियां पेश की हैं.. हैपी ब्लॉगिंग
सुंदर रचना। बधाई।
आमीन !!
जान है इंसान मे हर बाधाओं से टकराने का.
सुंदर भाव से सजी कविता..
प्यार तो चाहिए/मिलता है इंसान में
हम तलाशते फिरते हैं हैवान में भी
डॉ. शेरंजग गर्ग की पंक्तियां गौर फरमाइएगा :-
बड़े अनूठे हैं हम लोग
टूटे फूटे हैं हम लोग।
बढिया सोच के साथ लिखी गई प्रभावी रचना...
तालियाँ ...
bahut behtareen.badhai!!
अच्छी पंक्तियाँ
बहुत हीं सुन्दर विचार संप्रेषण हुआ है इस कविता से ।
इंसान से ज्यादा कौन है नामा स्याह | बहुत गज़ब की पक्तियां है आपकी !
सुन्दर कामना अलबेला जी
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