इसे ही तो कहते हैं दूसरो की चिता पर अपनी रोटियां सेंकना ।
एक तरफ़ तो अहमदाबाद में सैकड़ों लोग ज़हरीली शराब "लट्ठा"
पी कर अकाल काल के गाल में चले गए और दूसरी तरफ़
शराब बनाने वाला एक बड़ा लिकर किंग विजय माल्या इस
दुखद घड़ी में अफ़सोस जताने के बजाय अपनी व्यवसायी गोटी
फिट करने में जुट गया है ।
माल्या का बयाँ इतना घटिया और फूहड़ है कि उसकी मानसिक
स्थिति को पूरा नंगा कर देता है ..............
शरीर पर
सूट चाहे वह कितना ही महंगा क्यों न पहना हो....
वो कहता है कि गुजरात से दारूबन्दी इसलिए हटनी चाहिए क्योंकि
इसके कारण सरकार को राजस्व का नुक्सान हो रहा है ॥
वाह रे ! विजय माल्या ! गनीमत है कि तुझ जैसे लोग
सरकार में नहीं हैं ...वरना शराब ही क्यों ?
तुम्हारा बस चले तो चरस,हेरोइन व अफ़ीम ही नहीं,
विस्फोटक और हथियार भी गली गली बिकना शुरू हो जाए ...
बिजनेस जो करना है .........
तुम कहते हो कि जब पाबन्दी के बावजूद हर किस्म की शराब
गुजरात में बिकती है और तीन गुना भाव में बिकती है तो पाबन्दी
का फ़ायदा क्या ?
तो श्रीमान, आप इस भूल में न रहें कि यहाँ तीन गुना भाव में बिकती है ।
गुजराती लोग इतने मूर्ख नहीं हैं ..........सच तो ये है कि यहाँ मुंबई के
मुकाबले दारू बहुत सस्ती मिलती है क्योंकि अवैध रूप से आने के कारण
उस पर भारी-भरकम कर नहीं लगता सिर्फ़ पुलिस वालों
ही जेब गर्म करनी पड़ती है ..ये मैं इसलिए जानता हूँ क्योंकि
कभी-कभी हम भी शौक फ़रमाते हैं ।
रही बात पाबन्दी के औचित्य की ............तो प्यारे दारू निर्माता !
सब जानते हैं कि लोग झूठ बोलते हैं और दिन भर बोलते हैं , तो क्या
गांधीजी की फोटो और पुस्तकों के नीचे सत्य के बजाय झूठ के
samarthan वाली ukti लिख देनी चाहिए?
क़ानून के बावजूद हत्या, चोरी, dakaiti व अन्य apraadh रात दिन
हो रहे हैं ......तो क्या ये सब kanoonan apraadh नहीं होने chahiyen ?
शर्म करो यार शर्म करो !
और ज़रा भी शर्म आ जाए तो अपनी इस byanbazi के लिए
उन pidit परिवारों से kshma maango jinke लोग इस
trasdpoorn latthakaand में बे मौत मारे गए हैं ।
likhna तो बहुत है लेकिन मैं tumhaare लिए faltu नहीं
baitha हूँ ..इसलिए समय मिला तो फ़िर likhoonga ...
tab तक अपनी ghrinit मानसिकता के लिए maafi mang ले
शायद pablik maaf कर दे।
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
10 comments:
These people know how to take advantage of the situation.
आपने जो भरपूर गुस्सा दिखाया वो भरपूर जायज है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अरे अरे अलबेला जी इतना गुस्सा और इतना लम्बा लेख लिख कर भी आपका मन नहीं भरा क्या उसे बिना शराब के ही मार देने का इरादा है ? सुन्दर और स्टीक आलेख आभार्
बेहतरीन
सोलह आने सच बात कही है, आपका क्रुद्ध होना जायज है, आपकी इस सोच में हम आपके साथ है...
अल्बेला जी, विजय माल्या एक व्यापारी है और कोई भी व्यापारी अपने व्यवसायिक हितों के बारे में पहले सोचता है. एक कफन बेचने वाला दुकानदार भी यही सोचता होगा कि रोज ज्यादा से ज्यादा लोग मरने चाहिए ताकि उसकी दुकानदारी बढिया चल सके. इसलिए विजय माल्या को दोष देने की बजाय उन लोगों को दोष देना चाहिए जो कि शराबबन्दी के बावजूद चोरी-छिपे जहरीली शराब पीकर मौत को दावत दे रहे हैं। बताईये क्या बिना शराब पिए खाना हजम नहीं होता ?
दूसरे दोष केन्द्र एवं प्रांतीय सरकारों का है...यदि शराबबन्दी करनी ही है तो पूरे देश में एक साथ की जाए।
आपका गुस्सा जायज है |
मैं भी गुस्से में हूँ....
apni apni goti fit karne ka mauka milanaa chahiye bas! chahe wo bemauka hi ho!!
उफ़ ये बयानबाजी और खोखली राजनीति...
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
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