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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

हास्यकवि अलबेला खत्री का पैगाम - देशवासियों के नाम

यदि आप बाज़ार की मन्दी के मारे हुए हैं

अथवा......किसी भी चुनाव में हारे हुए हैं


विद्युत की कटौती से तंग आए हुए हैं

या चन्दा मांगने वालों से घबराए हुए हैं


दोस्तों को उधार दे कर पछता रहे हैं

या वसूली वाले आपकी जान खा रहे हैं


बच्चों की फ़रमाइशों से बौखलाए हुए हैं

या पत्नी के प्रकोप से सताए हुए हैं


देश के बिगड़ते हालात पर हैरान हैं

या अपनी ही मूर्खताओं से परेशान हैं


तो रोइये मत .........

हँसिये

क्योंकि हँसाने के लिए

मैं हूँ ना.........



9 comments:

Chandan Kumar Jha September 3, 2009 at 1:26 PM  

बहुत सुन्दर........आप तो है हीं......हा हा हा !!!!!

शिवम् मिश्रा September 3, 2009 at 1:51 PM  

लगे रहो भाई जी |

ओम आर्य September 3, 2009 at 3:49 PM  

बढिया कही आपने......

Arshia Ali September 3, 2009 at 4:51 PM  

बढिया है।
( Treasurer-S. T. )

राज भाटिय़ा September 3, 2009 at 5:04 PM  

वाह क्या बात है अलबेला जी आप की बात बहुत सुंदर लगी.
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया September 3, 2009 at 5:21 PM  

बहुत बढिया जी.

रामराम.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' September 3, 2009 at 8:52 PM  

वाह...!
बहुत बढ़िया।
कविता तो अच्छी है ही,
अन्त उससे भी अच्छा है।
बधाई!

राजीव तनेजा September 3, 2009 at 11:40 PM  

लगे रहें...जमे रहें...डटे रहें

Gyan Darpan September 4, 2009 at 7:02 AM  

वाह खत्री जी ! कोई तो है जो महंगाई के इस दौर में रोने के समय हंसाने का जिम्मा लिए है |

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