आप सब महानुभावों का
और आपकी
मुझ पर लिखित टिप्पणियों का
गर्मजोशी से स्वागत है
____आपश्रीजन नारी ब्लॉग पर फ़रमाते हैं .........
26 Comments:
Older Postमैं अलबेला खत्री अपने पूर्ण होशो-हवास में यह लिख रहा हूँ और
लिखते हुए हर्ष व्यक्त करता हूँ कि चलो......सभी न सही.....
कम से कम ये मुट्ठी भर लोग तो लेखनी के सच्चे सिपाही हैं
जिनकी आँखों का पानी अभी मरा नहीं है
साधु !
साधु !
आप सभी धन्य हैं .................
धन्य हैं आप क्योंकि आपने
इससे पहले कभी कोई ऐसी पोस्ट पढी ही नहीं जिस में
अभद्र ,गन्दे, ओछे, घटिया व वाहियात शब्द प्रयुक्त हुए हों
_____________आपको ये जान कर हैरत होगी
सज्जनों !
कि आपकी टिप्पणियां पढने से पहले ही मैं वे पोस्ट हटा चुका हूँ
जिनमे वे शब्द थे जो आपने कभी नहीं पढ़े ...
खासकर हिन्दी ब्लॉग जगत में
__________________________अरे सज्जनों !
किसके विरुद्ध आँखें तरेर रहे हो ?
उसके विरुद्ध ?
जिसके अन्दाज़-ए-सुखन का आपको अलिफ़ बे तक का
पता नहीं ..............
________________आपकी गलती नहीं है सज्जनों !
अधिकाँश लोग ऐसे ही होते हैं जो हवा के साथ बहने में ही
भला मानते हैं
वे कभी दूसरों को पढ़ते ही नहीं, बस ख़ुद को ही
अदब का मसीहा मानते हैं
__________आप जैसे भले लोगों ने मुझे इस लायक समझा कि
मेरा विरोध किया जा सके....ये जान कर बड़ा आनन्द मिला
बल्कि गर्व कि अनुभूति हुई...
===========यह स्नेह और स्मरण बनाए रखें
सधन्यवाद,
सदैव विनीत
अलबेला खत्री
www.albelakhatri.com
www.hasyahungama.com
www.hamaragujarat.com
http://www.albelakhari.blogspot.com
www.youtube.com/hasyahungama
www.youtube.com/kavisammelans
www.youtube.com/albelakhatris
कैसे अश्लील शब्दों को सामाजिक (यहाँ ) मान्यता मिल जाती है सभ्य लोगों के बीच ..उन्हें असहमति दर्ज करवानी थी तब भी श्लील शब्दों का प्रयोग कर सकते थे.मेरी भी आपति दर्ज की जाये.
साथ ही चेतावनी भी देदी जाती तो अच्छा था, 'नारी का सम्मान करें, अन्यथा नारी शक्ति' से आपका परिचय कराया जायेगा, अधिक फिर कभी कहूँगा फिलहाल तो आपने भी कम शब्दों में ही बहुत कुछ कहा है,
मेरी भी आपति दर्ज की जाये,
सबसे पहले इन महाशय के अपशब्दों के खिलाफ मेरी भी सख्त आपत्ति और विरोध दर्ज किया जाए। इसके बाद मुझे कहना है कि ऐसी मानसिकता से लड़ने के लिए ही हम महिला ब्लॉगर मैदान में डटी हुई हैं। और इन चंद हल्के, ओछे, अभद्र शब्दों से डर कर चुप रहने वाले हम नहीं। अपने विचारों को तर्कों और व्यवहार से सही साबित करने का अभियान जारी रहे।
ऐसी बातों से भला किसको आपत्ति न होगी .. अपने अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबों को है .. चाहे वे पुरूष हो या नारी .. पर अश्लील शब्दों का प्रयोग अनुचित है .. ये सभ्य लोगों का मंच है ।
हम तो इस ओछी हरकत की निन्दा ही करेंगे,
ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किसी तरह भी सही नहीं कहा जा सकता !
ऐसे बढ़िया हाय कवि/कलाकार से ये उम्मीद ना थी, पिछली एक दो पोस्ट में उन्होने जो कुछ लिखा देखकर घिन तो आई ही आपके प्रति जो सम्मान था वह भी कम ही हुआ।
आप जैसे वरिष्ठ कवि- ब्लॉगर को बी आर पी बढ़ाने के ये नुस्खे शोभा नहीं देते।
लिखने की यहाँ सबको स्वंत्रता है .पर शब्द वह हो जो किसी को आहत न करें ...आप जो भी लिखते हैं वह आपके व्यक्तित्व का आईना होते हैं ..आपकी सोच और उसकी सीमा को दर्शाते हैं ....इस तरह के शब्दों के प्रति मेरी भी असहमति दर्ज की जाए ..
काश कि हिन्दी ब्लॉग जगत का लेखन लिंग, जाति, मजहब, पेशे की संकीर्णताओं से ऊपर उठे और इस तरह के लेखन से बचते हुए कुछ सार्थक किया जाए... आमीन।
सागर भाई से सहमत,अलबेला खत्री जैसे हास्य कवि को अपने ब्लॉग की TRP बढ़ाने के लिये INDIA TV जैसे तरीके अपनाने की जरूरत नहीं है, पहले भी वे ब्लॉगरों के नाम लेकर चुटकुले बनाकर हास्य पैदा करने की कोशिश कर रहे थे… उन्हें सिर्फ़ अपनी हास्य व्यंग्य रचनायें ही देना चाहिये, इस प्रकार की घटिया भाषा या हेडिंग देने का कोई औचित्य ही नहीं है…
गलत, अश्लील बातों और असमाजिक बातों से किसे आपत्ति नहीं होगी ...ये अनुचित है
ऐसे संबोधनों से नारी का सम्मान कैसे कायम रहेगा -- ये बताएं -
नारी ही नारीयों का बुरा करतीं हैं
ये भी सच है
परंतु,
२१ वीं सदी के पुरुषों से ये अपेक्षा रखनी भी जायज है कि, नारी दमन या नारी के अपमान सूचक शब्दों और व्यवहार को
अपने मन से निकाल कर,
सदा के लिए ,
तिलांजलि दे देवें --
नारी समाज से भी यही आशा करें -
नारी का सम्मान कीजिये -
पुरुषों और नारियों के बीच चला आ रहा ये विवाद , अब ख़त्म करें --
- लावण्या
बिलकुल सही कहना है आपका, ब्लकी मै तो यहा तक कहना चाहुंगा कि इस प्रकार के ब्लागर के खिलाफ सख्त कार्यवाइ की जानी चाहिये ताकी एसा कोई और ना कर पाये।
आपत्ति भी विरोध भी है !
इस तरह की मानसिकता और शब्दों के उपयोग के विरुद्द मेरी भी आपत्ति है
दुखद है .....
अश्लील शब्दों का प्रयोग अनुचित है, such people should not be forgiven!
काश कि हिन्दी ब्लॉग जगत का लेखन लिंग, जाति, मजहब, पेशे की संकीर्णताओं से ऊपर उठे . aasheeshji ki baat se sahmat..
मैंने यहां पर http://albelakhari.blogspot.com/2009/07/sunaya-tha.html आपत्ती दर्ज की थी । तो मुझे ये http://albelakhari.blogspot.com/2009/07/blog-post_4635.html जवाब मिला था । आज आपके पोस्ट से मुझे मजबूती मिली है ।
उनकी दोनों पोस्ट सरसरी निगाह से देखी थी और नजर में खटकी भी थीं।
अलबेला खत्री जी के अन्य लेखन को देखते हुये उम्मीद है कि वो सम्भवत: अनजाने में हुयी इस (गलती तो नहीं, अलबत्ता Letting his guard down) को अवश्य विचारेंगे।
अलबेला जी को नियमित पढ़ता हूँ और कमेंट भी करता हूँ... पर ये पोस्ट देख मुझे हैरानी हुई.. मैने दो तीन बार समझने की कोशिस की... मुझे लगा शायद मैं कोई बात पकड़ नहीं पा रहा.. पर आपकी पोस्ट से मुझे लगा की मैं गलत नहीं समझ रहा...
मुझे भी ये उम्मीद नहीं थी..
मेरी भी आपति दर्ज की जाये..
कौन यहाँ नर?
नारी कौन?...
शब्द ब्रम्ह के सभी उपासक,
सत-शिव-सुन्दर के आराधक.
मन न दुखाएँ कभी किसी का
बेहतर है रह जाएँ मौन.
कौन यहाँ नर?
नारी कौन?.....
खुसरो मीरां में क्या अंतर?
दोनों पढें प्रेम का मंतर.
सिर्फ एक नर- परम-आत्मा
जाने आत्मा नारी जौन.
कौन यहाँ नर?
नारी कौन?.....
कलम का कमाल यही की जो कहना चाहे इस तरह कहे कि कलाम से किसी को मलाल न हो.
शक्ति-सम्मान का सिपाही मैं भी
अलबेला से ये उम्मीद तो कतई नहीं थी. पोस्ट तो वाहियात है ही ... लेकिन पता नहीं आप में से कितने लोगों का ध्यान उनकी इस पोस्ट के लेबल्स की और गया . .... घोर आपत्तिजनक शब्द उन्होंने इस पोस्ट के लेबल में लिखे हैं.
हवा मगरूर दरख्तों को पटक जाएगी .
बचेगी शाख वही जो कि लचक जाएगी.
शब्दों के बरतने में संयम जरूरी है!
is naari ka apman karne wale ka hamen apni saamarthay anusar bahishkar karna chahiye
निश्चित ही आपत्ति योग्य बात है. नर हो या नारी, सम्मान आवश्यक है. शब्दों के चयन हमेशा ही ऐसा हों, कि कोई भी अपमानित न हो.
मैं आपसे सहमत हूँ, एवं अपनी आपत्ति दर्ज करता हूँ.
मैंने भी अपनी आपत्ति वहां दर्ज करा दी है -यह अशोभनीय है !