वफ़ा का कितना अनोखा
सिला दिया उसने
कि मुझको खाक़ में यारो
मिला दिया उसने
_________________वफ़ा का ..................
जो कल तलक़
मेरे सीने से लिपट रोती थी
लबों पे जिसके
फ़कत बात मेरी होती थी
जो पहले नाम
मेरा लेती, फिर सोती थी
ये क्या हुआ,
क्यों मुझे ही भुला दिया उसने
दुआ जो करती थी,
देखो दगा किया उसने
_________________वफ़ा का..............
भुला दिया है
भला कैसे उन नज़ारों को
किया है कैसे
फ़रामोश उन बहारों को
सुहानी रात में
देखे गए सितारों को
ये क्या फ़रेबज़दा
सिलसिला किया उसने
हर एक नक़्श-ए-
मोहब्बत मिटा दिया उसने
_________________वफ़ा का....................
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
15 comments:
बहुत बढ़िया आभार.
bahut sundar agar gaayaa jaye to ekdam hit !!!
Achchi nazm hai
sunder geet...
बहुत बढ़िया !!
waah
वाह !! बहुत बढिया !!
KAHIN KAHIN PRAVAAH ME KAMI AAYEE WARNAA LAAJAWAAB...BAHOT BAHOT BADHAAYEE
ARSH
हम बेवफा हरगिज़ न थे
पर हम वफा कर ना सके
बढिया रचना
वफा पर लिखी सारी नज्में बेहतरीन.......!
सुन्दर रचना आभार !
आपके ब्लॉग पर आज हम भी दस्तक दे रहें हैं, अफ़सोस इस बात का हो रहा है कि हमने आज से पहले इस ब्लॉग को क्यों नहीं देखा? ..बहुत ही खूबसूरती से लिखते हैं आप..बधाई..!
waah bahutsunder
आप की रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई।
मजा आ गया
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