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Albela Khatri

जब घर से चला जवान




जब घर से चला जवान तो माता क्या बोली?


माता बोली लिपटा कर,

छाती से उसे लगाकर

दुश्मन फिर सर पर आया,

सीमा ने तुझे बुलाया

ओ भारत के रखवाले,

अपने हथियार उठा ले

तूने मुझसे जनम लिया है

और मेरा दूध पीया है

तो दूध का कर्ज़ चुकाना,

वर्दी का फ़र्ज़ निभाना

हारा मुंह मत दिखलाना,

अब जीत के ही घर आना

मेरी कोख की लाज बचाना,

रण में मत पीठ दिखाना



जब घर से चला जवान तो बहना क्या बोली?


आंसू जल के फौव्वारे,

बहना की आंखों के धारे

जब फूट पड़े गालों पे,

मुंह ढांप लिया बालों से

ली दस-दस बार बलैयां,

फिर बोली प्यारे भैया

इस घर को भूल न जाना,

तुम वापस लौट के आना

राखी का बॉंध के धागा,

बस एक वचन ये मॉंगा

पीछे मत कदम हटाना,

आगे बढ़ते ही जाना

मेरी राखी की लाज बचाना,

रण में मत पीठ दिखाना



जब घर से चला जवान तो सजनी क्या बोली?


वो बोली कर आलिंगन,

तुम जाओ मेरे साजन

मैं भी अरदास करूंगी,

व्रत और उपवास करूंगी

तुम अपना धर्म निभाओ,

दुश्मन को धूल चटाओ

बैरी की छाती फाड़ो,

फिर उसपे तिरंगा गाड़ो

गर देनी पड़े क़ुरबानी,

मत करना आना-कानी

हॅंसते-हॅंसते मिट जाना,

गोली सीने पे खाना

मेरी मांग की लाज बचाना

रण में मत पीठ दिखाना



जब घर से चला जवान, दिशाएं गूंज उठीं


तेरी जय हो वीर जवान

तेरी जय हो वीर जवान

तेरी जय हो वीर जवान

4 comments:

निर्मला कपिला July 26, 2009 at 12:13 PM  

बहुत भावपूर्ण रचना है शहीदों को नमन जै हिन्द्

Anonymous July 26, 2009 at 12:21 PM  

तेरी जय हो वीर जवान...

....इन जवानों के कारण ही हम अपने घर चैन की नींद सो पाते हैं.

इन जवानों को नमन...

प्रकाश पाखी July 26, 2009 at 8:04 PM  

शहीदों को सलाम, धन्य भारत देश महान !
देशभक्तिपूर्ण रचना के लिए आभार...!

jamos jhalla July 28, 2009 at 6:39 PM  

KHATRIji vaakai aaj ke bhoutiktavaadi dour mai
ALBELI rachnaa hai.
jhalli-kalam-se
jhallevichar.blogspot.com
angrezi-vichar.blogspot.com

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