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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

कोबरा का बाप .........

कपड़े पे मला हुआ

कलफ़ है आदमी तो

चुभे हुए कांच की तड़फ भी है आदमी


सावन में विरह की

पीर है ये आदमी तो

अँखियों में चुभता सा तीर भी है आदमी


साँसों में सुलगती सी

आग है ये आदमी तो

दामन में लगा हुआ दाग़ भी है आदमी


ज़िन्दगी में नित नया

पाप है ये आदमी तो

काटने में कोबरा का बाप भी है आदमी

2 comments:

ताऊ रामपुरिया July 10, 2009 at 12:53 PM  

बहुत सही कहा आपने.

रामराम.

Murari Pareek July 10, 2009 at 5:23 PM  

बहुत ही सुन्दर लेने हैं |
आप तो आदमियों के पीछे नहा धो के पावडर करीम लगा पड़ गए ! औरतें भी कम नहीं है ! हा.. हा... हा..

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