माहौल बहुत गर्म था। गर्म क्या था, उबल रहा था। वक्ताओं द्वारा लगातार
असंसदीय भाषा का प्रयोग करने से सदन में संसद जैसा दृश्य उपस्थित
हो चुका था। सभी को बोलने की पड़ी थी, सुनने को कोई राजी नहीं था।
गाली-गलौज तक पहुंच चुकी बहस किसी भी क्षण हाथा-पाई में भी तब्दील
हो सकती थी। तभी अध्यक्ष महोदय अपनी सीट पर खड़े हो गए और माइक
को अपने मुंह में लगभग ठूंसते हुए बोले, 'देखिए.. मैं अन्तिम चेतावनी
यानी लास्ट वार्निंग दे रहा हूं कि सब शान्त हो जाएं क्योंकि हम लोग यहां
शोकसभा करने के लिए जमा हुए हैं, मेहरबानी करके इसे लोकसभा
न बनाइए। प्लीज..अनुशासन रखिए और यदि नहीं रख सकते तो
भाड़ में जाओ, मैं सभा को यहीं समाप्त कर देता हूं।
अगले ही पल सब
शान्त हो चुके थे। मानो सभी की लपर-लपर चल रही .जुबानों को
एक साथ लकवा मार गया हो। अवसर था अखिल भारतीय जूता महासंघ
के गठन का जिसकी पहली आम बैठक में भाग लेने हज़ारों जूते-जूतियां
एकत्र हुए थे।
एक सुन्दर और आकर्षक नवजूती ने खड़े होकर माइक संभाला,
'आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मंच पर विराजमान विदेशी कंपनियों के
सेलिब्रिटी अर्थात् महंगे जूते-जूतियों और सदन में उपस्थित नए-पुराने,
छोटे-बड़े, मेल-फीमेल स्वजनों.. मेरे मन में आज वैधव्य का दुःख तो
बहुत है, लेकिन ये कहते हुए गर्व भी बहुत हो रहा है कि मेरे पति तीन साल
तक लगातार अपने देश-समाज और स्वामी की सेवा करते हुए अन्ततः
शहीद हो गए। उनका साइज भले ही सात था लेकिन मजबूत इतने थे कि
दस नंबरी भी शरमा जाएं।
सज्जनो, जिस दिन उनका निर्माण हुआ, उसके अगले ही दिन एक बहादुर
फौजी के पांवों ने उन्हें अपना लिया। भारतीय सेना का वो शूरवीर सिपाही
लद्दाख और सियाचीन जैसी बर्फ़ीली जगहों पर तैनात रह कर जब तक
अपनी सीमाओं की रक्षा करता रहा तब तक मेरे पति ने जी जान से उनके
पांवों की रक्षा की। गला कर बल्कि सड़ा कर रख देने वाली बर्फ़ीली
चट्टानों और भीतर तक चीर देने वाली तेज़-तीखी शीत समीर से
जूझते हुए वे स्वयं गल गए, गल-गल कर खत्म हो गए परन्तु अपनी
आख़री सांस तक अपने स्वामी के पांवों को ठंडा नहीं होने दिया। मुझे
अभिमान है उनकी क़ुर्बानी पर और मैं कामना करती हूं कि हर जनम
में मुझे पति के रूप में वही मिले चाहे हर बार मुझे भरी जवानी में ही
विधवा क्यूं न होना पड़े, इतना कह कर वह जूती सुबकने लगी।
पूरा सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। किसी ने नारा लगाया,
जब तक सूरज चान्द रहेंगे, जूते जिन्दाबाद रहेंगे।
एक अन्य मंचासीन जूता बोला, 'भाइयो और बहनो, आदिकाल से लेकर
आज तक, मानव और जूतों का गहरा सम्बन्ध रहा है। हमने सदा
मानव की सेवा की है और बदले में मानव ने भी हमारा बहुत ख्याल
रखा है, अपने हाथों से हमें पॉलिश किया है, कपड़ा मार-मार कर
चमकाया है यहां तक कि मन्दिर में भी जाता है तो भगवान से ज्य़ादा
हमारा ध्यान रखता है कि कोई हमें चुरा न ले, उठा न ले। मित्रो, त्रेतायुग
में तो हमारे पूज्य पूर्वज खड़ाउओं ने अयोध्या के सिंहासन पर बैठकर
शासन भी किया है। लेकिन आज हमारी अस्मिता संकट में है।
हम मानवोपकार के लिए सदा अपना जीवन अर्पित करते आए हैं, लेकिन
आज घृणित राजनीति में घसीटे जा रहे हैं और सम्मान के बजाय उपहास
का पात्र बनते जा रहे हैं। कभी कोई असामाजिक तत्व हमारी माला बनाकर
महापुरुषों की प्रतिमा पर चढ़ा देता है तो कभी कोई हमारे तलों में हेरोइन
या ब्राउन शुगर छिपा कर तस्करी कर लेता है। आजकल तो हम हथियार
की तरह इस्तेमाल होने लगे हैं, जब और जिसके मन में आए, कोई भी
हमें किसी नेता पर फेंककर ख़ुद हीरो बन जाता है और हमारे कारण
दो दो वरिष्ठ नेताओं की राजनीतिक हत्या हो जाती है बेचारे सज्जन लोग
टिकट से ही वंचित हो जाते हैं। इतिहास साक्षी है, हम अहिंसावादी हैं।
हम न अस्त्र हैं, न शस्त्र हैं लेकिन ये हमारी प्रतिभा है कि अवसर पड़े तो
हम दोनों तरह से काम आ सकते हैं। हमारी इसी योग्यता का लोगों ने
मिसयूज किया है। हमें......शोषण और अत्याचार के विरूद्ध
आवाज़ उठानी होगी।
हां, हां, उठानी होगी, सबने एक स्वर में कहा
इसी तरह और भी अनेक मुद्दे हैं जिनपर हमें एकजुट होकर काम
करना पड़ेगा और अपने हक के लिए संगठित होकर संघर्ष करना
पड़ेगा। जय जूता, जय जूता महासंघ।
सदन में तालियों के साथ नारे भी गूंज उठे
- जूतों तुम आगे बढ़ो जूतियां तुम्हारे साथ है,
हिंसा से अछूते हैं - हम भारत के जूते हैं....इंकलाब-जिन्दाबाद
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
5 comments:
ग़ज़ब की कल्पना है | बहुत ही सुन्दर लिखा है | ऐसे देश भक्त जूतों को चूमने को जी चाहता है |
जय हिंद |
हां ये सही है। :)
ग़ज़ब एकदम हटके और तंदुरुस्त रचना सम्पूर्ण स्वस्थ रचना मजा अगाया आपने जूतों की भावना को समझा है!!!!
अति सुन्दर जूतामयी रचना!!!!
हा...हा...हा....
मज़ा आ गया जी फुल्ल-फुल्ल ...
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