हे गजानन गणेश !
हे गणपति बप्पा मोरिया !
आप तो आए, 10-12 दिन तफ़रीह की और निकल लिए.... दुर्गति तो
हमारी हो गई। जिन प्रतिमाओं को श्रद्घा से हाथ जोड़ते थे, भोग लगाते थे
और सजाते संवारते थे.............अब वे नदी किनारे गन्दगी में पड़ी हैं और
बुरी तरह सड़ रही हैं । जहाँ देखो, वहां आपके अंग बिखरे पड़े हैं । हाथ
कहीं पड़ा है, लात कहीं पड़ी है, मस्तक पर कुत्ते अभिषेक कर रहे हैं तथा
सूंड में मानवीय गन्दगी की भरमार हो रही है।
क्या सोच कर आए थे ?
कि हम आपको सम्हाल लेंगे ? अरे हम अपने सगे माँ-बाप को नहीं
सम्हाल रहे तो आपको क्या सम्हालेंगे ? जब आपको मालूम था कि इस
बार वर्षा बहुत कम हुई है और देश भर में पीने के पानी तक के वान्दे हैं,
तो आपने कैसे सोच लिया कि आपको ढंग से विसर्जित करने के लिए
सरकार बाँध से पानी छोड़ कर तापी में धारा बहा देगी.......
अरे.........इस सरकार के पास गौ वध करने वाले कत्लखानों में मशीनों
की धुलाई के लिए लाखों गैलन पानी रोज़ उपलब्ध है मगर देवी देवताओं
के विसर्जन के लिए ठेंगा ! आपको विसर्जित होना है तो अपने साथ या
तो बाढ़ ले कर आओ नहीं तो सडो.....यों ही..........
हे गिरिजानंदन !
अपना नहीं तो कमसे कम अपने पूज्य पिता बाबा भोलेनाथ का ही
ख्याल कर लिया होता..........क्या गुज़र रही होगी उन पर आपके यों
छितरे बिखरे भग्नावशेषों को देख कर..........
असल में मैं तुम से बहुत नाराज़ हूँ और मुझे बहुत कुछ कहना है लेकिन
मैं आपकी भान्ति कोई देवता तो हूँ नहीं कि बैठे बैठे भक्त लोग सब
सेवा कर देंगे .......मुझे तो ख़ुद नहाना है और पित्तरों को जलांजलि देनी
है ....यदि नल चला गया तो लटक जाऊँगा। इसलिए पहले वो निपटा
लेता हूँ .. बाद में आपसे मिलता हूँ एक घरेलु ब्रेक के बाद....... लेकिन
इस एपिसोड में इतना ज़रूर कहूँगा कि जो हुआ सो हुआ, अगली बार
मत आना .........कोई कितना ही पुकारे, मत आना ...कसम है आपको
धरती माता के बिगड़ते स्वास्थ्य की.......... अगर शर्म और स्वाभिमान
जैसी कोई चीज आपमें शेष हो तो न आना रे बाबा.................
अभी बाकी है..........शेष अगले अंक में
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
13 comments:
महाप्रभु ,
इन्हे तो बख्श दिया होता !!
वैसे बात में दम तो है गुरु !!
ज़रा यहाँ भी निगाह डाले :- "बुरा भला" ने जागरण की ख़बर में अपनी जगह बनाई है |
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_5767315.html
वाह अलबेला जी आप ने एक ही लेख मै सब को आईना दिखा दिया बारी बारी, लेकिन मै आप की हर बात से सहमत हुं, मै भी आप के संग कहता हुं, मै भी कहता हुं हे गणपति बाबा मत आओ, मत आओ बार बार, कुछ तो ध्यान रखो इस संसार का.
आप का धन्यवाद
हे गजानन,
अगले बरस तु फिर से आना
साथ में सद्बुद्धि का पिटारा लाना
पानी का प्रसाद गिराना
खुद तो खूब नहाना
सूखे को भी दूर भगाना
.
nice
kitani kadawee hoti hai sachchii baat.
व्यंग्य दिलचस्प है कहीं भक्त नाराज न हो जाय
Ganapati bappa bhee ek bar ko sochane par wiwash ho jayenge ki agali bar jana sahee rahega kya ? Badhiya wyang.
गणपति बब्बा मोर्या, अगले बरस जल्दी आना......
आदरणीय अलबेला जी,
हमारे गणपति बप्पा से यूँ बात न करें ये उनकी शान के ख़िलाफ़ बेअदबी है। सच बतलाएँ, बप्पा के लिए बुतपरस्तिश का इल्ज़ाम भी सह लें हम । मगर हाँ ग़लतियाँ मनुष्य की हैं सिर्फ़ उनकी बात ही हो तो क्या ही अच्छा हो। फ़ीअमानल्लाह ।
कमाल हैँ आप भी...नाम भगवान का लेकर व्यंग्य हम लोगों पर ही कसे जा रहे हैँ?...
मत आना रे बाबा !
एक एक शब्द से सहमति रखते है हम तो… और बुरा ना माने पर… प्रभु को सबसे अधिक प्रेम करने वाले तथाकथित बुतपरस्त लोगों की ही तो क्रिपा है ये ! बसाना ही है तो बप्पा को दिल मे बसाइये… ये क्या कि 10 12 दिन खुशामद की और फ़िर बहा दिया… कि आगे अपना खुद ही ख्याल रख लेना रे प्रभु… ! what a formality !
धन्यवाद।
क्रिपया किसी बात को अन्यथा ना लें।
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