आदरणीय आशीषजी,
नमस्कार।
कुछ दिन पूर्व आपने अपने एक आलेख में सवाल उठाया था कि
टिप्पणियों के लिए क्या टिपियाना ज़रूरी है ?
तब आपके प्रश्न पर 49 ब्लोगर बन्धुओं के कमेंट्स तो मैंने
पढ़े थे लेकिन मैं कुछ लिखने की स्थिति में नहीं था क्योंकि
अन्य व्यस्तताएं भारी थीं । अब उनसे मुक्त हुआ हूँ और इस बीच
मैंने एक प्रयोग भी करके देख लिया जिसका परिणाम ही
आपके सवाल पर मेरा जवाब है ।
अनेक बन्धुओं का मानना था कि आम तौर पर टिप्पणियां करने
वाले को ही टिप्पणियां मिलती हैं जबकि बहुत से मित्रों का मत
इस से भिन्न था ।
चूंकि गत कई दिनों से मैंने किसी भी ब्लॉग पर कोई टिप्पणी
नहीं दी है और न ही ज़्यादा लिखा है इसके बावजूद मैंने पाया
कि मुझे मिलने वाली टिप्पणियों में किंचित भी कमी नहीं आई ।
जब भी मैंने कोई पोस्ट डाली है ...पाठकों का आना जाना और
टिपियाना यथावत रहा है...............
इस से मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि टिप्पणियां पाने के लिए
टिपियाना ज़रूरी नहीं है । ज़रूरी है आपका लगातार
सक्रिय रहना और ऐसे मैटर प्रकाशित करना जिसे पढ़ कर
पाठक का मन टिप्पणी देने का बन जाए ।
लेकिन मेरा एक मानना ये भी है कि अन्य लोगों को उनकी
रचना के लिए टिप्पणी ज़रूर देनी चाहिए । इसके दो कारण
हैं । एक तो यह कि परस्पर संवाद गर्म रहता है अर्थात एक
अपनापन पैदा होता है ,दूसरा सबको ये अनुभव होता है कि
उनकी रचनाएं सतत पढ़ी जा रही हैं ।
खास कर नए बलोगर को तो ज़्यादा प्रोत्साहन मिलना चाहिए
ताकि वह भी धीरे धीरे पुराना हो कर इस क्षेत्र का उस्ताद
बनने की कोशिश कर सके ।
हाँ टिपण्णी चलताऊ हो तो असर नहीं छोड़ती, रचना पढ़ कर
सलीके से दी गई टिप्पणी ही कारगर होती है और बलोगर को
पसन्द भी आती है ।
हमारे कवि-सम्मेलनीय मंच पर दो ही स्थितियां ऐसी होती
हैं जहाँ कवि की दुर्गति होती है । एक तब जब अच्छी रचना
पर वाहवाही न मिले और दूसरी तब जब बिना किसी बात
के ही तालियाँ गूँज उठे...........यही स्थिति ब्लोगर की भी
होती है __अच्छी बात पर टिप्पणी रचनाकार को
उर्जस्वित करती है
तो भाई ..........
मैं तो चला टिप्पणियां देने ____हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
17 comments:
सुखद परिणाम निकलकर सामने आया !!
आपने सच कहा जनाब...अगर आप के कथन में नयी बात हो...दम हो तो टिपण्णी स्वयं मिल जाती है...हाँ शुरू में आपको दूसरों के ब्लॉग पर जाकर टिपियाना पढता है ये बताने को की मैं भी इस मैदान में हूँ...वर्ना लोग जानेंगे कैसे...हाँ अगर आप अमिताभ की तरह प्रसिद्द हैं तो बात दूसरी है...
नीरज
उसी लेख पर आशीष जी को एक कमेंटस delete करना पडा था, सोचा यह भी उसके लिये उचित स्थान है, आप भी delete करदो फिर कहीं और सही मैं इसे कहा तक ढोये फिरूंगा,
प्रतिक्रिया शक्ति शक्ति हवा(लेख) का रूख मोड सकती है, टिपियाना ज्रूरी नहीं, हमें comments power का सदुपयोग करना चाहिये
इस power को कोई देखना चाहे तो देखे एक इस्लाम दुशमन के yugkipukar.blogspot.com पर oct 2007 का लेख "इसलाम और कुरान पर महापुरुषों के द्वारा दिए वीचार" फिर उस पर मेरे कमेंटस
अल्लाह के चैलेंज
islaminhindi.blogspot.com (Rank-2)
कल्कि व अंतिम अवतार मुहम्मद सल्ल.
antimawtar.blogspot.com (Rank-1)
टिप्पणी का महत्त्व जान ही लिया है तो, टिप्पणी देना जारी रखें :) शेष जय हो...
पूर्णतः सहमत..शुरुवाती दौर में अपनी सक्रियता का परिचय देने के लिए आशीष का कथन बिल्कुल सही है बाकी तो लेखन सामग्री की रोचकता और स्तरता के महत्व को नकारा नहीं जा सकता.
जवाब देना इसी को कहते है ! पहले आपने इसे अपनी कसौटी पे कसा और फिर आपने छाती ठोक के उत्तर दिया , जिस उत्तर में आपका दृढ निश्चय भी है | सही बात आपने ये भी कही की नए चेहरों को भी प्रोत्साहान देना जरुरी है, हं....हं ....हं.. हम नए ही हैं |
Apni apni kismat.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
भाई जब टिपणि बांटने निकल ही लिये हो तो हमारा भी ख्याल रखना.:) जरा जल्दी आना.
रामराम.
भई अल्बेला जी, लगता है कि शायद हमारी दुकान आपके टिप्पणी बाँटने वाले रास्तें में नहीं आती:)
शोध पुरा होने पर बधाई..
Isi baat par ek tippani meri aur se bhi.
इतने गहन चिंतन के बाद टिप्पणी.. दर असल सभी को इसी तरह टिप्पनी करना चाहिये ..चलताउ टिप्पणी से आप ताऊ बन सकते है ( अपने ताऊ नही )लेकिन ब्लोग़िंग के उज्ज्वल भविष्य के लिये यह नही चल सकेगा .
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आप जैसे महान कलाकार मेरे ब्लॉग पर आए और सुंदर टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया! ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लॉग पर आए! मैं आपका प्रोग्राम टीवी पर रोज़ाना देखती थी! मेरा सबसे पसंदीदार प्रोग्राम था! सिद्धू जी तो बस हँसते ही रहते थे और आप और राजू जी इतना हँसाते थे की दिल खुश हो जाता था! क्या आप अभी कोई प्रोग्राम कर रहे हैं?
अल्बेला जी बहुत बढ़िया पोस्ट!
मेरे ब्लॉग ब्लॉग अपने कीमती अल्फाज छोड़ने के के शुक्रिया अलबेला जी ! हमेशा आपके आशीर्वाद मार्गदर्शन की कामना रहेगी !!
apne blog per apka comment dekhker to mujhe bhi apki baat se etefaq ho gaya. waise apki rachanye padhane ka maja kuch or hi hai.lafjon ki jadugari to koi aapse seekhe.
गुरूजी आशीष खण्डेलवाल जी निम्न लिखित कमेंट 4-5 बार प्रयत्न करने पर भी पब्लिश नहीं कर रहे, कारण पूछा तो खामोश,
सोचा आपसे मालूम करलूं
''उर्दू में Rank-5 भी होता है, इसके आधार पर कह सकते हैं कि विश्व जगत में उर्दू वेबसाइटों का अधिक देशों में अवलोकन होता होगा, या किस कारण urdu में Rank-5 होता है यह भी आप बतादें तो हमारे ज्ञान में बढोतरी हो, ऐसी एक Rank-5 वेब का मैं नुमाइन्दा हूँ, www.urdustan.com
क्षमा के साथ नाम लिख रहा हूँ, वैसे भी Rank-5 को प्रचार की आवश्यकता नहीं होती''
केवल आरम्भ की तीन लाइन भी comment की तब भी नहीं उनके पब्लिश ना करने से एक कारण मुझे यह खटक रहा है कि हिन्दी जगत यह सुनने को तैयार नहीं कि urdu में Rank-5 होता है, वह पब्लिश कर लेते तो बात खत्म थी, तब बात आप जैसों के कानों तक तो ना पहुंचती,,
आशीष जी बतायें इसमें किया हटाया या लगाया जाए कि आप पब्लिश करेंगे,
यहाँ कमेंटस पब्लिश होने के पश्चात देखूंगा कि ब्लाग सेंटरों ने इसे अपने बोर्ड पर पब्लिश करने की हिम्मत दिखाई कि नहीं, वह भी नही करेंगे तो फिर यह पोस्ट के रूप में हिन्दी जगत को सुनना पडेगा,
mohtrim janaab mohammed umar kairanvi saheb,
aapne apne coment me kya likha hai ....meri samajh me kuchh nahin aaya lekin choonki aapko is coment ko chhapaane ki lalak thi isliye maine aapke aagrah ko asweekaar nahin kiya
aadarneey aashish khandelwalji ka aapne zikra kiya us par kuchh bhi tika tippani ki meri auqat nahin hai . unhonne is coment ko kyon nahin chhapa ..ye unka adhikaar kshetra hai aur ve mujhse bahut hi varishth writer hain ..mujhe jab bhi madad darkaar hoti hai main unse hi guhaar lagata hoon
aapka ye coment maine sirf isliye prakaashit kiya hai taki yadi is par charchaa ho toh main ye jaan sakoon ki aakhir aap urdu ko le kar itne ghabraaye hue kyon hain ?
are bhai ! urdu hind ki beti hai, hind me janmi hai aur urdu ka sabse purana naam urdu nahin balki hindvee hai arthaat hindi hai ........
vaise bhi urdu bolne wale aur likhne wale zyaadatar log hindustaani hi hain
hamen urdu se bhalaa kyon parhez hoga? urdu toh hai hi hamaari....
lekin hindi hamaari maa hai ...hamen beti bahut pyaari hai lekin maa bhi kam priya nahin
aapne pahle bhi ek coment isee post par kiya tha ..usme bhi aapne aashishji ka zikra kiya tha
pyaare bhai ! aashishji ko lekar koi galat fahami ho toh dil se nikaal do ...
ve meri tarah bina soche koi kaam nahin karte honge isliye aapki tippani.............
jaane do yaar..........
khush raho...........
maze karo !
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