कमाल का शहर है भाई लखनऊ भी...........
जैसे ही चार बाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से बाहर
मैंने एक आदमी से पूछा - बाहर जाने का रास्ता किधर है ?
वो बोला- बाहर जा के पूछलो ...................
मैंने एक पुलिस वाले से पूछा
- सर, बाहर जाने का रास्ता किधर है?
वो बोला- ये बात तुम किसी आदमी से क्यों नहीं पूछते ?
मैं क्या कहता, लेकिन प्यास भी लगी थी...मैं पानी ढूंढ रहा था ।
तभी मैंने एक बोर्ड देखा । लिखा था 'पीने का पानी अन्दर है'
उसके ठीक नीचे लिखा था 'अन्दर आना मना है'
अभी तो ये शुरुआत है ...........देखिये आगे आगे होता है क्या ....
हा हा हा हा हा हा हा
जैसे ही चार बाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से बाहर
मैंने एक आदमी से पूछा - बाहर जाने का रास्ता किधर है ?
वो बोला- बाहर जा के पूछलो ...................
मैंने एक पुलिस वाले से पूछा
- सर, बाहर जाने का रास्ता किधर है?
वो बोला- ये बात तुम किसी आदमी से क्यों नहीं पूछते ?
मैं क्या कहता, लेकिन प्यास भी लगी थी...मैं पानी ढूंढ रहा था ।
तभी मैंने एक बोर्ड देखा । लिखा था 'पीने का पानी अन्दर है'
उसके ठीक नीचे लिखा था 'अन्दर आना मना है'
अभी तो ये शुरुआत है ...........देखिये आगे आगे होता है क्या ....
हा हा हा हा हा हा हा
10 comments:
Kya Albela ji Lakhnow saher to Nawabo ka sahar hai waha Mehmano ki Izzat ki jatii hai app ke saath aisa kyoun hua yeh bahut dhook ki baat hai
Lucknow Nababo ka hai, pl take care
ha ha ha ha
कमाल है भाई..
Majedaar. ha ha ha
मज़ेदार है। हो सकता है फिर आप बाहर के रास्ते की पूछताछ के लिए पूछताछ खिड़की जाएं। वहां पहुंचे तो वो शख़्स न मिलें। फिर लोगों से पूछताछ खिड़की पर बैठे उस शख़्स की पूछताछ करें। और वो कहें मुझसे क्यों पूछते हो जाओ पूछताछ खिड़की पर पूछो..और तब शायद आप खुद से पूछें कि मैं लखनऊ क्यों आ गया।
कहीं नखलेऊ तो नही पहुंच गये गल्ती से? पता करके बताईये.:)
रामराम.
अजीब माजरा है,
हा ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा..सही जगह पहुँचे हो आप!!
Its only happen in India ....
Post a Comment