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कवि राजेन्द्र मालवी का आलसीपन देखिये

इटारसी के कवि

राजेन्द्र मालवी का आलसीपन भी कमाल का है ।


पिछले दिनों उसके घर के पास ही

अन्तर-राष्ट्रीय

आलसी प्रतियोगिता हुई थी ।

दुनिया भर के आलसियों ने उसमे बढ़ चढ़ कर


भाग लिया लेकिन वह गया ही नहीं ।

कमाल तो ये है कि किसी ने शिकवा किया न गिला

पहला पुरस्कार उसी को मिला ..........हा हा हा हा हा हा हा हा

7 comments:

राजीव तनेजा July 12, 2009 at 9:34 PM  

मज़ेदार

M VERMA July 12, 2009 at 9:36 PM  

कौन सा आप चले गये थे ! !
हा हा

निर्मला कपिला July 12, 2009 at 10:39 PM  

हा हा हा आप फिर से रह गये

Udan Tashtari July 13, 2009 at 6:31 AM  

इससे बड़ी आलस की और क्या मिसाल होगी!! हा हा!!

Murari Pareek July 13, 2009 at 11:42 AM  

असली आलसीपन तो वही है की आग से घिरा होने पर अलसी भागे नहीं और चिल्लाये अरे कोई तो घसीट के बहार निकालो भाई!!!

ताऊ रामपुरिया July 13, 2009 at 1:44 PM  

भाई हम भी इसी से प्रेरित होकर कल से अभी तक कहीं भी टिपणी करने नही गये. अब जब हमे टोटा पड गया तो निकले हैं कामधंधे पर.:)

रामराम

Rajesh L. Joshi February 23, 2011 at 12:56 PM  

सभी बोलते हैं, आलस्य सबसे बड़ी बुराई है भारी दुर्गुण है। किन्तु, आलसी हुए बगैर सुख नहीं मिलता..।
अलबेलाजी आप है आलसी हवा के झोंके

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