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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

एक गोरी सांवरी सी मेरे गीतों की फ़ैन हो गई..........

एक गोरी सांवरी सी मेरे गीतों की फ़ैन हो गई

एक छोरी बावरी सी मेरे गीतों की फ़ैन हो गई



पनघट जाती-जाती गाए

जल भर लाती-लाती गाए


आती गाए, जाती गाए

सखियों से बतियाती जाए


पल में सौ बल खाती जाए

गीत वो मेरे गाती जाए


कितनी बेचैन हो गई, कितनी बेचैन हो गई ...

रे मेरे गीतों की ....



उसकी छैल छबीली आँखें

चंचल आँखें , कटीली आँखें


बिजली सी चमकीली आँखें

मोटी-मोटी मछीली आँखें


नीली और नशीली आँखें

आबे-हया से गीली आँखें


तीर्थ उज्जैन हो गईं, तीर्थ उज्जैन हो गईं ...

रे मेरे गीतों की ...



जब जब मेरी याद सताये

उसकी मोहब्बत अश्क़ बहाये


तन घबराये, मन घबराये

उसका अखिल यौवन घबराये


जग-जग सारी रैन बिताये

पल दो पल भी नींद आये


रातें कुनैन हो गईं, उसकी रातें कुनैन हो गईं

रे मेरे गीतों की ...

7 comments:

M VERMA September 6, 2009 at 4:59 AM  

बेहतरीन गीत
नीली और नशीली आंखे ---
बेहतरीन श्रृंगार

Udan Tashtari September 6, 2009 at 6:50 AM  

क्या बात है..फिर तो आप छा लिये. :)

Gyan Darpan September 6, 2009 at 7:06 AM  

शानदार :)

शिवम् मिश्रा September 6, 2009 at 11:39 AM  

बधाई हो भाई जी !!

रज़िया "राज़" September 6, 2009 at 11:42 AM  

वाह! क्या बात है? आपके तो मज़े ही मज़े हैं।

कामोद Kaamod September 6, 2009 at 1:50 PM  

बधाईयाँ!! छा गये जी :)

Chandan Kumar Jha September 7, 2009 at 10:53 PM  

वाह क्या बात है…………………पर कौन थी वह :)

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