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Albela Khatri

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गर्मजोशी से स्वागत है


____आपश्रीजन नारी ब्लॉग पर फ़रमाते हैं .........

26 Comments:

लवली कुमारी / Lovely kumari said...

कैसे अश्लील शब्दों को सामाजिक (यहाँ ) मान्यता मिल जाती है सभ्य लोगों के बीच ..उन्हें असहमति दर्ज करवानी थी तब भी श्लील शब्दों का प्रयोग कर सकते थे.मेरी भी आपति दर्ज की जाये.

Mohammed Umar Kairanvi said...

साथ ही चेतावनी भी देदी जाती तो अच्छा था, 'नारी का सम्‍मान करें, अन्यथा नारी शक्ति' से आपका परिचय कराया जायेगा, अधिक फिर कभी कहूँगा फिलहाल तो आपने भी कम शब्दों में ही बहुत कुछ कहा है,

मेरी भी आपति दर्ज की जाये,

आर. अनुराधा said...

सबसे पहले इन महाशय के अपशब्दों के खिलाफ मेरी भी सख्त आपत्ति और विरोध दर्ज किया जाए। इसके बाद मुझे कहना है कि ऐसी मानसिकता से लड़ने के लिए ही हम महिला ब्लॉगर मैदान में डटी हुई हैं। और इन चंद हल्के, ओछे, अभद्र शब्दों से डर कर चुप रहने वाले हम नहीं। अपने विचारों को तर्कों और व्यवहार से सही साबित करने का अभियान जारी रहे।

संगीता पुरी said...

ऐसी बातों से भला किसको आपत्ति न होगी .. अपने अपने विचारों की अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता सबों को है .. चाहे वे पुरूष हो या नारी .. पर अश्‍लील शब्‍दों का प्रयोग अनुचित है .. ये सभ्‍य लोगों का मंच है ।

विवेक सिंह said...

हम तो इस ओछी हरकत की निन्दा ही करेंगे,

ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किसी तरह भी सही नहीं कहा जा सकता !

सागर नाहर said...

ऐसे बढ़िया हाय कवि/कलाकार से ये उम्मीद ना थी, पिछली एक दो पोस्ट में उन्होने जो कुछ लिखा देखकर घिन तो आई ही आपके प्रति जो सम्मान था वह भी कम ही हुआ।
आप जैसे वरिष्‍ठ कवि- ब्लॉगर को बी आर पी बढ़ाने के ये नुस्खे शोभा नहीं देते।

रंजना [रंजू भाटिया] said...

लिखने की यहाँ सबको स्वंत्रता है .पर शब्द वह हो जो किसी को आहत न करें ...आप जो भी लिखते हैं वह आपके व्यक्तित्व का आईना होते हैं ..आपकी सोच और उसकी सीमा को दर्शाते हैं ....इस तरह के शब्दों के प्रति मेरी भी असहमति दर्ज की जाए ..

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

काश कि हिन्दी ब्लॉग जगत का लेखन लिंग, जाति, मजहब, पेशे की संकीर्णताओं से ऊपर उठे और इस तरह के लेखन से बचते हुए कुछ सार्थक किया जाए... आमीन।

Suresh Chiplunkar said...

सागर भाई से सहमत,अलबेला खत्री जैसे हास्य कवि को अपने ब्लॉग की TRP बढ़ाने के लिये INDIA TV जैसे तरीके अपनाने की जरूरत नहीं है, पहले भी वे ब्लॉगरों के नाम लेकर चुटकुले बनाकर हास्य पैदा करने की कोशिश कर रहे थे… उन्हें सिर्फ़ अपनी हास्य व्यंग्य रचनायें ही देना चाहिये, इस प्रकार की घटिया भाषा या हेडिंग देने का कोई औचित्य ही नहीं है…

अनिल कान्त : said...

गलत, अश्लील बातों और असमाजिक बातों से किसे आपत्ति नहीं होगी ...ये अनुचित है

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ऐसे संबोधनों से नारी का सम्मान कैसे कायम रहेगा -- ये बताएं -
नारी ही नारीयों का बुरा करतीं हैं
ये भी सच है
परंतु,
२१ वीं सदी के पुरुषों से ये अपेक्षा रखनी भी जायज है कि, नारी दमन या नारी के अपमान सूचक शब्दों और व्यवहार को
अपने मन से निकाल कर,
सदा के लिए ,
तिलांजलि दे देवें --
नारी समाज से भी यही आशा करें -
नारी का सम्मान कीजिये -
पुरुषों और नारियों के बीच चला आ रहा ये विवाद , अब ख़त्म करें --
- लावण्या

Mithilesh dubey said...

बिलकुल सही कहना है आपका, ब्लकी मै तो यहा तक कहना चाहुंगा कि इस प्रकार के ब्लागर के खिलाफ सख्त कार्यवाइ की जानी चाहिये ताकी एसा कोई और ना कर पाये।

Parul said...

आपत्ति भी विरोध भी है !

निशा मधुलिका said...

इस तरह की मानसिकता और शब्दों के उपयोग के विरुद्द मेरी भी आपत्ति है

Anonymous said...

दुखद है .....

Vidhu said...

अश्‍लील शब्‍दों का प्रयोग अनुचित है, such people should not be forgiven!

varsha said...

काश कि हिन्दी ब्लॉग जगत का लेखन लिंग, जाति, मजहब, पेशे की संकीर्णताओं से ऊपर उठे . aasheeshji ki baat se sahmat..

Anonymous said...

मैंने यहां पर http://albelakhari.blogspot.com/2009/07/sunaya-tha.html आपत्‍ती दर्ज की थी । तो मुझे ये http://albelakhari.blogspot.com/2009/07/blog-post_4635.html जवाब मिला था । आज आपके पोस्‍ट से मुझे मजबूती मिली है ।

Neeraj Rohilla said...

उनकी दोनों पोस्ट सरसरी निगाह से देखी थी और नजर में खटकी भी थीं।

अलबेला खत्री जी के अन्य लेखन को देखते हुये उम्मीद है कि वो सम्भवत: अनजाने में हुयी इस (गलती तो नहीं, अलबत्ता Letting his guard down) को अवश्य विचारेंगे।

रंजन said...

अलबेला जी को नियमित पढ़ता हूँ और कमेंट भी करता हूँ... पर ये पोस्ट देख मुझे हैरानी हुई.. मैने दो तीन बार समझने की कोशिस की... मुझे लगा शायद मैं कोई बात पकड़ नहीं पा रहा.. पर आपकी पोस्ट से मुझे लगा की मैं गलत नहीं समझ रहा...

मुझे भी ये उम्मीद नहीं थी..

मेरी भी आपति दर्ज की जाये..

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' said...

कौन यहाँ नर?

नारी कौन?...

शब्द ब्रम्ह के सभी उपासक,

सत-शिव-सुन्दर के आराधक.

मन न दुखाएँ कभी किसी का

बेहतर है रह जाएँ मौन.

कौन यहाँ नर?

नारी कौन?.....

खुसरो मीरां में क्या अंतर?

दोनों पढें प्रेम का मंतर.

सिर्फ एक नर- परम-आत्मा

जाने आत्मा नारी जौन.

कौन यहाँ नर?

नारी कौन?.....

कलम का कमाल यही की जो कहना चाहे इस तरह कहे कि कलाम से किसी को मलाल न हो.
शक्ति-सम्मान का सिपाही मैं भी

Anonymous said...

अलबेला से ये उम्मीद तो कतई नहीं थी. पोस्ट तो वाहियात है ही ... लेकिन पता नहीं आप में से कितने लोगों का ध्यान उनकी इस पोस्ट के लेबल्स की और गया . .... घोर आपत्तिजनक शब्द उन्होंने इस पोस्ट के लेबल में लिखे हैं.

sidheshwer said...

हवा मगरूर दरख्तों को पटक जाएगी .
बचेगी शाख वही जो कि लचक जाएगी.
शब्दों के बरतने में संयम जरूरी है!

vande ishwaram said...

is naari ka apman karne wale ka hamen apni saamarthay anusar bahishkar karna chahiye

Udan Tashtari said...

निश्चित ही आपत्ति योग्य बात है. नर हो या नारी, सम्मान आवश्यक है. शब्दों के चयन हमेशा ही ऐसा हों, कि कोई भी अपमानित न हो.

मैं आपसे सहमत हूँ, एवं अपनी आपत्ति दर्ज करता हूँ.

Arvind Mishra said...

मैंने भी अपनी आपत्ति वहां दर्ज करा दी है -यह अशोभनीय है !

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मैं अलबेला खत्री अपने पूर्ण होशो-हवास में यह लिख रहा हूँ और

लिखते हुए हर्ष व्यक्त करता हूँ कि चलो......सभी सही.....

कम से कम ये मुट्ठी भर लोग तो लेखनी के सच्चे सिपाही हैं

जिनकी आँखों का पानी अभी मरा नहीं है

साधु !

साधु !

आप सभी धन्य हैं .................

धन्य हैं आप क्योंकि आपने


इससे पहले कभी कोई ऐसी पोस्ट पढी ही नहीं जिस में

अभद्र ,गन्दे, ओछे, घटिया वाहियात शब्द प्रयुक्त हुए हों

_____________आपको ये जान कर हैरत होगी

सज्जनों !
कि आपकी टिप्पणियां पढने से पहले ही मैं वे पोस्ट हटा चुका हूँ

जिनमे वे शब्द थे जो आपने कभी नहीं पढ़े ...

खासकर हिन्दी ब्लॉग जगत में

__________________________अरे सज्जनों !


किसके विरुद्ध आँखें तरेर रहे हो ?

उसके विरुद्ध ?

जिसके अन्दाज़--सुखन का आपको अलिफ़ बे तक का

पता नहीं ..............

________________आपकी गलती नहीं है सज्जनों !


अधिकाँश लोग ऐसे ही होते हैं जो हवा के साथ बहने में ही

भला मानते हैं

वे कभी दूसरों को पढ़ते ही नहीं, बस ख़ुद को ही

अदब का मसीहा मानते हैं


__________आप जैसे भले लोगों ने मुझे इस लायक समझा कि

मेरा विरोध किया जा सके....ये जान कर बड़ा आनन्द मिला

बल्कि गर्व कि अनुभूति हुई...

===========यह स्नेह और स्मरण बनाए रखें

सधन्यवाद,

सदैव विनीत

अलबेला खत्री

www.albelakhatri.com

www.hasyahungama.com

www.hamaragujarat.com

http://www.albelakhari.blogspot.com

www.youtube.com/hasyahungama

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8 comments:

Arvind Mishra July 30, 2009 at 7:07 AM  

अलबेला जी ,आपने खुद देखा हम बहुत लोगों में आपके प्रति सम्मान का भाव है -हम किसी गलत दृष्टांत को उद्दृत कर ,ढाल बना उसकी आड़ में आगे के गलत काम को जस्टीफाई नहीं कर सकते !
आप द्बारा कुछ शब्दों के चयन में जल्दी बाजी जरूर बरती गयी ! पर फिर भी आप भी एक जिम्मेदार विज्ञ ब्लॉगर हैं आईये एक वातावरण के सृजन में अपना योगदान दें !

गिरिजेश राव, Girijesh Rao July 30, 2009 at 9:09 AM  

बिना पढ़े ही कमेण्ट!

यह दुर्घटना आप के ही साथ होनी थी?

Udan Tashtari July 30, 2009 at 9:31 AM  

जैसी मैने आशा की थी, उस पर आप एकदम खरे उतरे.

मुझे अपनी सोच पर आज फिर आपके उठाये कदम से एक बार नाज हुआ और उसके लिए आपका आभारी हूँ.

आपने पोस्ट हटा कर साधुवादी कार्य किया है, आपको मेरी बधाई एवं शुभकामनाऐं.

अश्लिलता को दूर करने, उससे नाराज हो अश्लिलता का ही प्रयोग करना तो उचित नहीं है वो भी तब, जब वह आपको इंगित कर न की/लिखी गई हो.

दुनिया विविधता से भरी है मेरे भाई..किस किस को रोकोगे और किस किस का रुप धरोगे?

दुराचार खत्म करने दुराचारी बनना तो आप भी उचित न मानोगे.

बेहतर है कि हम अपने लिए नियम बनायें और लाख मुसीबतों में भी उससे न डिगें. यह दूसरों को ज्यादा बेहतर मिसाल देगी आपकी राह पर चलने के लिए.

वो घायल बिच्छू और साधु की कथा तो याद है न मेरे भाई. बिच्छू अपने स्वभाववश रोज साधु को काटता रहा और साधु अपने स्वभावानुरुप रोज उसे मलहम लगाता रहा.

कभी उस पर जनता ने आश्चर्य भी व्यक्त किया किन्तु साधु ने तो अपना स्वभाव न बदला.

आशा है आप मेरी बात में अन्तर्निहित संदेश को समझेंगे और अन्यथा न लेंगे.

आप तो हास्य की दुनिया के बादशाह हो, खूब हँसाओ भाई, इसी की कमी है इस बेतरतीब दुनिया में सांस लेते रहने के लिए. हम आपकी तरफ बहुत बड़ी आशा से देखते हैं, उसे कभी मत झुठलाना. वो आशा जब तक जीवित है, आप हो और हम हैं. वरना तो क्या बच रह जाने वाला है.

मेरी अनेक शुभकामनाऐं आपके साथ हैं. इस एपिसोड को भूल, एक काला अध्याय मान, एक नया एपिसोड चालू करो, तुरंत...

हास्य, हास्य और विशुद्ध हास्य-जीने का एक मात्र रास्ता!!

स्मरण शक्ति के मामले में क्षीणता ही अपना स्थान बना पाई है आजतक. तो सब लोग, सब भूल, बस हास्य सागर में गोते लगायेंगे, यह मेरा दावा है.

साधुवाद इसलिए कि आप इस हेतु सक्षम हैं.

अगर उचित न समझे, तो कमेंट न छापें और इसे हमारे आपके बीच व्यक्तिगत विचारों का आदान प्रदान मानें. मुझे तनिक भी तकलीफ न होगी. आप मेरे अपने हैं, इस हेतु आप तक बात पहुँचना आवश्यक है, यही कामना है.

Unknown July 30, 2009 at 10:52 AM  

AAP KA KATHAN SAHI HAI SAMEERJI,
BICCHHU DUNK MAARNAA NAHIN CHHODTA ....

kaun kiska raqib hota hai
kaun kiska habib hota hai
vaisa hi ban jaata hai taalluk sabse
jaisa jis ka naseeb hota hai

ताऊ रामपुरिया July 30, 2009 at 11:47 AM  

अल्बेलाजी ये दुनियां है यहां जीने वाले को जीने नही दिया जाता और मरने वाले को मरने नही दिया जाता. आप स्वयम समझदार हैं. अब हम तो ठहरे निपट अज्ञानी..क्या कहें?

रामराम.

Anonymous July 30, 2009 at 11:50 AM  

भाईजान, ये आपके साथ जो कुछ हुआ वो एक नारीवादी झण्डाबरदारी है जो स्वयम नारी की दुश्मन है. पर आपको तो निपटा ही गई.

ये सारी फ़िल्डिंग की हुई है. अभी आप इन्हे पहचानते नही हैं.

Intertecconsulting November 27, 2009 at 10:11 AM  

good

Anonymous July 23, 2010 at 5:55 PM  

albela g, ye dunia he, mujhe kuch galat nhi laga, ye ese log he jo galati hone par ankh band kar lete he or dusro par dosh mandte he.

aap samjhdar he.

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