मौसम तो देखो.............
मौसम की पुकार तो देखो
पूर्व से आती बयार तो देखो
हमारा प्यार न देखो, न सही
पर हमारा इन्तेज़ार तो देखो
देखो तो सही
कितने उतावले हैं हम तुम्हारे लिए
अरे यार ! बावले हैं हम तुम्हारे लिए
तुम हो कि नखरैल बनी हो.............
मेरे आँगन में आती ही नहीं हो
मेरा दामन सरसाती ही नहीं हो
माना कि तुम फ़िदा हो अपने ही हुस्न पर
वक्त लगता है तुम्हें दर्पण से हटने में
लेकिन याद रख ___
मौसम तो तुम्हारा गुलाम नहीं है
बरसे बिन तुम्हें भी आराम नहीं है
अपने प्यासों को गर प्यासा ही मार डालोगी
तो क्या करोगी
उस जल का
जो आँचल में भरा है ..............अचार डालोगी ?
अरी ओ घटा...............
अब तो घट जा............
मुझ पर फट जा
धरती से सट जा
तुझसे तो बादल ही भला
जो उमड़-घुमड़ आता है
और झट से बरस जाता है...............
आजा आजा ...नाटक मत कर..........
बन्द अपना फाटक मत कर
बरस जा...............
बरस जा...........
बरस जा.............
वरना गीतकार गीत लिखना बन्द कर देंगे तुझ पर
तोड़ कर फैंक देंगे
-काली घटा छाई प्रेम रुत आई वाला कैसेट
आजा मेरी जान आजा
अपने नाम की लाज बचाने के लिए आजा
धरती के सौन्दर्य को सजाने के लिए आजा
हम प्यासों की प्यास बुझाने के लिए आजा
आजा
आजा
आजा ...................................
ऐ काली घटा आजा.............................
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
9 comments:
अब तो आ ही जाएगी !!
वाह बरसात के इन्तेजार में इतनी अच्छी पंक्तिया आपने लिख डाली अब तो बरसात आनी ही है !!
बहुत ही सुन्दर भाव लिये हुये कविता ......कमाल करते हो भाई ..
haa haa haa ye badiyaa tareeka hai aab sun legee
आई की नहीं..अभी तक?
बहुत लल्लन-टॉप रचना है ;)
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
भाई आपकी पुकार सुन ये दो दिन पहले हमारे यहां फ़ट गई और आज सुना है पोरबंदर और जूनागढ मे फ़ट गई.:)
रामराम.
शायद ये आपकी पुकार का ही असर है कि हमारे यहाँ तो पिछले दो घंटों से मूसलाधार बरस रही है:)
"आजा आजा ...नाटक मत कर..........
बन्द अपना फाटक मत कर"....बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ अलबेला जी...क्या बात है भाई.४ पंक्तियाँ मेरी भी सुनते जैयेया-
"मेघ..इतना बरसो की धरती खिल-खिल जाये,
और मेघ..इतना भी न बरसो,
की हर कोई हिल जाये.."!!!
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