शीना जी ने एक बढ़िया किस्सा सुनाया ।
मुझे बहुत आनन्द आया ।
इससे पहले कि कोई बेनामी आए, मैं आपको सुना देता हूँ ।
ताकि आप भी आनन्द करो ...लेकिन ये एक पहेली है
जिसका आपको सही जवाब देना है ......
हुआ यों कि एक ब्लोगर्स मीटिंग में अनौपचारिक बातचीत
के दौरान संजय बेंगाणी ने मुझसे पूछ लिया - यार तुम खत्री कैसे ?
मैंने कहा - जैसे छाता, वैसे छतरी ..जैसे खतरा वैसे खत्री ।
अब के साहित्य शिल्पी वाले राजीव रन्जन ने
वन्दना अवस्थी दुबे से पूछ लिया
कि वे दुबे कैसे हैं ?
वन्दना जी बोली - सिम्पल !
एक हमारी माताजी और एक हमारे पिताजी
इन दो से हमारा सृजन हुआ इसलिए दुबे ................
यह सुन कर वहां खड़े त्रिवेदीजी ने चतुर्वेदीजी से कहा -
चलो यार, बाहर घूम के आते हैं , वन्दनाजी तो दुबे हैं
उन्होंने बात को सम्हाल लिया लेकिन मैं त्रिवेदी और तुम
चतुर्वेदी, अपन क्या जवाब देंगे ? वे बाहर निकले तो सामने से
पंचोलीजी आ रहे थे । दोनों ने उन्हें रोका, भइया अन्दर मत
जइयो बड़ी खतरनाक बात चल रही है ।
पंचोलीजी से छूटे तो भंडारीजी मिल गए और आगे गए तो
मिश्राजी मिल गए ........अब करे तो क्या करे ?
तभी वन्दनाजी ने दोनों को बुला कर एक ऐसी बात कही जिससे
त्रिवेदी और चतुर्वेदी खुशी से झूम उठे ।
आपको ये बताना है कि वन्दनाजी ने उन्हें क्या कहा होगा ?
सही जवाब देने वाले को एक साल तक उसकी हर पोस्ट पर
मेरी एक अच्छी टिपण्णी और एक ब्लोगवाणी पसन्द
रोज़ाना मिलेगी ...वो कुछ नहीं लिखेगा तो भी मिलेगी ...हा हा हा हा
तो आओ पहेलीबाज़ो !
दो जवाब ..वरना 12 घंटे बाद मैं ही दे दूंगा ,,हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
18 comments:
आपका ही जबाब सुनेंगे १२ घंटे बाद!
मुझे भी आपके जवाब का इंतज़ार है
हा !हा! हा!आप भी पहेली बूझने लगे!
वंदना जी से पूछ कर बताती हूँ..
आपके जबाब का ही इंतजार लगा रखा है।
हास्य और वो भी सतर्क,
आपको क्या पड़ता है फर्क,
फल तो निचुड़ ही जायेगा-
चाहे जूस कहो या अर्क।
भई पंचोली जी तक पहुंचते पहुंचते तक तो अपनी हालत हंसते हंसते खराब हो गई . जवाब क्या देंगे .. वैसे गम्भीर बात कहूँ.. दुनिया बनने के बाद से लेकर अब तक हम सभी इंसान मिश्रा जी हो गये हैं
इंतज़ार करना ही बेहतर है.
जल्दी बताइए .. किसी को नहीं पता ।
अलबेला जी, जबाब तो हमारे पास भी नही है, इस लिये ठीक १२ घंटे इंतजार कर लेते है.
intzaar kar rahee hu....
करते हैं इंतजार
बहुत खूब
आप खत्री होकर भी खतरा हैं
वंदना दुबे जी ने दिया सही जवाब
और आपने रोक रखा है।
उसी पर अपना नाम लिखकर
फिर एक पोस्ट बनायेंगे
जय हो खत्री जी
आप खतरा नहीं
एक पोस्ट नई लगायेंगे
उस पर भी हमारी
टिप्पणियां और पसंद
लबालब पायेंगे।
भाई पहेली पूछी है तो कुछ हिंट तो दो?:)
रामराम.
यहां नकल करना कराना वैध नहीं है ताऊ जी
अविनाशजी इसीलिये तो हम ताऊ हैं.:)
आपसे से सुनने मे भलाई है।
मतलब पहेली फ़्लू इधर भी घुस गया ।
किसी को फ़िकर लेने की जरूरत नहीं ना है. काहे की तमने जो तर्क डिस्प्ले किया है, वो दुबे से आगे नहीं जाता. दुनिया का हर जिउ दुबे ही है भाई, यह है एक वैग्यानिक सच्चाई । कोई चाहे तो भी त्रिवेदी या चतुर्वेदी ना हो सके.
वैसे इस तरह किसी जाति या धर्म को लेकर हास्य करने से बचना चाहिये.
देखिये खत्री जी, सावधान किये देती हूं, किसी को जवाब नहीं बताना है....थोडी देर ये घालमेल चलने तो दें..
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