इटारसी के कवि
राजेन्द्र मालवी का आलसीपन भी कमाल का है ।
पिछले दिनों उसके घर के पास ही
अन्तर-राष्ट्रीय
आलसी प्रतियोगिता हुई थी ।
दुनिया भर के आलसियों ने उसमे बढ़ चढ़ कर
भाग लिया लेकिन वह गया ही नहीं ।
कमाल तो ये है कि किसी ने शिकवा किया न गिला
पहला पुरस्कार उसी को मिला ..........हा हा हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
7 comments:
मज़ेदार
कौन सा आप चले गये थे ! !
हा हा
हा हा हा आप फिर से रह गये
इससे बड़ी आलस की और क्या मिसाल होगी!! हा हा!!
असली आलसीपन तो वही है की आग से घिरा होने पर अलसी भागे नहीं और चिल्लाये अरे कोई तो घसीट के बहार निकालो भाई!!!
भाई हम भी इसी से प्रेरित होकर कल से अभी तक कहीं भी टिपणी करने नही गये. अब जब हमे टोटा पड गया तो निकले हैं कामधंधे पर.:)
रामराम
सभी बोलते हैं, आलस्य सबसे बड़ी बुराई है भारी दुर्गुण है। किन्तु, आलसी हुए बगैर सुख नहीं मिलता..।
अलबेलाजी आप है आलसी हवा के झोंके
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