काँटों की डगर पर,
चले जा तू बेख़बर,
रात-दिन चल, चलने में ही भलाई है
इक तेरी पलकों में
नहीं यार रिमझिम,
देख मेरी आँखों में भी बरसात आई है
तेरा ही तो साथी होगा,
तेरा ही तो भाई होगा
जिसने कि तुझ पर गोलियां चलाई है
बचना है जीना है तो
भाग इस नगरी से
शहर मेरे का हर आदमी कसाई है
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
1 comments:
Aap ki rachana bahut achchhi lagi...Keep it up....
Regards..
DevPalmistry : Lines Tell the story of ur life
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