जगने के वक़्त सो रहा है यार किसलिए ?
सुनहरी मौका खो रहा है यार किसलिए ?
ये बाग़ है बादाम का , तू आम तो उगा
मिर्चों के पौधे बो रहा है यार किसलिए ?
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
14 comments:
बहुत ही सुन्दर बात लगी .......अलबेला भाई
सुन्दर भाव उडेले थे आपने पर १०-१२ लाइन की कविता नुमा रचना बन जाती तो क्या कहने !
कुछ लोगो की आदत होती है माहौल को बिगाड़ने की .....
एसे लोग मिर्च ही बोयेगे भाई जी बादाम नहीं |
मिर्चों के पौधे बो रहा है यार किसलिए ?
Genuine question hai ye to...
-Sheena
bahut hi gahre bhavon se paripoorna rachna.
Bahut khoob.
( Treasurer-S. T. )
albeli baat kah gaye albelaa ji!!
वाह !!!! बेहतरीन.
भाई मिर्च सौ रुपये किलो हो गई है? बुराई क्या है?
रामराम.
कुछ लोगों की ये आदत होती है, जो कि मिर्चें बोकर बादाम पाना चाहते हैं!!!
बहुत बढिया!!
बहुत बढ़िया.
कुछ लोगों की आदत होती है माहौल में कड़वाहट खोलने की...
बढिया कटाक्ष
waah bahut khoob...
आपकी अभिव्यक्ति की एक और बेजोड़ मिसाल ....साधू!
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