छुप छुप के नहीं मैंने सरे-आम लिखा है
कालेज की दीवारों पे तेरा नाम लिखा है
मेरी ये ज़िन्दगी है एक वीणा की तरह
जिसके सभी तारों पे तेरा नाम लिखा है
ख़त भी लिखा तो ऐसा कि कुछ भी नहीं लिखा
सलाम ही सलाम ही सलाम लिखा है
न जाने कितनी रातों का लोहू भरा गया
तब जा के इस कलम ने इक कलाम लिखा है
पत्थर की बात छोड़िये कलयुग में 'अलबेला'
नेता भी तर गया है जिस पे राम लिखा है
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
वाह आपका भी जवाब नही ......अतिसुन्दर
बहुत ही खुब
बेहतरीन
"पत्थर की बात छोड़िये कलयुग में 'अलबेला'
नेता भी तर गया है जिस पे राम लिखा है"
बहुत खुब एक और लाजवाब प्रस्तुती। बहुत-बहुत बधाई|
मै भी सोच रहा हूं नाम के आगे राम लगा लूं,अनिल राम कैसा रहेगा अलबेला जी,तर जाऊंगा या नही?बहुत बढिया लिखा आपने।
वाह वाह क्या बात है! लाजवाब रचना! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
zabardast lekhan |
अच्छी रचना !!
पत्थर की बात छोड़िये कलयुग में 'अलबेला'
नेता भी तर गया है जिस पे राम लिखा है|
वाह भई वाह!!
वाह! अल्बेला तुमने तो ये कविता लिख्कर।
हादसा/ वाक़ेआ/पूरा और तमाम लिखा है।
वाह, अलबेला जी, वाह क्या खूब लिखा है.
मस्त है भाई.
"पत्थर की बात छोड़िये कलयुग में 'अलबेला'
नेता भी तर गया है जिस पे राम लिखा है"
बहुत सुंदर अलबेला जी जबाब नही,
प्रेम गीत ने अंत में व्यंग्य का रूप ले लिया ...बहुत बढिया
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